Tips for Animal Feed: गाय-भैंस बीमार है, चोट लगी है और चारा नहीं खा रही, ऐसे बदल दें खुराक देने का तरीका 

Tips for Animal Feed: गाय-भैंस बीमार है, चोट लगी है और चारा नहीं खा रही, ऐसे बदल दें खुराक देने का तरीका 

Tips for Animal Feed पशुओं के लिए उसकी खुराक बहुत ही महत्वपूर्ण होती है. खासतौर पर ऐसे हालात में जब भैंस कुछ खाने को तैयार ना हो. ये हालात भैंस के बीमार होने या फिर उसके चोटिल होने पर हो सकते हैं. कई बार बीमारी या चोट लगने के चलते भैंस खाने के लिए अपने मुंह का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं. 

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Tips for Animal Feed: गाय-भैंस बीमार है, चोट लगी है और चारा नहीं खा रही, ऐसे बदल दें खुराक देने का तरीका डेयरी फार्म में बंधी गाय

Tips for Animal Feed उत्पादन करने वाला पशु गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी सभी की अपने-अपने हिसाब से खुराक तय है. जैसे दूध देने वाला पशु, गाय-भैंस दूध नहीं दे रही है, लेकिन बच्चा देने वाली है. इतना ही नहीं एक पशु ऐसा भी होता है जो न तो दूध दे रहा होता है और न ही बच्चा देने वाला होता है, बावजूद इसके सभी को उनके उत्पादन के हिसाब से खुराक की जरूरत होती है. कहने का मतलब ये है कि पशुओं को जीवन जीने लायक तो खुराक चाहिए ही होती है.
 
अब अगर किसी भी वजह से वो बीमार हैं या चोट लगी है और चारा नहीं खा पा रहे हैं, तब भी उन्हें उनकी जरूरत के हिसाब से खुराक की जरूरत तो होती ही होती है. क्योंकि बीमार और चोटिल होते ही पशुओं की खुराक न के बराबर रह जाती है. ऐसे में जरूरी है कि हम उन्हें कुछ ऐसा बनाकर दें जिससे उनके शरीर की जरूरत पूरी हो सके. कभी भी जब गाय-भैंस बीमार हो जाएं या फिर उन्हें चोट लग जाए तो उन्हें भूखा न छोड़ें.

गाय-भैंस चोटिल या बीमार है तो कैसे-क्या दें खाने में 

  • चोटिल-बीमार पशु को रसीली घास देकर खाने के लिए ललचा सकते हैं. 
  • साबुत घास खाने में परेशानी हो तो घास काटकर भी खि‍लाई जा सकती है. 
  • कई बार मुंह में गहरी चोट है या मुंहपका के चलते पशु कुछ खा नहीं पाता है. 
  • ऐसे पशुओं को कई तरह के हरे चारे से मिलाकर बनाया गया सूप दे सकते हैं. 
  • पशु को ऐसा चारा दें जिसे जुगाली करने में ज्यादा मेहनत और वक्त ना लगता हो.  
  • पशु के सामने ऐसा चारा रखें जिसे वो बड़े ही शौक से खाता हो. 
  • भैंस को सिर्फ गुड़ या खाने में गुड़ मिलाकर खिलाया जा सकता है. 
  • बीमारी में भूख बढ़ाने के लिए हिमालयन बतीसा खि‍ला सकते हैं.
  • भैंस की खुराक में नमक मिलाकर भी उसे दिया जा सकता है. 
  • बीमार-चोटिल होने पर पशुओं की खुराक में एनर्जी-प्रोटीन की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए. 
  • सोयाबीन या मूंगफली की खल, वनस्पति तेल, गुड़, प्रोपलीन ग्लाइकोल और कैसिइन खिला सकते हैं. 
  • पशुओं को एक बार में ज्यादा खिलाने के बजाए थोड़ा-थोड़ा कई बार में दिया जा सकता है. 
  • अगर भैंस मुंह के रास्ते खाने-पीने में बेबस है तो उसे नली से घोल के रूप में दिया जा सकता है. 
  • खाना ना खाने पर माइक्रोबियल कल्चर प्रोबायोटिक्स (जैसे लैक्टोबैसिलस, यीस्ट) खिलाया जा सकता है. 
  • पानी की कमी को इलेक्ट्रोलाइट्स से और एसिडोसिस को बाइकार्बोनेट से ठीक किया जा सकता है.
  • कभी भी बीमार-चोटिल पशु को खाने में दवाएं मिलाकर ना दें. 
  • खासतौर पर ऐसी दवाएं खाने में न मिलाएं जो स्वाद में कड़वी होती हैं. 
  • गर्भकाल के दौरान कड़वी दवाएं मुंह से खिलाने से बचना चाहिए. 
  • कड़वी दवा खाने से पशु बचता है और उठा पटक के चक्कर में तनाव में आ जाता है. 
  • कई बार इस तरह के तनाव के चलते भी भैंस का गर्भपात होने का खतरा बना रहता है.

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