दुनिया की आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इसके साथ ही शहरीकरण भी तेजी से बढ़ रहा है. नतीजतन मिट्टी कम होती जा रही है. ऐसे में समझा जा रहा है कि खेती का दायरा सिकुडेगा और आने वाले समय में खाद्यान्न संकट गहरा सकता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक मिट्टी रहित खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. ये एक तकनीक है, जिसमें वर्टिकल खेती की जाती है. ये तकनीक लोंगो को धूप की रोशनी वाले उपयोगी क्षेत्रों जैसे बालकनियों और छतों पर न केवल सब्जी उगाने में मदद करती है बल्कि इस वर्टिकल फार्मिंग में औषधीय और सजावटी पौधे भी उगाए जा सकते हैं. आइए जानते हैं कि मिट्टी रहित खेती के प्रकार क्या हैं और कैसे मिट्टी रहित खेती की जा सकती है.
ड्रिप सिस्टम- ड्रिप सिस्टम मिट्टी रहित खेती की एक तकनीक है. जो कोको कॉयर, पीट मॉस जैसे बढ़ते माध्यमों वाले पौधे उगाती है. इस प्रणाली में टाइमर सेट किया जाता है और इसमें पौधे पर पंप के द्वारा पानी दिया जाता है. इस प्रणाली के खेती करने से बेहतर लाभ मिलता है.
हाइड्रोपोनिक्स- हाइड्रोपोनिक्स एक मिट्टी रहित तकनीक है. इस तकनीक में उचित मात्रा में पौधों के विकास के लिए ऑक्सीजन प्रदान किया जाता है. यह शहरी क्षेत्रों में ताजी सब्जियों और फलों को उगाने के लिए एक उपयुक्त तरीका है. जहां संसाधनों की कम पहुंच हो और कृषि योग्य भूमि न हो वहां भी इस तकनीक से खेती की जा सकती है. साथ ही इस मिट्टी रहित खेती के इस प्रणाली से पारंपरिक खेती की तुलना में 20 से 25 प्रतिशत अधिक उपज और लाभ होता है.
एरोपोनिक्स- एरोपोनिक्स तकनीक में पौधों की जड़ें हवा में रहती हैं और पौधे बिना मिट्टी के नम वातावरण में बढ़ते हैं. हालांकि पौधों की जड़ों पर नियमित अंतराल पर पानी और पोषक तत्वों के घोल का छिड़काव किया जाता है. इस विधि से पानी और उर्वरकों का कम इस्तेमाल होता है. वहीं इस विधि में किसी भी कीटनाशकों का भी प्रयोग नहीं किया जाता है. क्योंकि पौधे को नियमित वातावरण में उगाया जाता है.
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मिट्टी रहित खेती अब समय की मांग बनती जा रही है. क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करती है. साथ ही पानी का बर्बादी और मिट्टी को प्रदूषित होने से बचाती है. इस तकनीक के उपयोग से बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद और उच्च उपज की ज्यादा संभावना है.