
महाराष्ट्र के दूध उत्पादक किसान इस समय संकट में हैं. क्योंकि दूध के दाम (Milk Price) अचानक गिर गए हैं. जिसके कारण नाराज़ दूध उत्पादकों ने 19 नवंबर को रास्ता रोको आंदोलन करने की चेतावनी दी है. दाम गिरने का बड़ा आर्थिक असर दूध उत्पादक किसानों पर पड़ रहा है. पहले यहां गाय का दूध 35 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था, लेकिन अब यह घटकर 27 रुपये प्रति लीटर रह गया है. ऐसा किसान आरोप लगा रहे हैं. इस मुद्दे पर किसान सभा आक्रामक हो गई है. किसान सभा के नेता ने मांग की है कि दूध की कीमत 35 रुपये प्रति लीटर होनी चाहिए.
किसान सभा के नेता डॉ. अजित नवले का कहना है कि दूध का दाम बढ़ाने को लेकर उत्पादक आंदोलन करेंगे. जरूरत पड़ी तो पशुपालन और दुग्ध विकास मंत्री के दरवाजे पर भी दूध डालकर आएंगे. महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां हर साल किसानों को दूध का दाम बढ़ाने के लिए आंदोलन करना पड़ता है. वह दूध सड़कों पर बहाकर सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करते हैं. थोड़े दिन मामला ठीक रहता है फिर सब कुछ जस का तस हो जाता है. यहां पर ज्यादातर निजी डेयरियां बड़े नेताओं की हैं इसलिए किसानों पर उनकी मनमानी कायम है.
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दूध की कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए राज्य के दुग्ध विकास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने पिछले दिनों एक समिति का गठन किया था. इसमें निजी और सहकारी दुग्ध संघों के निदेशकों के प्रतिनिधि शामिल थे. हालांकि, किसान सभा के नेता अजीत नवले ने कहा कि जब दूध की कीमत इतनी कम है तो समिति या मंत्री का क्या मतलब है. किसानों को दूध का न्यूनतम मूल्य 35 रुपये प्रति लीटर मिलना चाहिए. अजित नवले ने कहा कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. अगर दूध का दाम 35 रुपये नहीं हुआ तो हम मंत्री के दरवाजे पर दूध गिराने का काम करेंगे.
किसान नेता अजीत नवले ने दूध का रेट कम होने के मुद्दे पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि जब तक किसान सड़कों पर नहीं उतरेंगे क्या इस राज्य में कुछ नहीं होगा? किसान और उपभोक्ता दोनों को लूटा जा रहा है. एक तरफ शहरों में उपभोक्ता 60-70 रुपये लीटर दूध खरीदने के लिए मजबूर है तो दूसरी ओर उत्पादक किसानों को सिर्फ 27 रुपये का दाम मिल रहा है. ऐसा सरकार की लापरवाही के कारण हो रहा है. न उपभोक्ताओं का हित सुरक्षित है न किसानों और पशुपालकों का. पशुओं को पालने की लागत लगातार बढ़ रही है, लेकिन दुर्भाग्य से दूध की कीमत डेयरी वाले घटा रहे हैं.
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