पहले खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) बीमारी पशुओं के लिए जानलेवा बीमारी बन गई थी. लेकिन टीकाकरण की मदद से इस पर काबू पा लिया गया है. लेकिन अब लंपी, स्वा इन फ्लू और बर्ड फ्लू जैसी बीमारियां सामने खड़ी हो गई हैं. परेशानी की बात ये है कि पशुओं की कुछ बीमारियां इंसानों को भी अपनी चपेट में ले रही हैं. बीते कुछ वक्त से एक बार फिर लंपी ने गायों को अपनी चपेट में ले लिया है. लेकिन ऐसी ही बीमारियों पर काबू पाने के लिए नेशनल वन हैल्थ मिशन (एनओएचएम) शुरू किया गया है.
जी-20 महामारी कोष भी इस पर बड़ी रकम खर्च कर रहा है. हाल ही में भारत को इस कोष से 25 मिलियन डालर मिलने की घोषणा हुई है. वलर्ड बैंक और एशियन डवलपमेंट बैंक भी ऐसी बीमारियों से निपटने के लिए भारत को मदद कर रहे हैं. केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (डीएएचडी) देश में एनओएचएम का संचालन कर रहा है.
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नेशनल वन हैल्थ मिशन के तहत लंपी जैसी बीमारियों से निपटने के लिए एक प्लान तैयार किया गया है. जानकारों की मानें तो प्लान के तहत तीन लेवल पर सात बड़े काम किए जाएंगे.
पहले नंबर पर नेशनल और स्टेट लेवल पर महामारी की जांच को संयुक्त टीम बनेगी.
महामारी फैलने पर संयुक्त टीम रेस्पांस करेगी.
नेशनल लाइव स्टॉक मिशन की तरह से सभी पशुओं के रोग की निगरानी का सिस्टम तैयार किया जाएगा.
मिशन के रेग्यूलेटरी सिस्टम को मजबूत बनाने पर काम होगा. जैसे नंदी ऑनलाइन पोर्टल और फील्ड परीक्षण दिशा-निर्देश.
महामारी फैलने से पहले लोगों को उसके बारे में चेतावनी देने के लिए सिस्टम बनाने पर काम होगा.
नेशनल डिजास्टर मैंनेजमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर जल्द से जल्द महामारी की गंभीरता को कम करना.
प्राथमिक रोगों के टीके और उसका इलाज विकसित करने के लिए तय अनुसंधान कर उसे तैयार करना.
रोग का पता लगाने के तय समय और संवेदनशीलता में सुधार के लिए जीनोमिक और पर्यावरण निगरानी फार्मूले तैयार करना जैसे काम होंगे.
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एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो कोविड, स्वाइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत और भी न जानें ऐसी कितनी महामारी हैं जो पशु-पक्षियों से इंसानों में आई हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 1.7 मिलियन वायरस जंगल में फैले होते हैं. इसमे से बहुत सारे ऐसे हैं जो जूनोटिक हैं. जूनोटिक वो होते हैं जो पशु-पक्षियों से इंसान में फैलते हैं. जूनोटिक के ही दुनिया में हर साल एक बिलियन केस सामने आते हैं और इससे एक मिलियन मौत हो जाती हैं. अब वर्ल्ड लेवल पर इस पर काबू पाने की कवायद शुरू हो गई है. भारत में भी एनओएचएम के नाम से अभियान शुरू कर दिया गया है.