Goat Disease in Rainy Season जब पशु चिकित्सक पशुपालक से ये कहते हैं कि बरसात के दिनों में अपने पशुओं को हरा चारा कम खिलाओं, अगर खिलाना जरूरी भी हो तो कुछ उपाय कर लिए जाएं, ये बात सुनकर पशुपालक चौंकते हैं. वो सोचते हैं कि हरा चारा नहीं खिलाएंगे तो पशु दूध कैसे देगा. मीट के लिए पशु की ग्रोथ कैसे होगी. और इन्हीं सब सवालों के बीच कुछ पशुपालक पशु चिकित्सक की बातों को अनसुना कर पशुओं को बरसात में भी भरपूर हरा चारा खिलाते हैं. और उसी का नतीजा होता है कि पशु फिर वो चाहें भेड़-बकरी हो या गाय-भैंस बीमार पड़ जाते हैं. खासतौर पर अगर बकरियों की बात करें तो बरसात में उन्हें डायरिया और पेट में कीड़ों की परेशानी घेर लेती है.
इससे जहां लगातार उत्पादन घटता है, वहीं बकरियों की मौत का जोखिम भी बना रहता है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के एक्सपर्ट का कहना है कि अगर छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर बकरियों की निगरानी की जाए तो बकरियों को होने वाली बीमारी का पहले से ही पता लगाया जा सकता है.
सीआईआरजी के एक्सपर्ट की मानें तो किसी भी बकरी में बीमारी का पता लगाने के लिए ये जरूरी नहीं है कि उसे डॉक्टर के पास ले जाया जाए. अगर बकरी के पेट में होने वाले कीड़ों के बारे में बात करें तो घर पर ही इसका पता लगाया जा सकता है. क्योंकि बकरी में होने वाले बदलावों को देखकर पशुपालक उसके बीमार होने का पला लगा सकते हैं. जैसे भेड़-बकरी के अंदर जब हिमोकस नाम का पैरासाइड पलने लगता है तो भेड़-बकरी की आंखों में बदलाव होने लगता है. क्योंकि हिमोकस भेड़-बकरी का खून चूसता है. और जब यह खून चूसने लगता है तो इसकी संख्या भी बढ़ने लगती है.
अगर स्वस्थ भेड़-बकरी की बात करें तो उसकी आंखें चमकीली लाल-गुलाबी होती हैं. लेकिन अगर उसके पेट में हिमोकस है तो आंख हल्की गुलाबी हो जाती है. जैसे-जैसे हिमोकस की संख्या बढ़ती जाती है और वो खून चूसते हैं तो भेड़-बकरी की आंख सफेद पड़ने लगती है. जिसका मतलब यह है कि भेड़ या बकरी में खून की कमी हो रही है.
एक्सपर्ट का कहना है कि स्वस्थ बकरी गोल, चमकदार और सॉलिड मेंगनी करती है. इसी से पता चल जाता है कि बकरी को कोई बीमारी नहीं है. अगर बकरी की मेंगनी आपस में चिपकी हुई और गुच्छे की शक्ल में आ रही है तो अलर्ट होने की जरूरत है. ये संकेत है कि आपकी बकरी बीमार होने वाली है. अगर मेंगनी पेस्ट जैसी कर रही है तो इसका मतलब कि बकरी की आंत में किसी न किसी तरह का इंफेक्शन हो चुका है. या फिर बकरी डायरिया की चपेट में आ चुकी है. ऐसे में सबसे पहले पशुपालक उन मेंगनी को एक जिप वाली पॉलीथिन में भरकर पशु चिकित्सा से जुड़ी किसी लैब में ले जाकर उसकी जांच करा ले.
बकरी के यूरिन की निगरानी से भी बकरियों की बीमारी के बारे में पता चल जाता है. पशुपालकों को ये देखते रहना चाहिए कि अगर बकरी का यूरिन भूसे यानि हल्के पीले रंग का है तो वो सामान्य है. अगर गहरे पीले रंग का यूरिन आ रहा है तो इसका मतलब बकरे-बकरी ने पानी कम पिया है और उन्हें डिहाइड्रेशन है. और अगर यह रंग और ज्यादा गहरा पीला हो जाए और उसमे लालपन आने लगे तो समझ जाइए कि बकरी और बकरे के यूरिन की जगह पर कोई चोट लगी है. और अगर कभी यूरिन कॉफी कलर का आने लगे तो समझिए कि उसके खून में इंफेक्शन है.
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