बिहार में बकरी पालन ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए रोजगार का बेहतर विकल्प बन चुका है. बकरी पालन के व्यवसाय से जुड़कर कई लोग आर्थिक और सामाजिक स्तर पर अपने जीवन में बदलाव ला रहे हैं. वहीं बिहार के उन युवाओं के लिए अच्छी खबर है, जो बकरी पालन करना चाहते हैं. वैसे लोगों के लिए पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग समेकित बकरी एवं भेड़ विकास योजना के तहत निजी क्षेत्र में बकरी पालन पर 50 प्रतिशत तक अनुदान देने की योजना बना रहा है. इस योजना के तहत सूबे में करीब 453 बकरी फार्म खोले जाएंगे. इसको लेकर विभाग योजना को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है.
पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री मो. आफाक आलम कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने में बकरी पालन और पोल्ट्री व्यवसाय की खास भूमिका है. वहीं सरकार समेकित मुर्गी विकास योजना के तहत अंडा उत्पादन में लेयर फार्मिंग को स्वीकृति दे चुकी है. उसके बाद अब आने वाले समय में समेकित बकरी पालन पर सब्सिडी देने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है. समेकित बकरी एवं भेड़ विकास योजना के तहत वर्ष 2023-24 के लिए बकरी पालन और प्रशिक्षण के लिए करीब 12 करोड़ 93 लाख 44 हजार रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. वहीं जो बकरी पालन करने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए यह योजना काफी मददगार साबित होने वाली है. साथ ही यह योजना रोजगार का बेहतर माध्यम भी बनेगी.
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पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार 20 बकरी और एक बकरा, 40 बकरी और दो बकरा की क्षमता वाले फार्म के लिए हर वर्ग को अलग-अलग सब्सिडी की राशि निर्धारित की गई है. जहां सामान्य वर्ग द्वारा चयनित पालक को बकरी फार्म खोलने के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा. वहीं अनुसूचित जाति एवं जनजाति को 60 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा. इस बार चयनित लाभार्थी को बकरी फार्म लगाने के लिए बैंक ऋण या खुद का पैसा लगाने, दोनों ही स्थिति में सब्सिडी की राशि दी जाएगी.
समेकित बकरी एवं भेड़ विकास योजना के तहत बकरी फार्म लगाने के लिए किसान विभाग की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. वहीं आवेदकों की जांच जिला पशुपालन पदाधिकारी की अध्यक्षता में त्रिसदस्यीय समिति के द्वारा की जाएगी. इस योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा, जो कृषि विभाग के एमआईएस पोर्टल पर रजिस्टर्ड होंगे. पशुपालन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत स्थानीय नस्ल की बकरियों को उच्च उत्पादकता वाली नस्ल से प्रतिस्थापित किया जाना है. साथ ही परंपरागत बकरी पालकों को बकरी पालन के जरिये उनके जीवन में बदलाव लाने की सोच है.
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