Milk Production: अगर ये 15 काम किए तो बरसात में भी बढ़ जाएगा दूध उत्पादन, पढ़ें डिटेल Milk Production: अगर ये 15 काम किए तो बरसात में भी बढ़ जाएगा दूध उत्पादन, पढ़ें डिटेल
Increase Milk Production कई बार पशु कम दूध देने के बाद भी चारा रोजाना की तरह से ही खाता है. ऐसे में पशुपालक को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो खासतौर पर मौसम बदलने के दौरान पशु तनाव में आ जाता है और उसका उत्पादन कम हो जाता है. अगर इस दौरान पशुओं की देखभाल के मामले में थोड़ा सा अलर्ट रहें तो उत्पादन घटने जैसे नुकसान से बचा जा सकता है.
भैंस खरीदते समय इन बातों का रखें ध्याननासिर हुसैन - New Delhi,
- Jul 09, 2025,
- Updated Jul 09, 2025, 4:10 PM IST
Increase Milk Production खासतौर पर जुलाई-अगस्त का मौसम ऐसा होता है जब ये नहीं पता चलता कि धूप निकलने के दौरान कब बारिश हो जाएगी या फिर घंटों की बारिश के बाद कब चमकली धूप निकल आएगी. इस दौरान उमस भी बहुत होती है. इस मौसम में ही उमस और गर्मी दोनों का एक साथ असर देखने को मिलता है. ऐसे मौसम में इंसान की तो छोडि़ए पशु-पक्षी भी परेशान हो उठते हैं. अगर दुधारू पशुओं की बात करें तो ऐसे में गाय-भैंस और भेड़-बकरी भी स्ट्रेस में आ जाते हैं.
कई दूसरी बीमारियां भी इसी मौसम में पशुओं पर अटैक करती हैं. एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक अगर इस मौसम में वक्त रहते पशुओं के बाड़े में कुछ जरूरी उपाय कर लिए जाएं तो पशुओं को बीमारी और मौत के जोखिम से बचाया जा सकता है. इतना ही नहीं इस सब के चलते पशुपालकों को भी परेशानी और आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकता है.
बारिश-गर्मी के बदलते मौसम में ऐसे करें देखभाल
- पशु को दोपहर के वक्ते सीधे तौर पर तेज धूप से बचाएं.
- खुरपका-मुंहपका रोग से बचाव के लिए टीके लगवाएं.
- डॉक्टर की सलाह पर पशु पेट के कीड़ों की दवाई खिलाएं.
- गेहूं के भूसे की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए उसमे यूरिया मिलाएं.
- दूध निकालने के बाद थन कीटाणु नाशक घोल में डुबोकर साफ करें.
- दुधारू पशुओं को थैनेला रोग से बचाने के लिए डाक्टर की सलाह लें.
- गाय-भैंस के हीट में आने पर वक्त रहते गाभिन कराएं.
- सुबह-शाम गर्भवती और बीमार पशुओं को टहलाने ले जाएं.
- पशुओं को साफ और ताजा पानी पिलाएं, ठंडा पानी ना दें.
- सुबह-शाम पशुओं को ताजा पानी से नहलाएं.
- पशुओं का बाड़ा हवादार होना चाहिए.
- बाड़े में रेत-मिट्टी का कच्चा फर्श हो.
- बाड़े में सीलन नहीं होनी चाहिए.
- पशुओं को अफरा होने पर 500 ग्राम सरसों तेल के साथ 50 ग्राम तारपीन का तेल दें.
- पशु की सेहत और दूध बढ़ाने के लिए 50-60 ग्राम मिनरल मिक्चर दें.
- हरे चारे की कमी दूर करने को गेहूं कटते ही ज्वार, मक्का, लोबिया की बुआई करें.
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