मध्य प्रदेश के खरगोन में प्रदेश के सबसे बड़े नवग्रह पशु मेले (khargone pashu mela) की धूम है. यहां निमाड़ी नस्ल (neemari breed bull) के हट्ठे-कट्ठे बैल जोड़ियों की बहुत अधिक चर्चा है. नवग्रह मेले के पहले ही दिन हजारों की संख्या में महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के पशुपालक किसान और व्यापारी पहुंचे. निमाड़ के बैल लंबे समय तक खेतों में काम करने के लिए जाने जाते हैं. बेहद ताकतवर होने के साथ निमाड़ी बैल देखने में भी आकर्षक होते हैं. निमाड़ के बैल मजबूत और सक्षम होते हैं, इसलिए महाराष्ट्र के किसानों की पहली पसंद भी यही खरगोन के बैल हैं.
खरगोन नवग्रह मेले का इतिहास आजादी के महज 10 साल के बाद का है. यानी यह मेला 65 वर्षों से अधिक दिनों से लग रहा है. पेशवा वंश के राजा ने खरगोन नवग्रह मेले (khargone pashu mela) का शुभारंभ किया था. तब से यह प्रथा चली आ रही है. खरगोन में एशिया के दूसरे सबसे प्राचीन नवग्रह मंदिर होने के कारण जनवरी माह में यहां मेला लगता है. व्यापारिक मेले के साथ ही यहां प्रदेश का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है. इस मेले की चर्चा कई प्रदेशों में रहती है. लोग इस मेले का महीनों से इंतजार करते हैं और मेला लगते ही खरीद-बिक्री शुरू कर देते हैं.
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खरगोन के नवग्रह पशु मेले (khargone pashu mela) में निमाड़ी नस्ल की बैल जोड़ी (neemari breed bull) की खरीद बिक्री शुरू हो गई है. निमाड़ी नस्लों की बैल जोड़ी खरीदने के लिए पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र सहित गुजरात और राजस्थान से बड़ी संख्या में किसान और व्यापारी पहुंचे हैं. इनका यहां आने का सिलसिला अभी जारी है. निमाड़ी नस्लों की एक बैल जोड़ी की कीमत करीब दो से ढाई लाख रुपये तक होती है. खास बात ये है निमाड़ी नस्ल के बैल अन्य पशुओं की भांति ह्रष्ट-पुष्ट होने के साथ खेतों में भी लंबे समय तक काम करते हैं.
निमाड़ी नस्ल के बैलों की दांत देख कर उनकी पहचान होती है. इसी आधार पर इन बैलों की कीमत भी तय होती है. खरगोन के पशु मेले (khargone pashu mela) में स्थानीय ग्रामीणों के साथ दूर-दूर से खरीदार और विक्रेता आते हैं. यहां लोग अपनी जेब और जरूरत के हिसाब से पशुओं की खरीद करते हैं. जिसे अपना पशु बेचना होता है, वह पूरी तैयारी के साथ मेले में पहुंचता है. पशुओं की सजावट भी देखते ही बनती है. लोग तरह-तरह के रंगों से अपने पशुओं को सजाते हैं जिससे कि खरीदार आकर्षित हो सकें. निमाड़ी नस्ल के बैलों (neemari breed bull) को खरीदने के लिए मेले में मालवा, महाराष्ट्र और गुजरात से व्यापारी पहुंचते हैं.
खरगोन में इस बार 130वां पशु मेला लगा है. पशु मेले में खरीदार और विक्रेता हर तरह से बैलों की जांच-परख करते हैं, उसके बाद ही कीमतें लगाई जाती हैं. दाम पर मोल-मोलाई भी चलती है. बैलों के दांत गिनकर उनकी उम्र का पता लगाया जाता है. इसी आधार पर उनके दाम तय होते हैं. खरगोन में लगने वाला मेला पूरे मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा पशु मेला (khargone pashu mela) होता है. यहां नीमाड़ (neemari breed bull) की सबसे अच्छी नस्ल के बैल सबसे अधिक धूम मचाते हैं क्योंकि उनकी खरीदारी के लिए दूर-दूर के प्रदेशों के किसान और व्यापारी आते हैं.
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नवग्रह मेले में खरगोन के सभी क्षेत्रों से बैल लाए जाते हैं. इसके अलावा आसपास के जिलों से भी नीमाड़ी नस्ल के बैल बड़ी संख्या में यहां बेचने के लिए लाए जाते हैं. यह मेला पूरे एक महीने तक चलता है. इस मेले में कई किसान ऐसे भी हैं जो 30 साल से अपने बैलों की बिक्री करते आ रहे हैं. किसानों का परा परिवार इस काम में लगा है और अच्छी कमाई भी करता है. खरगोन की जमीन अधिक उर्वरा होने के चलते यहां के बैलों को भी बेहद ताकतवर माना जाता है. यहां की जलवायु भी ऐसी है जो बैलों को ताकतवर और हट्ठा-कट्ठा बनाती है.
महाराष्ट्र से आए एक खरीदार सुभाष मधुकर महाजन कहते हैं कि बैलों की कीमत छह, चार दांत देखकर लगाई जाती है. बैलों के दाम सवा लाख, 80 हजार, 90 हजार तक होती है. वे कहते हैं कि खरगोन के बैल मजबूत होते हैं. महाराष्ट्र से 50% किसान और व्यापारी इस मेले में पशुओं को खरीदने के लिए आते है. वे कहते हैं कि यहां हर प्रकार का पशु मिल जाता है और इतना बड़ा मेला महाराष्ट्र में नहीं लगता है. हरदा से आए मनोज विश्नोई का कहना है खरगोनी बैलों की अलग ही शान है. इन बैलो के सींग, कलर और छाप एक जैसे होते हैं. किसानी में ये बैल मजबूत होते हैं, इसलिए इनकी डिमांड बढ़ती जा रही है.(रिपोर्ट/उमेश रेवलिया)
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