मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में सोयाबीन फसल को नुकसान पहुंचाने वाले एचपीएम केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के उत्पाद की जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने सख्त कदम उठाए हैं. जांच में Chlorimuron Ethyl 25% WP मिसब्रांडेड पाया गया, जिसके बाद राजस्थान सरकार ने कंपनी का लाइसेंस निलंबित कर दिया है और एफआईआर दर्ज की गई है. कंपनी के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है.
कृषि मंत्रालय ने अपने बयान में साफ कहा है कि किसानों के साथ धोखाधड़ी या ठगी करने वालों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी. किसानों से अपील की गई है कि वे किसी भी तरह की संदिग्ध खाद, बीज या कीटनाशक की जानकारी तुरंत साझा करें. इसके लिए कृषि मंत्रालय ने टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1800-180-1551 जारी किया है. किसान इस नंबर पर कॉल कर नकली उत्पादों की शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
बता दें कि खरीफ सीजन की शुरुआत से पहले ही केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से धोखाधड़ी को लेकर सख्त चेतावनी दी थी कि किसी भी हाल में अन्नदाताओं के साथ गलत नहीं होना चाहिए और उनका नुकसान नहीं होना चाहिए. किसान की फसल का नुकसान होने से सिर्फ उन्हें आर्थिक नुकसान ही नहीं होता, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा पर भी संकट खड़ा होता है.
बीते दिनों शिवराज सिंह चौहान ने जैव उत्प्रेरक (Bio Stimulants) के खिलाफ भी मोर्चा खोला था, क्योंकि इन्हें लेकर लगातार किसानों की शिकायतें आ रही थीं कि इनसे उनकी उपज को कोई फायदा नहीं हो रहा. ये ऐसे कृषि उत्पाद हैं, जो खाद और कीटनाशक नहीं है, लेकिन पौधों के विकास और उनकी बीमारियों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि करते हैं. चौहान की नाराजगी के बाद इन पर भी एक्शन लिया जा रहा है.
केंद्र सरकार ने बायोस्टिमुलेंट के स्थायी रजिस्ट्रेशन के लिए नया नोटिफिकेशन जारी किया है. अब कंपनियां बिना वैज्ञानिक ट्रायल और टेस्टिंग के बायोस्टिमुलेंट नहीं बेच सकेंगी. यह कदम किसानों के साथ धोखाधड़ी रोकने और प्रभावहीन उत्पादों को बाज़ार से हटाने के लिए है.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कंपनियों की मनमानी पर सख्ती दिखाई है. इस आदेश का पालन होने पर किसानों को गुणवत्तापूर्ण और प्रमाणित बायोस्टिमुलेंट उपलब्ध होंगे. इससे कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी और धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी.