किसी भी पोल्ट्री फार्म में अंडे के लिए पाले जाने वाले चूजों की संख्या पांच हजार से कम नहीं होती है. अगर चिकन वाले ब्रॉयलर चूजों की बात करें तो इनकी संख्या कम से कम 10 से 20 हजार होती है. लेकिन जैसे ही चूजे हैचरी से पोल्ट्री फार्म में आते हैं तो आने के साथ ही तीन से छह हफ्ते तक उनके बीमार होने का जोखिम बना रहता है. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो चूजों में होने वाली गम्बोरो आम बीमारी है. हालांकि पशु-पक्षियों को बीमारी से बचाने के लिए वैक्सीन लगाई जाती है, लेकिन चूजों को गम्बोरो से बचाने के लिए तीन हफ्ते से पहले वैक्सीन भी नहीं लगा सकते हैं.
जिसके चलते चूजे बीमार हो जाते हैं. इम्यूनिटी कमजोर हो जाने के चलते पोल्ट्री फार्मर इनका पालन नहीं करते हैं. इस सब के चलते पोल्ट्री फार्मर को लाखों का नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, (IVRI), बरेली ने एक खास वैक्सीन बनाई है. इस वैक्सीन को लगाने के बाद चूजे गम्बोरो बीमारी की चपेट में नहीं आएंगे.
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वैक्सीन की रिसर्च पर काम करने वालीं और आईवीआरआई की साइंटिस्ट सोहिनी डे ने किसान तक को बताया कि हमारी वैक्सीन एक दिन के चूजे को दी जा सकेगी. इस वैक्सीन के लगने के बाद चूजा गम्बोरो से बीमार नहीं होगा. ये वैक्सीन कई मायनों में खास है. ऐसा नहीं है कि अभी तक गम्बोरो की कोई वैक्सीन नहीं थी. वैक्सीन तो थी, लेकिन उसे एक दिन के चूजे को नहीं लगा सकते थे. ऐसा करने से और कई सारी दूसरी परेशानियां खड़ी हो जाती थीं. लेकिन नई वैक्सीन से ऐसा कुछ नहीं होगा. सोहिनी डे का दावा है कि ये अपने तरीके की भारत की पहली वैक्सीन है. वैक्सीन को तैयार करने में साइंटिस्ट डॉ. सी. मदनमोहन और डॉ. आर. सरवनन भी शामिल रहे हैं.
आईवीआरआई के डायरेक्टर डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि वैक्सीन के बाजार में जल्द ही आने की उम्मीद है. वैक्सीन का फार्मूला कमर्शियल तौर पर देश की बड़ी कंपनी हेस्टर को 35 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया गया है. अब जल्द ही कंपनी की एक टीम हमारे संस्थान में आएगी. उन्हें 15 दिन की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद कंपनी ड्रग लाइसेंस की प्रक्रिया वगैरह पूरी करने के बाद इसका उत्पादन शुरू कर देगी.
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डॉ. सोहिनी डे ने बताया कि गम्बोरो बीमारी होने से चूजों की इम्यूनिटी खत्म हो जाती है. गम्बोरो चूजे के बर्सा अंग पर हमला करता है जहां से इम्यूनिटी बनती है. जिसके चलते उन्हें जल्दी-जल्दी और दूसरी बीमारियां भी अपनी चपेट में ले लेती है. अगर गम्बोरो के लक्षणों की बात करें तो चूजे को पतले दस्त लग जाते हैं. इनका विकास रुक जाता है. ये पुन: संयोजित वैक्सीन है. इस वैक्सीन से चूजों की मौत को रोका जा सकता है.
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