प्याज के मुद्दे पर 'लीपापोती' में जुटी सरकार, महाराष्ट्र पहुंची केंद्रीय टीम तो क‍िसानों ने न‍िकाली भड़ास

प्याज के मुद्दे पर 'लीपापोती' में जुटी सरकार, महाराष्ट्र पहुंची केंद्रीय टीम तो क‍िसानों ने न‍िकाली भड़ास

महाराष्ट्र में प्याज के मुद्दे पर स‍ियासी नुकसान झेलने के बाद अब बीजेपी और उसके सहयोगी दल क‍िसानों का गुस्सा शांत करवाने की कोश‍िश में जुटे हुए हैं. इसी कड़ी में एक केंद्रीय टीम वहां क‍िसानों से म‍िलकर उनके जख्मों पर मरहम लगाने की कोश‍िश कर रही है. हालांक‍ि, इस टीम में वह अध‍िकारी भी शाम‍िल है, ज‍िसके आंकड़ों के जर‍िए एक्सपोर्ट बैन का खेल खेला गया और क‍िसानों को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ा.

नास‍िक पहुंचे केंद्रीय टीम के सदस्य प्याज क‍िसानों से म‍िलते हुए. नास‍िक पहुंचे केंद्रीय टीम के सदस्य प्याज क‍िसानों से म‍िलते हुए.
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Jul 03, 2024,
  • Updated Jul 03, 2024, 7:33 AM IST

लोकसभा चुनाव के दौरान प्याज के मुद्दे पर महाराष्ट्र में नुकसान झेलने के बाद बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार अब इस मामले को लेकर लीपापोती करने में जुट गई है, ज‍िससे क‍ि इस साल अक्टूबर में होने वाले व‍िधानसभा चुनाव में डैमेज कंट्रोल क‍िया जा सके. प्याज के मुद्दे पर क‍िसानों के गुस्से को शांत करने की कोश‍िश करने के ल‍िए केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय की एक टीम इन द‍िनों महाराष्ट्र में है, जो प्याज बेल्ट में क‍िसानों, व्यापार‍ियों और एक्सपोर्टरों से म‍िल रही है. क‍िसान और एक्सपोर्टर सब म‍िलकर इस टीम को खरी-खोटी सुना रहे हैं, क्योंक‍ि सरकारी नीत‍ियों से उन्हें भारी आर्थ‍िक नुकसान उठाना पड़ा है. क‍िसानों ने साफ कर द‍िया है क‍ि अगर अब सरकारी नीत‍ियों के जर‍िए प्याज के दाम को कम करने की कोश‍िश की गई तो चुनाव में वो इसका बदला सूद सह‍ित वसूल लेंगे. इस टीम में वह अध‍िकारी भी शाम‍िल है, ज‍िसके आंकड़ों के जर‍िए एक्सपोर्ट बैन का खेल खेला गया और क‍िसानों को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ा. 

क‍िसानों ने टीम से दो टूक यह भी कह द‍िया है क‍ि नेफेड (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेट‍िव मार्केट‍िंग फेडरेशन) और एनसीसीएफ (नेशनल कॉपरेट‍िव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंड‍िया) दोनों क‍िसानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. दोनों की खरीद में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है. इसल‍िए उन्हें इन दोनों संस्थाओं की जरूरत नहीं है. ये दोनों संस्थाएं क‍िसानों की बजाय कंज्यूमर के ल‍िए काम करती हैं. इनसे क‍िसानों को नुकसान पहुंच रहा है. नेफेड और एनसीसीएफ द्वारा प्याज की खरीद में हुई गड़बड़ी की ईडी और सीबीआई से जांच करवानी चाहिए. नेफेड के चेयरमैन जेठाभाई अहीर खुद खरीद में गड़बड़ी को पकड़ चुके हैं.

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...तो प्याज आयातक बन जाएगा देश 

पांच महीने तक (7 द‍िसंबर 2023 से 4 मई 2024 तक) रहे प्याज एक्सपोर्ट बैन से हुए आर्थ‍िक नुकसान को क‍िसान अभी भूले नहीं हैं. टीम पर वो इसका गुस्सा भी न‍िकाल रहे हैं. हार्ट‍िकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोर्ट एसोस‍िएशन के वाइस प्रेसीडेंट व‍िकास कुमार स‍िंह ने टीम के साथ बैठक में कहा क‍ि अगर प्याज को लेकर सरकार की यही नीत‍ि कायम रही तो कुछ वर्षों में भारत प्याज न‍िर्यातक की जगह आयातक बन जाएगा. आज हमारी नीत‍ियों की वजह से दूसरे देश हमारे बने बनाए बाजार पर कब्जा कर रहे हैं. 

