लाल प्याज के लिए मशहूर राजस्थान के अलवर जिले में प्याज की बुवाई शुरू हो गई है. अगस्त महीने में बुवाई जारी रहेगी. लगभग 80 से 90 दिनों में प्याज की फसल तैयार होकर बिक्री के लिए बाजार में पहुंच जाती है. पिछले साल किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिले थे. ऐसे में इस बार भी किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिलने की उम्मीद है. अलवर से प्याज नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, कजाकिस्तान और आसपास के खाड़ी देशों में सप्लाई किया जाता है.
नासिक देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी है, उसके बाद अलवर दूसरी सबसे बड़ी प्याज मंडी है. पूरे देश में अलवर से प्याज की आपूर्ति की जाती है. लाल सोना कहे जाने वाले प्याज की बुवाई अलवर जिले में शुरू हो चुकी है. किसान अपने परिवार के साथ खेतों में प्याज बोने के काम में जुट गए हैं. पहले अलवर जिले के किसानों को प्याज के बीज खरीदने पड़ते थे. लेकिन अब किसान खुद प्याज के बीज तैयार करते हैं और पूरे देश में आपूर्ति करते हैं. किसान गर्मियों में प्याज के बीज तैयार करते हैं और अगस्त महीने में प्याज के बीज तैयार हो जाते हैं. उसके बाद अगस्त महीने में खेतों में प्याज बोने का काम शुरू हो जाता है. दिसंबर तक प्याज की फसल बाजार में आ जाती है.
अलवर का लाल प्याज अब एक प्रमुख फसल बनता जा रहा है. यह फसल अलवर की अर्थव्यवस्था का आधार है. प्याज किसानों को भारी मुनाफा देता है. हालांकि, अन्य फसलों की तुलना में प्याज की बुवाई की लागत भी अधिक है. इसलिए, किसान चिंतित हैं कि कहीं कीमत कम न हो जाए या प्याज की फसल में रोग न लग जाए. अगर ऐसा होता है, तो किसानों को भारी नुकसान होगा. पिछले साल प्याज के बेहतर दाम किसे मिले थे? क्योंकि महाराष्ट्र, कर्नाटक और आसपास के इलाकों में ज़्यादा बारिश के कारण प्याज की फसल खराब हो गई थी. इसलिए, अलवर से पूरे देश में प्याज की आपूर्ति की गई थी. इस बार भी किसानों को प्याज के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद है.
देश के अलावा, अलवर का प्याज नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, कज़ाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान समेत पड़ोसी खाड़ी देशों में भी सप्लाई होता है. यह प्याज स्वाद में तीखा होता है. इसलिए मांसाहारी लोग इसे खूब पसंद करते हैं.
अलवर के प्याज में नमी होती है. इसलिए, इन्हें लंबे समय तक भंडारण करना संभव नहीं है. जैसे ही बाजार में प्याज की ज़रूरत होती है, देश भर के व्यापारी अलवर पहूंचकर प्याज खरीदते हैं और फिर मांग के अनुसार देश के विभिन्न राज्यों में प्याज की आपूर्ति की जाती है.
अलवर जिले में हर साल प्याज की खेती का रकबा बढ़ रहा है. अलवर के आसपास के दोसा, भरतपुर, करौली, सीकर, झुंझुनू के वन क्षेत्रों में भी प्याज उगाया जाता है. लेकिन अलवर में प्याज की मांग सबसे ज़्यादा है. अलवर देश की दूसरी सबसे बड़ी प्याज मंडी है. इसलिए, अलवर के आसपास के इलाकों से भी प्याज बिक्री के लिए अलवर की मंडी में आता है. (हिमांशु शर्मा का इनपुट)