भारत से जमनापरी नस्ल के बकरे की डिमांड करते हैं दूसरे देश, जानें वजह 

भारत से जमनापरी नस्ल के बकरे की डिमांड करते हैं दूसरे देश, जानें वजह 

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्टर और जमनापरी नस्ल  के एक्सपर्ट डॉ. एमके सिंह ने 'किसान तक' को बताया कि दूसरे देश भारत से जमनापरी नस्ल के बकरों की डिमांड अपने यहां कि बकरियों की नस्ल सुधार के लिए करते हैं. जमनापरी नस्ल की बकरी रोजाना चार से पांच लीटर तक दूध देती है. इसके दूध देने की अवधि 175 से 200 दिन की होती है.

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भारत से जमनापरी नस्ल के बकरे की डिमांड करते हैं दूसरे देश, जानें वजह जमनापरी बकरियों का प्रतीकात्मक फोटो.

विदेशों में भारत के जमनापरी नस्ल के बकरों की भारी मांग है. इस नस्ल की बकरी की दूध और बकरों के मीट के लिए अच्छी मांग देखी जाती है. नेपाल, भूटान, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया आदि देश में इस नस्ल के बकरे भेजे जा चुके हैं. खासतौर पर सफेद रंग में पाए जाने वाले ये बकरे सामान्य से ज्यादा लंबे होते हैं. देखने में भी खूबसूरत होते हैं. केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा भी लगातार इस नस्ल पर काम कर रहा है. हाल ही में इसके लिए संस्थान को पुरस्कार दिया गया है. यह नस्ल यूपी के इटावा शहर ही है.  

केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक जमनापरी बकरियां पहले नंबर पर यूपी में 7.54 लाख, दूसरे पर मध्य प्रदेश 5.66 लाख, तीसरे पर बिहार 3.21 लाख, चौथे पर राजस्थान 3.09 लाख और पांचवें नंबर पर पश्चिम बंगाल में 1.25 लाख सबसे ज्यादा पाई जाती हैं. देश में दूध देने वाली कुल बकरियों की संख्या 7.5 लाख है. साल 2019 की पशु जनगणना के मुताबिक देश में 149 मिलियन बकरे-बकरी हैं. हालाकि देश में हर साल इसमे 1.5 से दो फीसद का इजाफा भी होता रहता है.

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विदेशों में पसंद हैं जमनापरी बकरे 

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्टर और जमनापरी नस्ल  के एक्सपर्ट डॉ. एमके सिंह ने 'किसान तक' को बताया कि दूसरे देश भारत से जमनापरी नस्ल के बकरों की डिमांड अपने यहां कि बकरियों की नस्ल सुधार के लिए करते हैं. जमनापरी नस्ल की बकरी रोजाना चार से पांच लीटर तक दूध देती है. इसके दूध देने की अवधि 175 से 200 दिन की होती है.

जमनापरी बकरी एक अवधि (साइकिल) में 500 लीटर तक दूध देती है. इस नस्ल में दो बच्चे देने की दर 50 फीसद तक है. इस नस्ल का वजन रोजाना 120 से 125 ग्राम तक बढ़ता है. शारीरिक बनावट और सफेद रंग का होने के चलते इनकी खूबसूरती देखते ही बनती है. इसीलिए ईद पर भी इनकी खासी डिमांड रहती है.   

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जमनापरी नस्ल की खासियत 

  1. जमनापरी बकरी इटावा, यूपी के चकरनगर और गढ़पुरा इलाके में बहुत पाई जाती है. यह इलाका यमुना और चंबल के बीहड़ वाला है. यहां बकरियों के लिए चराई की अच्छी सुविधा है. यह यूपी की एक खास नस्ल है. इसके अलावा यह मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में भी पाई जाती है. 
  2. यह देश की लंबाई में एक बड़े आकार वाली बकरी है. इसके कान भी लंबे नीचे की ओर लटके हुए होते हैं.  
  3. इसका रंग आमतौर पर सफेद होता है. लेकिन कभी-कभी कान और गले पर लाल रंग की धारियां भी होती हैं. 
  4. इसकी नाक उभरी हुई होती है और उसके आसपास बालों के गुच्छे होते हैं. 
  5. बकरे-बकरी दोनों के पैर के पीछे ऊपर लंबे बाल होते हैं.
  6. बकरे और बकरी दोनों में ही सींग पाए जाते हैं. 
  7. बकरे का वजन 45 किलो और बकरी का वजन 38 किलो तक होता है. 
  8. बकरा 90 से 100 सेमी और बकरी 70 से 80 सेमी ऊंची होती है.  
  9. जमनापुरी बकरियां अपने 200 दिन के दूधकाल में एवरेज 500 लीटर तक दूध देती हैं.  
  10. एक साल में जमनापरी बकरी 21 से 26 किलो तक की हो जाती है.
  11. जमनापरी का बच्चा चार किलो वजन तक का होता है. 
  12. 20 से 25 महीने की उम्र पर पहला बच्चा देती है. 
  13. दूध के साथ ही यह मीट के लिए भी पाली जाती है. 
  14. केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा लगातार जमनापरी बकरी पर रिसर्च करता है. 
  15. देश में जमनापरी बकरियों की कुल संख्या 25.56 लाख है. 
  16. प्योर जमनापरी ब्रीड बकरियों की संख्या 11.78 लाख है.  

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