कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए बकरी पालन तेजी से उभरता एक काम है. इसके लिए आपको सरकारी ग्रांट भी मिल सकती है. दूध, मांस व चमड़ा जैसी बहुमूल्य सामग्री बकरियों द्वारा प्राप्त होती हैं. साथ ही ग्रामीण अंचलों में बकरी पालन के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं. यही कारण है कि प्रतिवर्ष 39.70 प्रतिशत बकरियों का उपयोग मांस के लिए करने के बाद भी इनकी संख्या 3.50 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. परन्तु अच्छी नस्ल, उचित आहारीय व्यवस्था एवं सही रख-रखाव के अभाव में इनका उत्पादन संतोषजनक नहीं है. उचित नस्ल का चुनाव देश में बकरियों की लगभग 20 नस्लें हैं परन्तु उत्तर प्रदेश में दुग्ध उत्पादन हेतु जमुनापारी तथा मांस हेतु बरबरी, मूल प्रजातियाँ सर्वश्रेष्ठ है. आइए जानते हैं क्क्त बकरी पालन की कौन-कौन सी विशेषता है.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा के मुताबकि गाय-भैंस और पोलट्री-सूकर के मुकाबले बकरी पालन आसान और सस्ता तरीका है. जरूरत बस वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने की है. साथ ही बकरी पालक को अपनी बकरियों की तंदरुस्ती के लिए अलर्ट पर रहते हुए हर वक्त उनकी निगरानी करनी होगी. बकरी पालन पोल्ट्री और सूअर पालन के मुकाबले कम पैसों में शुरू किया जा सकता है. गाय-भैंस के 100 रुपये के मुकाबले बकरे-बकरी का चारा 20 रुपये का पड़ता है. कारोबार के लिहाज बकरी पालन एक अच्छा क्षेत्र है. इसमे दूसरों को नौकरी देने के साथ ही खुद भी मोटी इनकम कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें: बकरी को अधिक न खिलाएं रसीला चारा, हो सकती है ये खतरनाक बीमारी
है जो यमुना व चम्बल नदियों के कछार में स्थित है. जहाँ चराई की अच्छी सुविधा उपलब्ध होती है, वहाँ जमुनापारी अच्छी प्रकार पनपती है. यह बड़े आकार की बकरी होती है. इसका रंग सफेद होता है. प्रथम बार गर्भ धारण करने में लगभग 1.50 वर्ष लग जाते हैं. यह प्रतिवर्ष एक बार में 1-2 बच्चे देती है. इस प्रजाति की बकरियाँ 190-200 दिनों के दुग्धकाल में लगभग 200 कि.ग्रा. दूध देती है अर्थात 1.0 कि.ग्रा. प्रतिदिन. वर्ष भर में इन बकरियों का शारीरिक भार 22-26 कि.ग्रा. तक हो जाता है.
बकरी की यह सर्वश्रेष्ठ प्रजाति है जो आगरा, एटा, मथुरा एवं अलीगढ़ जिलों में पाई जाती है. यह एक साल के अन्दर प्रजनन योग्य हो जाती है. बरबरी एक बार में 2-3 बच्चे तथा दो साल में तीन बार बच्चे देती है. इस तरह एक मादा प्रतिवर्ष लगभग 3.5 गुना की दर से वंश वृद्धि करती है. यह गुण देश के किसी अन्य प्रजाति में नहीं है. नर बच्चा एक साल में लगभग 15-18 कि.ग्रा. तक हो जाता है. मादा एक साल में लगभग 140 ली. दूध देती है. बरबरी प्रजाति को बाँधकर भी पाला जा सकता है.
ये भी पढ़ेंः किसानों को कपास के भाव में तेजी की उम्मीद, रोक कर रखा माल, जानें आज का भाव
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today