आइसक्रीम का नाम आते ही बच्चों के मुंह में पानी आना लाजमी है. शायद ही कोई ऐसा बच्चास होगा जिसे आइसक्रीम अच्छी ना लगती हो. हालांकि मां-बाप अक्सरर बच्चों को ज्यादा आइसक्रीम खाने से रोकते हैं. लेकिन हम यहां एक ऐसी आइसक्रीम के बारे में बात करने जा रहे जिसके लिए मां-बाप बच्चों के पीछे-पीछे भी भागेंगे कि बच्चे खा ले, आइसक्रीम खा ले. अगर कुपोषण से पीड़ित बच्चों की बात करें तो उसमे भारत की रैंकिंग अच्छी नहीं है. हालांकि इसके पीछे कई वजह हैं, लेकिन फिर भी सामाजिक जिम्मेदारी बनती है कि कुपोषण के खिलाफ सभी सेक्टर एकजुट होकर लड़ें.
ये कहना है नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनडीआरआई) के डायरेक्टर डॉ. धीर सिंह का. किसान तक को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा करते हुए बताया कि एनडीआरआई ने कुपोषण को देर करने के लिए एक आइसक्रीम बनाई है. अगर कुपोषण से पीड़ित बच्चे और बड़ों को ये आइसक्रीम खिलाई जाए तो उन्हें इससे फायदा मिलेगा. आइसक्रीम बनकर तैयार हो चुकी है. जल्द् ही बाजार में भी आ जाएगी. आइसक्रीम की कीमत के बारे में भी खासतौर से ये ख्यासल रखा गया है कि इसे कमजोर वर्ग के बच्चेी भी खा सकें.
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डायरेक्टर डॉ. धीर सिंह ने बताया कि आमतौर पर किसी भी आइसक्रीम में 3.5 फीसद तक प्रोटीन की मात्रा होती है. लेकिन हमने जो आइसक्रीम बनाई है उसमे प्रोटीन की मात्रा 8 से 10 फीसद तक है. इस हाई प्रोटीन आइसक्रीम को खाने से कुपोषण पीड़ित बच्चों की बीमारी दूर हो जाएगी. इस आइसक्रीम को सभी उम्र के लोग खा सकते हैं. आइसक्रीम का फार्मूला पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है. हमने संस्थान में आइसक्रीम बनाकर भी देख ली है.
डॉ. धीर सिंह ने बताया कि अब हम आइसक्रीम का फार्मूला बेचने के लिए तैयार हैं. दक्षिण भारत की बड़ी आइसक्रीम कंपनी हटसन ने हमारे संस्थान से संपर्क किया है. और दूसरी कंपनियां भी फार्मूला खरीदने के लिए आ रही हैं. कंपनी को फार्मूला ट्रांसफर करने के बाद उनके टेक्निकल स्टॉफ को एनडीआरआई में ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद कंपनी लाइसेंस आदि की प्रक्रिया पूरी करने के बाद इस आइसक्रीम को बाजार में उतार देगी.
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आइसक्रीम तैयार करने के दौरान उसमे प्रोटीन की मात्रा बढ़ाना कोई आसान काम नहीं था. लेकिन एनडीआरआई के एक्सपर्ट साइंटिस्ट की बदौलत तीन साल में इसे तैयार कर लिया गया. आइसक्रीम बनाने वाली टीम में डॉक्टर. एसए.हुसैन, डॉ. ऋतधाम प्रसाद और डॉ. योगेश खेत्रा शामिल थे.