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महिलाओं ने क‍िया कमाल... गोबर से 30 दिन में तैयार क‍िया 10 टन हर्बल गुलाल

महिलाओं ने क‍िया कमाल... गोबर से 30 दिन में तैयार क‍िया 10 टन हर्बल गुलाल

होली का त्योहार आते ही सभी रंगों में सराबोर हो जाते हैं और लोग गुलाल की होली खेलने लगते हैं. मिलावटी और केमिकल वाले गुलालों से बचने के लिए अब लोग हर्बल गुलाल का इस्तेमाल करने लगे हैं. इन बातों को ध्यान में रखते हुए अब बाजार में गोबर से तैयार हर्बल गुलाल भी आने लगे हैं.

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गोबर से बनाया 30 दिन में 10 टन हर्बल गुलाल, फोटो साभार: freepik गोबर से बनाया 30 दिन में 10 टन हर्बल गुलाल, फोटो साभार: freepik

होली का त्योहार आते ही सभी रंगों में सराबोर हो जाते हैं और लोग गुलाल की होली खेलने लगते हैं.  मिलावटी और केमिकल वाले गुलालों से बचने के लिए अब लोग हर्बल गुलाल का इस्तेमाल करने लगे हैं. इसी कड़ी में राजस्थान के दिव्य गो फाउंडेशन ने  ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देने और गौशालाओं को स्वावलंबन बनाने के लिए एक अनूठा कदम उठाया है. यहां महिलाओं से  गाय के गोबर और गोमूत्र से कई तरह के प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं. इस फाउंडेशन ने होली के त्योहार को देखते हुए खास किस्म की गुलाल बनाया है. चाकसू के पास केशोपुर गांव की महिलाओं ने गाय के गोबर से खास तरह का हर्बल गुलाल बनाया है.

इस फाउंडेशन में 64 ग्रामीण परिवार की महिलाओं ने मिलकर मात्र 30 दिनों में गोबर से 10 टन हर्बल गुलाल तैयार क‍िया है. फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष संजय छाबड़ा ने बताया कि पिछले 4 साल से सीजन और आने वाले त्योहारों के अनुसार मह‍िलाएं गाय के गोबर से कई तरह के प्रोडक्ट्स बना रही हैं. इसके बदले इन महिलाओं को पैसे दिए जाते हैं. वहीं उन्होंने बताया कि महिलाएं अपने घरों से यह काम करती हैं. पहले केवल सैंपल के तौर पर ही गुलाल तैयार करवाया जाता था. लेक‍िन अब लोगों के बीच गोबर के गुलाल की डिमांड बढ़ी है. ऐसे में इस बार होल में 10 टन गुलाल तैयार करवाया गया है.

कैसे बनता है गोबर से हर्बल गुलाल

इस गोबर के गुलाल को बनाने के लिए महिलाओं घर फाउंडेशन की ओर से गौशाला से गोबर दे दिया जाता है. इसके बाद महिलाएं गोबर के कंडे बनाकर इसे सुखाती हैं. फिर उन कंडों को मशीन में बारीक से पीस जाता है. इसके बाद गोबर के पाउडर में अरारोट मिलाया जाता है. वहीं इसमें हर्बल कलर और खुशबू के लिए फूलों का उपयोग किया जाता है. इस मिक्स पाउडर में तय किए गए मात्रा के हिसाब से इसमें पानी मिलाकर इसको हाथों से गुथा जाता है. फिर इसे सूखा कर हाथों से मसला जाता है. फिर पैक किया जाता है.

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कितनी है इसकी कीमत

इस गोबर के हर्बल गुलाल की मांग बहुत ज्यादा है. होली से पहले मंदिरों में फागोत्सव मनाने के लिए समाजसेवी इसे लेकर जा रहे हैं. इसका 100 ग्राम का पैकेट 20 रुपये में बिक रहा है. इस पैसों को महिलाओं और गौशालाओं में वितरण किया जाता है. जिससे की इन ग्रामीण महिलाओं का घर परिवार चल सकें.