देशभर में प्याज की कीमतों को लेकर किसान परेशान हैं, क्योंकि उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है. महाराष्ट्र से लेकर मध्य प्रदेश, दोनों ही प्रमुख उत्पादक राज्यों में थोक भाव कुछ खास नहीं है. हालांकि, महाराष्ट्र में हाल के दिनों में दाम जरूर बढ़े हैं, लेकिन किसान अभी भी घाटा होने की बात कह रहे हैं, क्योंकि वर्तमान कीमतें प्रति क्विंटल लागत से कम हैं. ऐसे में जानिए मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज का भाव...
मध्य प्रदेश में प्याज की कीमतों का हाल
मध्यप्रदेश की अलग-अलग मंडियों में 22 अगस्त 2025 को प्याज की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. कुछ मंडियों जैसे होशंगाबाद और नीमच में प्याज की अधिकतम कीमत 1900 रुपये प्रति क्विंटल के करीब पहुंची, जबकि शाजापुर और शुजालपुर जैसी जगहों पर न्यूनतम कीमतें 300–500 रुपये तक सीमित रहीं. इंदौर और भोपाल की मंडियों में प्याज का औसत भाव 1100–1300 रुपये के बीच बना रहा. वहीं, हरदा की टिमरनी मंडी में स्थानीय प्याज का एक ही स्तर पर भाव (1000 रुपये प्रति क्विंटल) दर्ज किया गया.
- शाजापुर जिले की आगर मंडी में Non-FAQ ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 500 रुपये प्रति क्विंटल, अधिकतम कीमत 1100 रुपये और मॉडल कीमत 1100 रुपये दर्ज की गई.
- सीहोर जिले की आष्टा मंडी में FAQ ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 400 रुपये, अधिकतम कीमत 1300 रुपये और मॉडल कीमत 700 रुपये रही.
- भोपाल मंडी में FAQ ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 600 रुपये, अधिकतम 1450 रुपये और मॉडल कीमत 1300 रुपये दर्ज की गई.
- होशंगाबाद (F&V) मंडी में FAQ ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 1300 रुपये, अधिकतम 1990 रुपये और मॉडल कीमत 1410 रुपये रही.
- इंदौर मंडी (FAQ ग्रेड प्याज) में न्यूनतम कीमत 354 रुपये, अधिकतम 1279 रुपये और मॉडल कीमत 1154 रुपये रही.
- इंदौर मंडी (Non-FAQ ग्रेड प्याज) में न्यूनतम कीमत 608 रुपये, अधिकतम 1511 रुपये और मॉडल कीमत 1154 रुपये रही.
- शाजापुर जिले की कालापीपल मंडी में FAQ ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 460 रुपये, अधिकतम 540 रुपये और मॉडल कीमत 540 रुपये रही.
- नीमच मंडी में FAQ ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 1091 रुपये, अधिकतम 1376 रुपये और मॉडल कीमत 1376 रुपये रही.
- शाजापुर जिले की शुजालपुर मंडी में FAQ ग्रेड लाल प्याज की न्यूनतम कीमत 300 रुपये, अधिकतम 1414 रुपये और मॉडल कीमत 450 रुपये दर्ज हुई.
- हरदा जिले की टिमरनी (F&V) मंडी में Non-FAQ ग्रेड लोकल प्याज की न्यूनतम, अधिकतम और मॉडल कीमत 1000 रुपये प्रति क्विंटल रही.
महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज का भाव
महाराष्ट्र महाराष्ट्र की अलग-अलग मंडियों में प्याज के दामों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. कहीं न्यूनतम भाव 100 रुपये प्रति क्विंटल तक गिरा तो कहीं अधिकतम 2600 रुपये तक पहुंचा. मॉडल कीमतें ज्यादातर 1100 से 1700 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहीं.
- अमरावती (फ्रूट एंड वेजिटेबल मार्केट) – लोकल ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 800 रुपये, अधिकतम 2600 रुपये और मॉडल कीमत 1700 रुपये प्रति क्विंटल रही.
- जलगांव (भुसावल मंडी) – लोकल ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 1000 रुपये, अधिकतम 1500 रुपये और मॉडल कीमत 1200 रुपये प्रति क्विंटल रही.
- नाशिक (चांदवड मंडी) – लोकल ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 552 रुपये, अधिकतम 1588 रुपये और मॉडल कीमत 1400 रुपये प्रति क्विंटल रही.
- नागपुर (हिंगणा मंडी) – लोकल ग्रेड लाल प्याज की न्यूनतम कीमत 1200 रुपये, अधिकतम 2000 रुपये और मॉडल कीमत 1525 रुपये प्रति क्विंटल रही.
- पुणे (जुन्नर–आलेफाटा मंडी) – लोकल ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 1000 रुपये, अधिकतम 2010 रुपये और मॉडल कीमत 1550 रुपये प्रति क्विंटल रही.
- पुणे (मोशी मंडी) – लोकल ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 700 रुपये, अधिकतम 1800 रुपये और मॉडल कीमत 1250 रुपये प्रति क्विंटल रही.
- अहमदनगर (राहता मंडी) – लोकल ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 800 रुपये, अधिकतम 2200 रुपये और मॉडल कीमत 1650 रुपये प्रति क्विंटल रही.
- शोलापुर (सोलापुर मंडी) – लोकल ग्रेड लाल प्याज की न्यूनतम कीमत 100 रुपये, अधिकतम 2350 रुपये और मॉडल कीमत 1150 रुपये प्रति क्विंटल रही.
कब बढ़ेंगी प्याज की कीमतें ?
महाराष्ट्र के किसान नेता भरत दिघोले के मुताबिक, बांंगलादेशी आयात खुलने से प्याज की कीमतों में करीब दोगुना उछाल आया है. लेकिन यह अभी भी लागत से काफी कम है. मालूम हो कि पिछले काफी समय से महाराष्ट्र के प्याज किसान 3000 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं. साथ ही निर्यात को लेकर एक स्थिर नीति की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें बढ़कर दाम मिल सके. ऐसे में अगर सरकार इस पर जल्दी कोई फैसला लेती है तो निर्यात बढ़ने से किसानों को बढ़कर दाम मिलने की उम्मीद है. हालांकि, सरकार की ओर से इस बारे में कोई ठोस पहल देखने को नहीं मिली है.
बता दें कि पिछले साल ज्यादा बुवाई के कारण बंपर उत्पादन और पड़ोसी देशों से मिली कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते इस साल भारत में प्याज के थोक दामों को झटका लगा है. किसानों में एक प्रचलित ट्रेंड देखा गया है, जब किसान किसी साल घाटा खाते हैं तो अगले साल उस फसल की बुवाई कम कर देते हैं, जिससे उत्पादन गिर जाता है और नए फसल वर्ष में दाम बढ़ जाते हैं. हालांकि, भारत में यह स्थिति इसलिए भी बनती है, क्योंकि यहां ज्यादातर किसान छोटी जोत वाले हैं.