महाराष्ट्र में बीजेपी पर भारी पड़ा प्याज एक्सपोर्ट बैन का फैसला, लोकसभा चुनाव में क‍िसानों ने द‍िया झटका

महाराष्ट्र में बीजेपी पर भारी पड़ा प्याज एक्सपोर्ट बैन का फैसला, लोकसभा चुनाव में क‍िसानों ने द‍िया झटका

Onion Politics: प्याज एक्सपोर्ट पर पांच महीने तक लगाए गए बैन की वजह से नुकसान झेल रहे महाराष्ट्र के क‍िसानों ने बीजेपी और उसके सहयोग‍ियों से बदला ले ल‍िया. प्याज बेल्ट की अध‍िकांश सीटों पर एनडीए को करारी श‍िकस्त म‍िली है. न‍िर्यात पर थोपी गई दो शर्तों की वजह से अब भी क‍िसान गुस्से में हैं और वो अब व‍िधानसभा चुनाव का इंतजार कर रहे हैं. 

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महाराष्ट्र में बीजेपी पर भारी पड़ा प्याज एक्सपोर्ट बैन का फैसला, लोकसभा चुनाव में क‍िसानों ने द‍िया झटका महाराष्ट्र में प्याज उत्पादक क‍िसानों ने द‍िखाई ताकत.

क‍िसान आंदोलन के असर से एक तरफ पंजाब-हर‍ियाणा में बीजेपी को लोकसभा की सीटों का बड़ा नुकसान हुआ है तो दूसरी ओर महाराष्ट्र में प्याज उत्पादक क‍िसानों ने भी बीजेपी और उसके सहयोग‍ियों के आंसू न‍िकाल द‍िए हैं. क‍िसानों का गुस्सा अभी खत्म नहीं हुआ है. वो सरकारी नीत‍ियों के जर‍िए क‍िसानों को नुकसान पहुंचाने वाले नेताओं और पार्ट‍ियों को व‍िधानसभा चुनाव में भी झटका देने की बात कर रहे हैं. इसी साल अक्टूबर में महाराष्ट्र के व‍िधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में प्याज क‍िसानों की नाराजगी भारी पड़ सकती है. प्याज बेल्ट की 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर इंड‍िया गठबंधन और एक न‍िर्दलीय को जीत म‍िली है. नास‍िक की ढ़‍िंढारी सीट से केंद्रीय मंत्री भारती पंवार को भी प्याज क‍िसानों के मुद्दे पर हार का सामना करना पड़ा है, ज‍िनका क‍िसान लगातार इस बात को लेकर व‍िरोध कर रहे थे क‍ि प्याज का एक्सपोर्ट बैन क्यों क‍िया गया? 

दरअसल, केंद्र सरकार ने प्याज के दाम को कंट्रोल में रखने के ल‍िए प‍िछले साल से ही कोश‍िश शुरू कर दी थी. इसके तहत सबसे पहले अगस्त 2023 में प्याज के न‍िर्यात पर 40 फीसदी ड्यूटी लगाई गई. इसका भारी व‍िरोध हुआ, मंड‍ियां बंद रहीं लेक‍िन सरकार ने क‍िसानों की आवाज को अनसुना कर द‍िया. फ‍िर 800 डॉलर प्रत‍ि टन का न्यूनतम न‍िर्यात मूल्य (MEP) लगा द‍िया गया. इसका मतलब यह क‍ि 800 डॉलर प्रत‍ि टन से कम दाम पर कोई भी प्याज का न‍िर्यात नहीं कर सकता था. इसके बाद 7 द‍िसंबर 2023 को देर रात एक्सपोर्ट पर बैन कर द‍िया गया. इससे क‍िसानों में सरकार के ख‍िलाफ भारी नाराजगी पनपी, लेक‍िन इसे नजरंदाज क‍िया गया. 

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परेशान क‍िसानों ने दी 'वोट की चोट'

प्याज न‍िर्यात पर लगाई गई रोक की वजह से दाम काफी ग‍िर गए. क‍िसानों को काफी समय तक एक से लेकर 10 रुपये क‍िलो तक के भाव पर प्याज बेचना पड़ा. क‍िसानों ने आरोप लगाए क‍ि उन्हें लागत भी नहीं म‍िल रही है. सरकार ने क‍िसानों के गुस्से को भांप तो पहले ही ल‍िया था. इसील‍िए प्रधानमंत्री की महाराष्ट्र यात्राओं के दौरान प्याज के मुद्दे पर लड़ाई लड़ने वाले क‍िसानों को उनके घरों में नजरबंद क‍िया गया. इसल‍िए व‍िपक्ष के लगभग सभी नेताओं ने प्याज के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार को घेरना शुरू कर द‍िया. इसमें शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की श‍िवसेना ने प्रमुख भूम‍िका अदा की. 

