Poultry Farming: पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों को बरसाती बीमारी से बचाने के लिए जरूर करें ये काम, पढ़ें डिटेल 

Poultry Farming: पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों को बरसाती बीमारी से बचाने के लिए जरूर करें ये काम, पढ़ें डिटेल 

Poultry Farming in Rainy Season बरसात के दौरान पोल्ट्री फार्म के शेड मैनेजमेंट पर पूरा ध्यान देना चाहिए. गर्मी और बरसात में रात एक बजे से सुबह पांच बजे तक फीड देना चाहिए. ये वो वक्त होता है जब मौसम में हल्की सी ठंडक होती है. और ऐसे वक्त मुर्गियों को फीड करने से उनकी ग्रोथ में तेजी आती है. 

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Poultry Farming: पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों को बरसाती बीमारी से बचाने के लिए जरूर करें ये काम, पढ़ें डिटेल गर्मी में पोल्ट्री फार्म को ठंडा रखना जरूरी

Poultry Farming in Rainy Season बरसात के दिनों में जुगाली करने वाले छोटे-बड़े पशु तो मौसम से काफी हद तक लड़ लेते हैं, लेकिन मुर्गियों के लिए बरसात के दिनों में सांस लेना तक मुश्कि ल हो जाता है. यही वजह है कि खासतौर पर बरसात के दिनों में पोल्ट्री फार्म के मुर्गे-मुर्गियों को लगातार बीमारियों का खतरा बना रहता है. बारिश बंद होने के बाद जैसे ही मौसम बदलता है तो वो और भी ज्यादा मुर्गियों को नुकसान पहुंचाता है. क्योंकि अक्सर बारिश बंद होने के बाद धूप निकल आती है, और इसी तरह का मौसम पोल्ट्री फार्म के केज (दड़बे) में बंद मुर्गियों के लिए सांस लेना तक दूभर कर देता है. कई बार तो इस उमस के चलते मुर्गियों की मौत तक हो जाती है. 

सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट (CARI), बरेली के साइंटिस्ट के मुताबिक ऐसे मौसम में मुर्गियों के फीड का खासतौर पर ख्याल रखना चाहिए. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो पोल्ट्री बर्ड बहुत ही सेंसेटिव होती हैं. इसलिए गर्मी-बरसात ही नहीं हर एक मौसम में मुर्गियों के खाने-पीने, शेड के रखरखाव और हैल्थ के बारे में बहुत ध्यान देने की जरूरत होती है. अगर इन सभी चीजों में आपने जरा सी भी लापरवाही बरती तो इसका सीधा असर प्रोडक्शन पर पड़ता है.

गर्मी-बरसात में बदल दें शेड के इंतजाम

साइंटिस्ट के मुताबिक गर्मी और बरसात के दौरान शेड मैनेजमेंट बहुत जरूरी है. क्योंकि किसी भी बीमारी का इलाज या उसकी रोकथाम में दवाई और वैक्सीन 30 से 40 फीसद ही असर करती है. लेकिन शेड मैनेजमेंट इससे कहीं ज्यादा कारगर साबित होता है. अगर आप ब्रॉयलर (चिकन) और लेयर (अंडे) के केज में हवा का इंतजाम ठीक से रखते हैं तो आधे से ज्यादा बीमारियां तो वैसे ही खत्म हो जाती हैं. इसलिए ये जरूरी है कि जब शेड बनवाएं तो यह भी ध्यान दें कि शेड की दिशा उत्तर और दक्षि‍ण की तरफ रखनी चाहिए. अगर पूर्व और पश्चि‍म में शेड बनेगा तो सुबह की भी धूप आएगी और जब सूरज डूबने लगेगा तो शाम की धूप भी आएगी. इससे धूप सीधी शेड के अंदर ही आएगी. जिसके चलते मुर्गियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. इसलिए शेड कंस्ट्रक्शन कराते वक्त ये जरूरी है कि शेड के अंदर फैन (पंखा) भी लगाना बेहद जरूरी है. 

वैक्सीन के प्लान में शामिल करें बूस्टर 

साइंटिस्ट की मानें तो पोल्ट्री फार्म में जितना ध्यान फीडिंग पर देना चाहिए उतना ही मुर्गियों के हैल्थ मैनेजमेंट पर भी देना चाहिए. कई बार बीमारियों की वजह से प्रोडक्शन कमजोर पड़ जाता है. इसलिए वक्त से मुर्गियों का वैक्सीनेशन कराना भी बहुत जरूरी है. लेकिन वैक्सीनेशन कराने के दौरान भी कई खास बातों का ख्यान रखना चाहिए. जैसे अगर वैक्सीनेशन कराया गया है तो इसकी जांच जरूर कर लें कि वैक्सीनेशन के बाद मुर्गियों में एंटीबॉडी आई है या नहीं. दूसरा ये कि मुर्गियों की क्षमता बढ़ाने के लिए मार्केट में मौजूद कई तरह के इम्यूनिटी बूस्टर टीके मौजूद हैं.

इसलिए जब टीका लगवाएं तो इम्यूनिटी बूस्टर वैक्सीनेशन के साथ जरूर शामिल कर लें. जिससे मुर्गियों की इम्युनिटी और अच्छी  हो जाए. खासतौर से गर्मी-बरसात के इस साथ मौसम में वैक्सीनेशन के लिए जरूरी है कि वो रात आठ बजे या फिर सुबह चार बजे कराया जाए. कई बार एक-एक मुर्गी को पकड़कर उसके वैक्सीन लगाना बहुत मुश्किल होता है. इसी परेशानी को देखते हुए बाजार में कई तरह के पीने के लिए सीरप और टैबलेट मिलती हैं. इन दोनों में से किसी एक को पोल्ट्री फार्म के ड्रिंकिंग वॉटर सिस्टम में मिलाया जा सकता है. 

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