Poultry Feed: मुर्गे-मुर्गियों के लिए पोल्ट्री सेक्टर ने सरकार से मांगा 20 लाख टन चावल, जानें वजह

Poultry Feed: मुर्गे-मुर्गियों के लिए पोल्ट्री सेक्टर ने सरकार से मांगा 20 लाख टन चावल, जानें वजह

Rice for Poultry Feed बीते करीब दो साल से मक्का के चलते पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े कारोबारी और मुर्गीपालक परेशान हैं. मक्का की कमी और बढ़ते रेट की वजह से पोल्ट्री फीड महंगा हो गया है. पोल्ट्री फीड में करीब 60 से 70 फीसद मक्का इस्तेमाल होता है. इसी के चलते ही जीएम मक्का इंपोर्ट करने की मांग भी की जा रही है.  

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Poultry Feed: मुर्गे-मुर्गियों के लिए पोल्ट्री सेक्टर ने सरकार से मांगा 20 लाख टन चावल, जानें वजहपोल्ट्री फार्म को कैसे रखें सुरक्षित

Rice for Poultry Feed पोल्ट्री सेक्टर ने केन्द्र सरकार से 20 लाख टन चावल देने की गुहार लगाई है. चावल मुर्गे-मुर्गियों के फीड में शामिल करने के लिए मांगा गया है. इस संबंध में ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन (AIPBA) की ओर से एक पत्र लिखा गया है. पत्र एसोसिएशन के चेयरमैन बहादुर अली ने लिखा है. केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह के नाम इस पत्र में फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) से चावल दिलाने की बात कही गई है. पत्र में बहादुर अली ने लिखा है कि पोल्ट्री फीड का मुख्य तत्व मक्का इस वक्त बाजार में अच्छी क्वालिटी का नहीं आ रहा है. 

जो अच्छी क्वालिटी का मक्का है भी तो उसकी मात्रा कम और रेट बहुत ज्यादा है. पोल्ट्री से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि मक्का महंगी होने के चलते पोल्ट्री फीड की लागत बढ़ गई है. फीड के चलते ही पोल्ट्री प्रोडक्ट अंडे और चिकन की लागत भी बढ़ गई है. लेकिन पोल्ट्री फार्मर को लागत के हिसाब से बाजार में दाम नहीं मिल पा रहे हैं. मुनाफा तो छोडि़ए लागत निकालना मुश्किख‍ल हो गया है. 

पत्र में और क्या कहा है AIPBA चैयरमेन ने 

चैयरमेन बहादुर अली ने पत्र में ये भी कहा है कि मौजूदा वक्त में मक्का देशभर के पोल्ट्री किसानों और इंटीग्रेटर्स को प्रभावित कर रही है. फीड ग्रेड की मक्का की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं बारिश और दूसरी वजह से बाजार में बिक रहे मक्का की क्वालिटी काफी खराब हो गई है. जो मक्का बची है वो दूषि‍त हो गई है. ऐसी मक्का पोल्ट्री फीड के लिए बहुत खराब मानी जाती है. इतना ही नहीं खराब मक्का से बने फीड को खाने के बाद मुर्गे-मुर्गियां बीमारी हो जाते हैं. परेशानी की बात ये है कि बाजार में इस वक्त इथेनॉल और स्टार्च के मतलब की मक्का ही 22 से 25 रुपये किलो के हिसाब से बिक रही है. इसीलिए पोल्ट्री फीड में अस्थायी रूप से चावल को शामिल करने के लिए डिमांड की जा रही है. चावल इस परेशानी से उबरने में मदद करेगा. 

क्या मक्का इंपोर्ट करने की अनुमति भी मांगी गई है

इससे पहले भी बहादुर अली मक्का के मुद्दे को उठा चुके हैं. केन्द्र सरकार को लिखे पत्र में वो डिमांड कर चुके हैं कि इंपोर्ट डयूटी खत्म कर मक्का इंपोर्ट करने की अनुमति दी जाए. क्योंकि देश के कुल मक्का उत्पादन का 60 फीसद हिस्सा पोल्ट्री सेक्टर को चाहिए होता है. और हर साल पोल्ट्री सेक्टर आठ से 10 फीसद की दर से बढ़ रहा है. जबकि मक्का का उत्पादन चार से पांच फीसद ही बढ़ रहा है. वहीं उन्होंने जीएम मक्का जिससे 32 से 40 फीसद तक मक्का उत्पादन बढ़ जाएगा की देश में खेती करने की अनुमति भी सरकार मांगी है. 

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