Goat Disease: भेड़-बकरियों के झुंड खत्म कर देती है यह बीमारी, बरसात में होता है सबसे ज्यादा अटैक 

Goat Disease: भेड़-बकरियों के झुंड खत्म कर देती है यह बीमारी, बरसात में होता है सबसे ज्यादा अटैक 

PPR in Sheep-Goat पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (PPR) बीमारी सिर्फ भेड़ों को ही नहीं बकरियों को भी होती है. इसी तरह से शीप पॉक्स जैसी बीमारी बकरियों को गोट पॉक्स नाम से होती है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली इन बीमारियों के लिए खास टीका तैयार कर चुका है. लेकिन फिर भी जरूरी है कि खासतौर पर बरसात के दिनों में भेड़-बकरियों की देखभाल बढ़ा दी जाए.  

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Goat Disease: भेड़-बकरियों के झुंड खत्म कर देती है यह बीमारी, बरसात में होता है सबसे ज्यादा अटैक भेड़-बकरियों में तेजी से फैलती है पीपीआर और शीप पॉक्स बीमारी.

PPR in Sheep-Goat पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (PPR) और शीप पॉक्स बीमारी का जब अटैक होता है तो भेड़ और बकरियों के झुंड के झुंड खत्म हो जाते हैं. देखते ही देखते एक भेड़-बकरी से ये बीमारी पूरे झुंड में फैल जाती है. PPR और शीप पॉक्स फैलती भी इतनी तेजी से है कि पशुपालक को इसके लिए संभलने का मौका भी नहीं मिलता है. हालांकि एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि PPR और शीप पॉक्स का अभी तक कोई इलाज नहीं है. सिर्फ वैक्सीन (टीके) से ही इस बीमारी की रोकथाम की जाती है. यही वजह है कि भेड़-बकरियों की देखभाल में जरा सी चूक होते ही एक-दो नहीं बाड़े में मौजूद सभी भेड़-बकरियों से हाथ धोना पड़ता है. 

क्योंकि पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए पहले से टीका लगवाना जरूरी होता है. दोनों बीमारियों से बचाने के लिए अलग-अलग टीके लगवाए जाते हैं. जिसके चलते पशुपालक की लागत बढ़ जाती है. साथ ही टीकाकरण के दौरान पशु भी तनाव में आ जाता है और उसका असर पशु के उत्पादन पर पड़ता है.  

बरसात में ऐसे फैलती है पीपीआर  

पीपीआर को बकरी का प्लेग के नाम से भी जाना जाता है. किसी एक भेड़-बकरी को होने पर ये तेजी से दूसरे बकरे-बकरी को भी अपनी चपेट में ले लेती है. यह वायरस खासकर बकरियों और भेड़ों की सांस की लार, नाक से निकलने वाला स्राव और दूषित उपकरणों के जरिए फैलता है. इस बीमारी की चपेट में आते ही भेड़-बकरी सुस्त और कमजोर हो जाता है, खाने से मुंह फेरने लगता है. आंखे लाल, आंख, मुंह और नाक से पानी बहने लगता है. बुखार कम होते ही मुंह के अन्दर मसूड़ों और जीभ पर लाल-लाल दाने फूटकर घाव बनने लगते हैं. वक्त के साथ घाव सड़ने लगते हैं. आंखों में कीचड़ पड़ने लगता है. तेज बदबूदार खून और आंव के साथ दस्त लग जाते हैं. कई बार तो बकरी और भेड़ का गर्भ तक गिर जाता है. जब वक्त से टीकाकरण नहीं कराया जाता है तो लगातार दस्त होने और घावों में सड़न बढ़ने के चलते पशु की मौत हो जाती है. 

भेड़-बकरी को पीपीआर से बचाने को उठाएं ये कदम 

पीपीआर रोग से भेड़-बकरियों को बचाने के लिए जरूरी है कि उनका टीकाकरण कराया जाए. अभी तक पीपीआर के कई टीके थे, लेकिन अब आईवीआरआई की इस रिसर्च के बाद एक टीके से ही पीपीआर की रोकथाम हो जाएगी और शीप पॉक्स की भी. जैसे ही भेड़-बकरी में पीपीआर के लक्षण दिखाई दें तो उसे शेड से अलग कर दें. पीडि़त भेड़-बकरी को हेल्दी पशुओं के साथ कभी ना रखें. पीडि़‍त पशु को पानी खूब पिलाएं. 

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