scorecardresearch
Rajasthan:बैंक लोन नहीं चुका पाने वाले किसानों की जमीन अब नहीं होंगी नीलाम

Rajasthan:बैंक लोन नहीं चुका पाने वाले किसानों की जमीन अब नहीं होंगी नीलाम

राजस्थान में बैंकों का लोन नहीं चुका पाने वाले किसानों की जमीन अब नीलाम नहीं होंगी. इसके लिए सरकार राजस्थान फार्मर्स डेबिट रिलीफ एक्ट ला रही है. आयोजना मंत्री ममता भूपेश ने विधानसभा में कहा कि बैंकों का लोन नहीं चुका पाने के कारण किसानों की जमीन कुर्की को लेकर राज्य सरकार चिंतित है.

advertisement
राजस्थान सरकार किसानों की जमीन कुर्की रोकने के लिए राजस्थान फार्मर्स डेबिट रिलीफ एक्ट ला रही है राजस्थान सरकार किसानों की जमीन कुर्की रोकने के लिए राजस्थान फार्मर्स डेबिट रिलीफ एक्ट ला रही है

राजस्थान सरकार क‍िसानों के ह‍ितों में बड़ा काम करने जा रही है. ज‍िसके बाद बैंकों का लोन नहीं चुका पाने वाले किसानों की जमीन  नीलाम नहीं होंगी. इसके लिए सरकार राजस्थान फार्मर्स डेबिट रिलीफ एक्ट ला रही है. मंत्री ममता भूपेश ने विधानसभा में कहा कि बैंकों का लोन नहीं चुका पाने के कारण किसानों की जमीन कुर्की को लेकर राज्य सरकार चिंतित है. इसलिए बजट 2023-24 में सीएम अशोक गहलोत ने कृषि बजट में यह बिल लाने की घोषणा की थी. मंत्री ने जानकारी दी कि बिल लाने के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व जज को डेट रिलीफ कमीशन का अध्यक्ष नियुक्त किया जाना प्रस्तावित है. 

मंत्री प्रश्नकाल के दौरान विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रही थीं. उन्होंने कहा कि कुर्की से संबंधित नियमों में संशोधन करके इस प्रकार के ठोस नियम बनें, जिससे कि किसानों की जमीन की कुर्की न हो.

तीन साल में 32 किसानों की जमीन कुर्क हुई

आयोजना मंत्री भूपेश ने जानकारी दी कि बीते तीन वर्षों में कर्जा नहीं चुकाने के कारण 32 किसानों की जमीन नीलाम हुईं हैं. जिसमें 31 प्रकरण राजस्व विभाग तथा एक प्रकरण सहकारिता विभाग से संबंधित है. भूपेश ने बताया कि किसानों की 5 एकड़ तक की कृषि भूमि को कुर्की एवं नीलामी से बचाने के लिए राज्य सरकार ने सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 विधानसभा में पारित कराया था.

ये भी पढ़ें- इंदि‍रा गांधी नहर को मिलेगा 10550 क्यूसेक पानी, बीबीएमबी की बैठक में हुआ निर्णय

इस विधेयक पर 27 जनवरी 2022 को राज्यपाल ने हस्ताक्षर कर दिए. इसके बाद से यह राष्ट्रपति स्तर पर अनुमति के लिए है. उन्होंने  बताया कि भविष्य में उपखण्ड अधिकारियों के आदेशों से किसानों की पांच एकड़ तक की कृषि भूमि की कुर्की एवं नीलामी नहीं की जाएगी. 

जानिए राजस्थान सरकार ने किसानों की कर्ज माफी के लिए क्या किया 

प्रदेश के किसानों की कर्ज माफी के लिए राज्य सरकार की ओर से कृषक ऋण माफी के लिए 19 दिसम्बर 2018 को आदेश जारी किया था. इस आदेश की क्रियान्विति के लिए कैबिनेट के 29 दिसम्बर 2018 के निर्णय की पालना में मंत्रियों की एक समिति का गठन किया गया. इस समिति ने समस्त पहलुओं पर विचार-विमर्श कर अनुशंषा की.

इसमें कहा गया कि राष्ट्रीकृत बैंक, शिडयूल्ड बैंक तथा आरआरबी से जुड़े ऐसे किसान जो आर्थिक रूप से संकटग्रस्त हैं और अपना अल्पकालीन फसली ऋण नहीं चुका पा रहे, उनका 30 नवम्बर 2018 की स्थिति में दो लाख रुपये की सीमा तक का एनपीए हो चुका अल्पकालीन फसली ऋण को माफ करने के लिये बैंकों से परामर्श कर वन टाइम सैटलमेंट स्कीम लाई जाए. समिति की अनुशंषा के निर्णय की क्रियान्विति हेतु सहकारिता तथा आयोजना विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है. तब से राष्ट्रीय बैंकों से कर्ज माफी की प्रक्रिया चल रही है.

ये भी पढ़ें- ‘जीव रो बैरी’ नहीं हाेगा जीरा! क‍िसानों को 40 हजार क्विंटल तक मिल सकता है भाव

कर्ज माफी के लिए गहलोत ने लिखा केन्द्र को पत्र

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसानों के राष्ट्रीय, शिड्यूल्ड और आरआरबी से जुड़े बैंकों किसानों की कर्जमाफी के लिए प्रधानमंत्री और केन्द्रीय वित्त मंत्री को एक मुश्त ऋण माफी योजना के लिए राज्य सरकार को आर्थिक सहायता देने और बैंकों को निर्देशित करने के लिए पत्र लिखा था.

यह पत्र केन्द्रीय किसान एवं कृषि कल्याण मंत्री को भी लिखा गया. जिसके जवाब में लिखा गया कि राज्य सरकार अपने स्तर और संसाधनों से किसानों का कर्ज माफ करे. साथ ही किसानों की कर्ज माफी के लिए एक मुश्त ऋण माफी का प्रस्ताव वाणिज्यिक बैंकों, अनुसूचित बैंकों व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कॉर्पोरेट कार्यालयों को भिजवाया गया, लेकिन राज्य सरकार के इस प्रस्ताव पर अभी तक किसी भी बैंक प्रबन्धन ने सहमति नहीं दी है.

ये भी पढ़ें- उत्तर राजस्थान के सिख किसानों को साधने के लिए भाजपा कर रही किसान संगत

ये भी पढ़ें-केंद्र और राज्य में तालमेल की कमी से अटका देश का पहला बाजरा अनुसंधान केन्द्र