Fish Disease: बरसात में मछलियों को अल्सर से बचाना है तो जरूर करें ये काम, पढ़ें डिटेल 

Fish Disease: बरसात में मछलियों को अल्सर से बचाना है तो जरूर करें ये काम, पढ़ें डिटेल 

Disease in Fish Pond तालाब की मछलियों को अल्सर से बचाने के लिए जरूरी है कि समय-समय पर तालाब की सफाई करते रहें. बीमार मछलियों को अलग हटा दें. तालाब के आकार के हिसाब से ही तालाब में मछलियों की संख्याम रखें. तालाब में और दूसरी मछलियों को न पनपने दें. मछलियों को दाना गुणवत्ताो वाला ही खि‍लाएं. 

Advertisement
Fish Disease: बरसात में मछलियों को अल्सर से बचाना है तो जरूर करें ये काम, पढ़ें डिटेल मछली पालन और तालाब में खाद का इस्तेमाल. (सांकेतिक फोटो)

Disease in Fish Pond फिशरीज एक्सपर्ट का कहना है कि एक दर्जन से ज्यादा छोटी-बड़ी ऐसी बीमारियां हैं जो मछलियों में पाई जाती हैं. इसमे से कुछ का कारण बैक्टी रिया और पैरासाइट होते हैं. इन्हीं में से एक बीमारी है अल्सर. खासतौर पर बरसात के दिनों में इसके फैलने की संभावना ज्यादा रहती हैं. क्योंकि बारिश का पानी तालाब के पानी को भी दूषि‍त कर देता है. और अगर एक मछली को अल्सर बीमारी हो गई तो फिर इसे तालाब की दूसरी मछलियों के बीच फैलने में देर नहीं लगती है. 

जैसे कहा जाता है कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है तो ठीक वैसे ही अल्सर से बीमार एक मछली पूरे तालाब की मछलियों को बीमार कर सकती है. हालांकि इस बीमारी के फैलने के और भी कई कारण हैं. अल्सर के चलते मछलियों की मौत भी हो जाती है. अगर अल्सर पीडि़त मछली बाजार में बिकने आ जाए तो खाने वाले को भी बीमार कर सकती है. 

मछलियों में अल्सबर फैलने की ऐसे करें पहचान

फंगस यानि फफूंद के चलते मछलियों के बीच अल्सनर रोग जल्दीऐ होता है. तालाब, टैंक में पाली जाने वाली मछलियों के साथ ही नदी में रहने वाली मछलियों में भी अल्स‍र रोग होता है. लेकिन एक्संपर्ट का मानना है कि खेत के पास बने तालाब में पलने वाली मछलियों में अल्स र होने की संभावना ज्याादा रहती है. इस बीमारी की पहचान मछलियों के शरीर पर खून जैसे लाल धब्बेस हो जाते हैं. कुछ दिन बाद यही धब्बे  घाव बन जाते हैं और मछलियों की मौत हो जाती है. 

तालाब में अल्स र फैलने लगे तो करें ये उपाय

तालाब को किनारे से इतना ऊंचा उठा दे या बांध बना दें कि उसमे आसपास का गंदा पानी न जाए. खासतौर पर बारिश के मौसम में बरसात होने के बाद तालाब के पानी का पीएच लेवल जरूर चेक करते हैं. या फिर बारिश के दौरान तालाब के पानी में 200 किलो के करीब चूना भी मिलाया जा सकता है. 

मछलियों में होने वाले अल्सर का ये है इलाज 

अगर तालाब की कुछ मछलियों को अल्ससर हो जाए तो उन्हें  अलग कर दें. और अगर तालाब की ज्यातदातर मछलियों में अल्सकर बीमारी फैल गई है तो तालाब में कली का चूना जिसे क्विलक लाइम भी कहते हैं के ठोस टुकड़े डाल दें. एक्सीपर्ट के मुताबिक प्रति एक हेक्टेूयर के तालाब में कम से कम 600 किलो चूना डालें. चूने के साथ ही 10 किलो ब्लीबचिंग पाउडर भी प्रति एक हेक्टेायर के हिसाब से डालें. इसके साथ ही लीपोटेशियम परमेगनेट का घोल भी प्रति एक हेक्टेपयर के तालाब में एक लीटर तक ही डालें.  

ये भी पढ़ें- Fish Farming: कोयले की बंद खदानों में इस तकनीक से मछली पालन कर कमा रहे लाखों रुपये महीना 

ये भी पढ़ें- Cage Fisheries: 61 साल बाद 56 गांव अपनी जमीन पर कर रहे मछली पालन, जानें वजह

POST A COMMENT