पशुओं को कोई भी दिक्कत होने पर सबसे पहले उसके दूध की मात्रा पर असर दिखता है. पशुपालक भी इस बात को अच्छी तरह से जानता है, इसलिए जैसे ही पशु अस्वस्थ्य दिखाई दिया वैसे ही उसका इलाज शुरू हो जाता है. लेकिन इस सब के चलते पशुपालन की लागत बढ़ जाती है. दूध का उत्पादन कम होना और इलाज पर होने वाले खर्च की वजह से पशुपालक को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है. यही वजह है कि बरसात में गाय-भैंस का दूध उत्पादन कम न हो इसके लिए पशुपालक तरह-तरह के उपाय करते हैं. दूध की क्वालिटी बनी रहे इसलिए पशुओं को कई तरह की खुराक दी जाती हैं.
इसके साथ ही एनिमल एक्सपर्ट पशुओं को बरसाती संक्रमण से बचाने के लिए तीन जरूरी काम करने की सलाह भी देते हैं. पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए बताए गए तीनों ही टिप्स पशुओं की देखरेख से जुड़े हुए हैं. अच्छी बात ये है कि तीनों ही टिप्स को अपनाने पर पशुपालक की लागत भी कोई असर नहीं पड़ेगा. पशुपालक अगर इन्हें अपनाते हैं तो पशुओं के बीच बीमारी फैलने की संभावनाएं भी न के बराबर रह जाएंगी.
एनिमल एक्सपर्ट डॉ. दिनेश की मानें तो अगर दूध और उससे बने प्रोडक्ट की क्वालिटी को बढ़ाने के साथ ही बरकरार रखना है तो साफ-सुथरे तरीके से पशु फार्म में दूध उत्पादन करना होगा. इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि रोजाना ही खासतौर पर गर्मियों में पशुओं को नहलाया जाए. ऐसा करने से पशु संक्रमण से दूर रहेगा. जब संक्रमण नहीं होगा तो बीमारियां नहीं होंगी और दवाईयों का खर्च बच जाएगा. वहीं समय-समय पर गाय-भैंस के खुर कटवाते रहें. खुर कटते रहने से भी पशु संक्रमण से बचता है. खासतौर से खुरपका बीमारी पशुओं से दूर रहती है.
तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि बाड़े में पशु जहां बैठता और खड़ा होता है वहां उसका बिस्तर साफ रहे. जैसे सर्दियों में रबर की मैट बिछाई गई है तो उसे हमेशा साफ रखें. गर्मियों में अगर कच्चे-पक्के फर्श पर पशु बैठता या खड़ा होता है तो उस जगह को भी अच्छी तरह से साफ करते रहें. गाय-भैंस की बैठने और खड़े होने वाली जगह भी अगर साफ रहती है तो तमाम तरह की बीमारियों का अटैक पशुओं पर नहीं होता है.
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