बिहार में मंडी व्यवस्था खत्म हुए करीब दो दशक हो चुके हैं, जिसके बाद से राज्य के किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, इन समस्याओं को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार विभिन्न जिलों में कृषि उपज बाजार प्रांगण (मंडी) के निर्माण सहित जीर्णोद्धार के काम करा रही है. ताकी किसानों को फिर से अपनी उपज को बेचने के लिए बाजार मिल सके और किसानों को इधर उधर भटकना नहीं पड़े.
उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि कैमूर जिले के मोहनिया और सीतामढ़ी के कृषि उपज बाजार प्रांगण (मंडी) का काम पूरा कर लिया गया है. शेष 19 कृषि उपज बाजार प्रांगणों (मंडी) का काम जल्द से जल्द पूर्ण कराने के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड को निर्देश दिया गया है.
कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि कैमूर जिले के मोहनिया और सीतामढ़ी में तैयार किए गए कृषि उपज बाजार आज के समय की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं, जो आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हैं. मोहनिया कृषि उपज बाजार के निर्माण पर कुल 3841.79 लाख रुपये की लागत आई है, वहीं सीतामढ़ी कृषि उपज बाजार प्रांगण के निर्माण पर 4767.59 लाख रुपये व्यय किए गए हैं.
उन्होंने ने बताया कि इन दोनों बाजार परिसरों में वेंडिंग प्लेटफॉर्म, दुकानें, वे-ब्रिज, जल निकाय, प्रशासनिक भवन, श्रमिक विश्राम गृह, अतिथि गृह, मछली बाजार और सोलर पैनल जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. अब ये दोनों बाजार प्रांगण पूरी तरह से आधुनिक और विकसित संरचना का स्वरूप ले चुके हैं.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इन बाजार प्रांगणों के बनवाने का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसल और कृषि उपज का लाभकारी मूल्य दिलाना है, जिसके लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं, अब किसान अपनी उपज को बाजार प्रांगण में लाकर सुरक्षित तरीके से भंडारित और बेहतर दाम पर बेच सकेंगे. इन सुविधाओं से किसानों को दलालों और बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. साथ ही, उन्हें अपनी मेहनत का उचित मूल्य भी मिल सकेगा. उन्होंने बताया कि आधुनिक कृषि उपज बाजार प्रांगणों में व्यापारियों, उद्यमियों, प्रसंस्करण इकाइयों और निर्यातकों की भी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है.
कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बाजार प्रांगणों के आधुनिकीकरण से कृषि उत्पादों के मूल्य निर्धारण और मूल्यवर्धन की दिशा में नई संभावनाएं खुलेंगी. इससे किसानों, व्यापारियों और उद्यमियों की लागत घटेगी, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और राज्य में कृषि आधारित रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.