scorecardresearch
CIRG की इस रिसर्च से 50 किलो का हो जाएगा 25 किलो वाला बकरा, जानें कैसे

CIRG की इस रिसर्च से 50 किलो का हो जाएगा 25 किलो वाला बकरा, जानें कैसे

सीआईआरजी में बरबरी, जमनापरी, जखराना, सिरोही, बुंदेलखंडी बकरे और बकरियों के साथ मुजफ्फरनगरी भेड़ पर रिसर्च की जाती है. इन दिनों यहां बकरे और भेड़ का ज्यादा प्रोडक्शन कैसे हो, मृत्यु दर कैसे कम हो, दाने और चारे में ऐसा क्या दिया जाए खाने को कि उनकी ग्रोथ अच्छी हो, दूध ज्यादा गुणवत्ता वाला मिले...जैसे सवालों के जवाब ढूंढने पर खास तौर से रिसर्च की जा रही है. 

advertisement
बकरे का प्रतीकात्मक फोटो. बकरे का प्रतीकात्मक फोटो.

बकरे और बकरियों पर गहन रिसर्च के लिए अपनी खास पहचान बनाने वाला मथुरा का केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) जल्द ही एक और बड़ी कामयाबी हासिल करने वाला है. संस्थान की इस रिसर्च का फायदा उन किसानों को होगा जो बकरों को मीट के लिए पालते हैं, इस रिसर्च से ऐसे किसानों की इनकम डेढ़ से दो गुनी हो जाएगी. संस्थान के सीनियर साइंटिस्ट का दावा है कि आने वाले एक साल में उनकी रिसर्च पूरी हो जाएगी और इसका फायदा आम किसान भी उठा सकेंगे. 

आम तौर पर बकरे-बकरी को दूध के साथ-साथ मीट पाने के लिए भी पाला जाता है. एक से डेढ़ साल का करने के बाद बकरे और बकरियों को मीट के लिए बेच दिया जाता है. किसानों को ऐसे बकरे और बकरियों के दाम उनके वजन के हिसाब से मिलते हैं. वजन जितना ज्यादा होगा दाम उतने ही अच्छे मिलेंगे. खासतौर से बकरीद के मौके पर खरीदार कुर्बानी के लिए ज्यादा वजन वाले बकरे की तलाश में रहते हैं. 

जीन एडिटिंग से ऐसे बढ़ेगा बकरे का वजन 

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट एसपी सिंह ने बताया कि सीआईआरजी के दैहिकी जनन और प्रबंधन विभाग में एचओडी एसडी खर्चे के निर्देशन में हम पिछले डेढ़ साल से जीन एडिटिंग पर रिसर्च पर काम कर रहे हैं. इसके तहत बकरे-बकरी की किसी एक नस्ल पर काम चल रहा है. हम अपनी रिसर्च में उस बकरे और बकरियों के जीन को एडिट कर रहे हैं.

जो उस नस्ल के पुराने जीन हैं उन्हें एडटि किया जा रहा है. यानि की उनके पुराने जीन जिससे उनका वजन उनकी नस्ल के हिसाब से ज्यादा से ज्यादा 25 किलो हो सकता है तो उन जीन को एडिट कर दिया जाएगा. एडिट किए गए जीन को बकरी में ट्रांसप्लांट कर दिया जाएगा. इसके बाद बकरी जो बच्चा देगी तो एडिट जीन उस बच्चे में आ जाएगा. 

देश के सिर्फ 5 राज्यों में होता है 65 फीसद अंडे का उत्पादन

इसके बाद बच्चा एडिट जीन के साथ ही आगे बढ़ेगा. जीन एडिटिंग की इस रिसर्च में हमारा दावा है कि अगर 25 किलो वाले बकरे का वजन 50 किलो नहीं होगा तो 40 किलो से कम भी नहीं होगा. इस रिसर्च का प्रयोग अब बकरियों पर शुरू हो गया है. एडिट जीन के साथ कुछ बकरियों को गाभिन (गर्भवती) किया गया है.

कश्मीर में घट रहा है केसर का उत्पादन, यह है बड़ी वजह 

वजन बढ़ने के बाद मीट का होगा परीक्षण 

साइंटिस्ट एसपी सिंह ने बताया की जैसे ही एडिट जीन के साथ बकरी का बच्चा बड़ा होगा तो उसका वजन भी उसकी नस्ल के हिसाब से ज्यादा होगा. ऐसे बच्चे के मीट का लैब में परीक्षण किया जाएगा. परीक्षण में यह जांचा जाएगा कि एडिट जीन के साथ बड़े हुए उस खास नस्ल के बकरे के मीट के स्वाद में तो कोई फर्क नहीं आया है. क्योंकि होता यह है कि कुछ खास ऐसी नस्ल हैं जिन्हें मीट में इसलिए पसंद किया जाता है, क्योंकि उनके मीट का स्वाद अच्छा होता है, जैसे बरबरी, जमनापरी, जमनापरी, सोजात और ब्लैक बंगाल आदि.  

ये भी पढ़ें-

TAGS: