
झारखंड में हुई बारिश के बाद एक बार फिर सूखे का दौर रहेगा. इसके अलावा नमी के कारण कई इलाकों में सुबह के वक्त घना कोहरा भी देखने के लिए मिल सकता है. इस मौसम को देखते हुए झारखंड में मौसम विज्ञान केंद्र की तरफ से किसानों के लिए कृषि सलाह जारी किया गया है. सलाह में कहा गया है कि कम तापमान और नमी के तनाव से होने वाले नुकसान के लिए सुबह के वक्त खड़ी सब्जियों और फसलों में हल्की सिंचाई करें. हालांकि जिन क्षेत्रों में बारिश हुई है वो किसान खेत की नमी को देखते हुए सिंचाई का फैसला करें. इसके अलावा कम तापमान के दौरान मिट्टी का तापमान बनाए रखने के लिए लिए सब्जियों की नर्सरी के उपर कम लागत वाले पॉलिथीन कवर या पुआल आदि का उपयोग करें.
जिन जगहों पर बारिश नहीं हुई है और खेत में नमी की कमी हैं उन जगहों पर किसान सब्जियों में फूल आने की अवस्था में दो प्रतिशत डीएपी और एक प्रतिशत एमओपी का छिड़काव पत्तियों पर करें. गेहूं के लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि जिन किसानों ने 65 से 70 दिन पहले गेहूं की बुवाई की है वह अभी अपने शाकीय अवस्था में है. इसलिए अगर संभव हो तो किसान इस दौरान खेत में सिंचाई करें. इससे बेहतर उत्पादन प्राप्त होगा. सरसों की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि इस मौसम में सरसों की फसल में चेंपा कीट का प्रकोप हो सकता है. इसलिए लगातार खेत की निगरानी करते रहें.
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अगर खेत में चेंपा कीट का प्रकोप दिखाई देता है तो प्रारंम्भिक अवस्था में प्रभावित भाग को काट कर अलग कर नष्ट कर दें. अगर प्रकोप अधिक दिखाई दे तो तीन मिली प्रति लीटर पानी की दर से इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें. इसके अलावा अगर चने के खेत में फली छेदक कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है तो इसकी निगरानी के लिए फिरोमेन ट्रैप का इस्तेमाल करें. तीन से चार ट्रैप प्रति एकड़ की दर से लगाएं. इसके अलावा जहां पर 25-30 फीसदी पौधौं में फूल खिल गए हैं वहां पर टी आकार का खूंटा खेत में अलग-अलग जगहों पर गाड़ दें.
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मटर के खेत में मटर के फलियों की संख्या बढ़ाने के लिए 20 ग्राम यूरिया प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर डंठलों में छिड़काव करें. इसके जरिए फसलों को पाला से बचाया जा सकता है.इसके अलावा मिर्च की फसल में मकड़ी का प्रकोप हो सकता है. कीट के कारण पत्तियां मुड़कर नीचे आ जाती हैं और सिकुड़ने लगती हैं. इसके आलावा पौधा बौना दिखाई देता है. मिर्च की खेती में घुन के प्रबंधन के लिए इथियन 50 ईसी का 600 मिली प्रति एकड़ या स्पाइरोमेसिफेन22.9 प्रतिशत एससी का 200 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.