Success Story : पहले पैसे-पैसे को मोहताज था ये परिवार, अब खेती से इस महिला किसान ने बदल दी तकदीर

Success Story : पहले पैसे-पैसे को मोहताज था ये परिवार, अब खेती से इस महिला किसान ने बदल दी तकदीर

अगर कोई ठान ले कि उसे कुछ अच्छा करना है तो उसे कौन रोक सकता है. ऐसी ही एक कहानी पटना से सटे इलाके की रहने वाली महिला किसान की है. ये महिला किसान संगीता कुमारी हैं जो कई सब्जियों की खेती कर रही हैं और उससे पूरे परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं.

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Success Story : पहले पैसे-पैसे को मोहताज था ये परिवार, अब खेती से इस महिला किसान ने बदल दी तकदीर महिला किसान संगीता कुमारी मशरूम, जीरो टिलेज की मदद से आलू सहित अन्य सब्जियों की खेती करती हैं. फोटो-किसान तक

कृषि प्रधान राज्य बिहार की महिलाएं पुरुष समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. महिलाएं कृषि के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक और समय की मांग के अनुसार खेती करके अपनी सफलता की कहानी लिख रही हैं. पटना जिले की एक ऐसी ही महिला किसान संगीता कुमारी हैं, जो मशरूम, जीरो टिलेज की मदद से आलू सहित अन्य सब्जियों की खेती करके अपने जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ा रही हैं. साथ ही जीविका से जुड़कर ग्रामीण क्षेत्र की अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के गुर सीखा रही हैं. इनका नाम है संगीता कुमारी.

कभी घर के खर्च चलाने के लिए दो से तीन हजार रुपये नहीं हुआ करते थे. मगर आज खेती की बदौलत सालाना करीब दो लाख से अधिक की कमाई कर रही हैं. वे कहती है कि जब खेती से नाता नहीं था, तो जिंदगी काफी कष्टों से गुजर रही थी. लेकिन वर्तमान समय में कृषि ही परिवार की खुशहाली का माध्यम बना हुआ है. 

सब्जी की खेती से  कर रही दो लाख से अधिक की कमाई. फोटो-किसान तक
सब्जी की खेती से महिला किसान की बढ़ी कमाई. फोटो- किसान तक

जिला मुख्यालय पटना से करीब 60 किलोमीटर दूर अथमलगोला प्रखंड के फुलेरपुर गांव की रहने वाली संगीता कुमारी एक बीघा में मशरूम सहित आलू और अन्य फसलों की खेती करती हैं. साथ ही जीविका में सीएम के पद पर कार्यरत हैं. वे 15 समूह को देख रही हैं. सीएम का पद विशेष रूप से समुदाय की ऐसी महिला को दिया जाता है, जो उसी गांव टोला में रहती है. इस महिला का काम जीविका परियोजना के अंतर्गत प्रोत्साहित स्वयं सहायता समूह (SHG) का मार्गदर्शन और बही-खाता का सही तरीके से रखरखाव करना होता है. 

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घर की जरूरतों ने बनाया किसान 

किसान तक को संगीता कुमारी बताती हैं कि 2015 में बेटी की शादी के बाद घर की आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ गई. इसके बाद पति की रजामंदी से एक प्राइवेट स्कूल में 15 सौ की नौकरी शुरू की. लेकिन इतनी कम सैलरी में घर का खर्च चलाना काफी मुश्किल हो रहा था. इसके बाद 2016 में जीविका से जुड़कर सीएम के पद पर  काम करना शुरू किया. उसके बाद 2019 में पटना कृषि विज्ञान केंद्र बाढ़ में मशरूम सहित आधुनिक विधि से खेती करने का प्रशिक्षण लिया. उसके बाद करीब तीस बैग के आसपास मशरूम की खेती से 10 हजार से अधिक की कमाई की.

साथ ही जीरो टिलेज विधि से दो कट्ठा में आलू की खेती की. इसका उत्पादन प्रति कट्ठा में 20 मन से अधिक हुआ. वहीं परंपरागत तरीके से दो कट्ठा जमीन में आलू की खेती से उत्पादन 17 से 18 मन से अधिक नहीं हुआ. आगे वे कहती हैं कि ये एक बीघा में आलू की खेती के साथ मिर्च, बैंगन, टमाटर, गोभी सहित अन्य सब्जियों की खेती करती हैं. जीविका सहित मशरूम और सब्जी की खेती से सालाना दो लाख से अधिक की कमाई कर लेती हैं. 

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जीविका से मिल रही पहचान 

संगीता कुमारी कहती हैं कि बिहार जैसे विकासशील राज्य में महिलाओं को एक अलग पहचान दिलाने में जीविका की  काफी भूमिका है. आज सूबे की कई महिलाएं जीविका से जुड़कर अपनी अलग पहचान बनाने के साथ परिवार का पालन पोषण कर रही हैं. ये कहती हैं कि एक बेटी की शादी में आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था. लेकिन जीविका से जुड़ने के बाद खेती के दम पर दूसरी बेटी की शादी की. साथ ही मकान बनवाया. लेकिन आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ा. 

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