क‍िसानों से बातचीत करते केंद्रीय टीम के सदस्य.

संगठन ने नेफेड पर लगाए आरोप 

महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत द‍िघोले ने इस टीम से नास‍िक में म‍िलकर क‍िसानों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा क‍ि जब प्याज का दाम 1 और 2 रुपये क‍िलो रह जाता है तब क‍िसानों की मदद के ल‍िए सरकार सामने नहीं आती, लेक‍िन जैसे दाम बढ़ने लगता है सरकार अपनी नीत‍ियों से दाम को ग‍िरा देती है. ज‍िससे क‍िसानों को नुकसान झेलना पड़ता है. क‍िसानों को नुकसान पहुंचाने वाली इस नीत‍ि को बंद करना होगा.

केंद्र सरकार की मूल्य स्थिरीकरण योजना के तहत, महाराष्ट्र में कुछ चयनित किसान उत्पादक कंपनियों (FPO) के माध्यम से नेफेड और एनसीसीएफ बफर स्टॉक के लिए 5 लाख टन प्याज खरीद रहे हैं. कंपनियों ने किसानों से बिना प्याज खरीदे ही बाजार से सस्ता प्याज अपने गोदामों में जमा कर लिया. कुछ व्यापारियों से कम कीमत का प्याज खरीदकर उसी प्याज को सरकारी बफर स्टॉक में दिखाकर वित्तीय हेराफेरी की है. प्याज खरीद में हुई गड़बड़ी की ईडी और सीबीआई से जांच कराई जाए.

नेफेड की प्याज खरीद बंद कराई जाए 

नास‍िक स्थ‍ित चांदवड तहसील के क‍िसान निवृत्ती विश्वनाथ न्याहारक ने अपने क‍िसान साथ‍ियों के साथ लासलगांव मंडी में इस टीम को खूब खरी-खोटी सुनाई. उन्होंने कहा क‍ि सरकार महाराष्ट्र में नेफेड द्वारा बफर स्टॉक के ल‍िए प्याज खरीद बंद करवा दे. इसकी खरीद पारदर्शी नहीं है. क‍िसानों को न तो यह पता चलता है क‍ि नेफेड क‍िन लोगों से प्याज खरीदता है और न इसके दाम तय करने के तौर-तरीके का ही पता चलता है.

नेफेड एपीएमसी मंड‍ियों में अपना स्टॉल लगाकर सीधे क‍िसानों से प्याज की खरीद करे तब क‍िसानों को इसका फायदा म‍िल सकता है. नेफेड क‍िसानों के ल‍िए नहीं बल्क‍ि कंज्यूमर को फायदा पहुंचाने के ल‍िए प्याज खरीदता है. जब दाम बढ़ता है तो बफर स्टॉक के प्याज को बाजार में सस्ते में उतारकर पूरा बाजार खराब कर द‍िया जाता है. नेफेड और एनसीसीएफ क‍िसानों का खून चूस रही हैं. 

नेफेड और एनसीसीएफ की जांच हो 

क‍िसान निवृत्ती न्याहारक ने टीम से कहा क‍ि एनसीसीएफ और नेफेड की तीन साल की प्याज खरीद की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए. यह पता लगाया जाए क‍ि दोनों सहकारी संस्थाओं ने बफर स्टॉक के ल‍िए प्याज किससे खरीदा. क‍िन क‍िसानों को डीबीटी के जर‍िए पैसा म‍िला है, इसकी ड‍िटेल सार्वजन‍िक की जाए.

अगर सरकार को कंज्यूमर की इतनी ही च‍िंता है तो वो बाजार भाव पर क‍िसानों से प्याज खरीदे और उसे पूरे भारत में राशन की दुकानों के माध्यम से रियायती दर पर ब‍िकवाए. लेक‍िन कंज्यूमर को खुश करने के ल‍िए क‍िसानों को नुकसान न पहुंचाए. सरकार क‍िसानों पर बस इतनी सी कृपा करे.  

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