अच्छे रखरखाव के लिए सिर्फ पशुओं का खानपान ही बढ़िया नहीं होना चाहिए बल्कि उनका रहन-सहन भी अच्छा होना चाहिए. पशु के आवास की लंबाई उत्तर-दक्षिण में रखना चाहिए, जिससे पुरवा तथा पछुवा दोनों हवाओं का लाभ गर्मियों में पशुओं को मिल सके. सर्दी के मौसम में कुछ को छोड़कर अतिरिक्त खिड़कियों एवं दरवाजों को बन्द कर देना चाहिए जिससे पशुओं को सीधी सर्द हवा से बचाया जा सके. छत किसी भी सस्ते तथा स्थानीय सामग्री से बनायी जा सकती है जिसका उद्देश्य पशु के आस-पास का तापमान 25 से 32 डिग्री सेल्सियस बनाए रखा जा सके. इसके लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा में ऊंचे छायेदार वृक्ष लगाये जा सकते हैं.
पशु वैज्ञानिकों का कहना है कि पशुपालक आमतौर पर पशु पोषण, चिकित्सा एवं प्रजनन पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन आवास व्यवस्था को नजरअंदाज कर देते हैं. उचित आवास न होने से पशुओं के उत्पादन एवं वृद्धि पर कुप्रभाव पड़ता है तथा संक्रामक बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है. अधिक गर्मी एवं सर्दी में पशु अपनी ऊर्जा का प्रयोग वातावरण से जूझने में करता है. जिससे उसकी वृद्धि दर एवं उत्पादकता दोनों प्रभावित होती है. उचित आवास हेतु निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए.
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हमारे यहां पशुओं को आमतौर पर बांध कर पाला जाता है. कुछ समय के लिए सुविधानुसार चराने के लिए खोला जाता है. इसलिए पशु गृह को ऊंचे स्थान पर बनाना चाहिए जहां जल निकास की समुचित व्यवस्था हो. छत की ऊंचाई 2.5 मीटर से कम नहीं रखनी चाहिए जिससे ग्रीष्मकाल में छत की गर्मी पशुओं को प्रभावित न कर सके. याद रखें, यदि पशुशाला का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है तो पशु मद में नहीं आएगा. इसलिए अधिक गर्मी के मौसम में पशुशाला की छत अगर पक्की हो तो उसके ऊपर घास-फूस, पराली आदि डालकर पानी का छिड़काव कर सकते हैं.
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