व्यापार‍ियों ने भी एक्सपोर्ट बैन का व‍िरोध क‍िया और क‍िसानों को हो रहे नुकसान का मुद्दा उठाया. अंतत: चुनाव का वक्त आ गया और परेशान क‍िसानों ने 'वोट की चोट' देना तय कर ल‍िया. चुनाव पर‍िणामों में साफ है क‍ि प्याज के मुद्दे पर नुकसान झेल रहे क‍िसानों ने उन नेताओं को सबक स‍िखा द‍िया, ज‍िनकी वजह से प्याज की खेती करने वालों को भारी आर्थ‍िक नुकसान उठाना पड़ा. 

कहां हुई गलती? 

दो चरणों का चुनाव होने के बाद केंद्र सरकार को ऐसा लगा क‍ि प्याज क‍िसान बड़ा स‍ियासी नुकसान कर सकते हैं. फ‍िर नफा-नुकसान को देखते हुए 4 मई की सुबह एक्सपोर्ट पर लगा बैन हटा द‍िया गया. लेक‍िन उसका बाजार पर असर नहीं द‍िखा. क्योंक‍ि सरकार ने एक्सपोर्ट के ल‍िए 550 डॉलर प्रत‍ि टन की एमईपी और उस पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी की शर्त लगाई हुई है. ऐसे में एक्सपोर्ट बहुत तेजी से नहीं हुआ. क्योंक‍ि हमसे सस्ता भी प्याज बेचने वाले मौजूद हैं. ऐसे में क‍िसानों में यह संदेश गया है क‍ि सरकार ने स‍िर्फ चुनाव के ल‍िए एक्सपोर्ट बैन खोलने का आदेश तो दे द‍िया लेक‍िन शर्तों के जर‍िए अब भी दाम को काबू में ही रखना चाहती है. इसल‍िए एक्सपोर्ट बैन खोलने का कोई स‍ियासी फायदा नहीं द‍िखा. जब इस फैसले की वजह से दाम बढ़ने शुरू हुए तब तक महाराष्ट्र में चुनाव खत्म हो चुके थे. 

सफेद बनाम लाल प्याज 

जब खरीफ सीजन का प्याज न‍िकलता है तब एक्सपोर्ट बैन क‍िया गया, ज‍िससे क‍िसानों को सबसे ज्यादा चोट लगी. क्यों‍क‍ि खरीफ सीजन का प्याज जल्दी खराब हो जाता है. यही नहीं बीच चुनाव 25 अप्रैल को केंद्र सरकार ने गुजरात के 2000 मीट्र‍िक टन सफेद प्याज के न‍िर्यात की मंजूरी दी. इसके बाद यह मुद्दा गुजरात बना महाराष्ट्र बन गया. महाराष्ट्र के क‍िसानों को यह लगने लगा क‍ि गुजरात के किसानों को चुनाव में जान बूझकर फायदा द‍िया गया और उन्हें नजरंदाज कर द‍िया गया. इस फैसले ने महाराष्ट्र के क‍िसानों के जले पर जैसे नमक रगड़ द‍िया हो. यह संदेश गया क‍ि महाराष्ट्र के क‍िसानों को जान बूझकर नुकसान पहुंचाया जा रहा है.

एनसीईएल से सवाल 

क‍िसानों का आरोप है क‍ि सहकार‍िता मंत्रालय की ओर से बनाई गई कंपनी नेशनल कोऑपरेट‍िव एक्सपोर्ट ल‍िम‍िटेड (NCEL)  ने एक्सपोर्ट बैन के बावजूद प्याज एक्सपोर्ट क‍िया. एक्सपोर्ट होने वाले प्याज को डायरेक्ट क‍िसानों से नहीं खरीदा, जैसा क‍ि इस कंपनी को बनाते वक्त वादा क‍िया गया था. अब भी क‍िसान यही पूछ रहे हैं क‍ि एनसीईएल ने एक्सपोर्ट करने के ल‍िए सीधे क‍िसानों से प्याज खरीदा या फ‍िर बड़े व्यापार‍ियों से. अगर क‍िसानों से खरीदा है तो उनके नाम सार्वजन‍िक करे.
 
एक्सपोर्ट बैन खुलने के बाद भी महाराष्ट्र के व‍िपक्षी नेता क‍िसानों को अपनी तरफ खींचने में कामयाब रहे. उन्होंने क‍िसानों से कहा क‍ि आपको  12-15 रुपये क‍िलो का भाव म‍िल रहा था. जबक‍ि सरकार एक क‍िलो प्याज के एक्सपोर्ट पर 17.5 रुपये न‍िर्यात शुल्क के रूप में कमा रही है. 

क‍िसानों को क‍ितना नुकसान 

ज‍िन सूबों में एनडीए को भारी नुकसान हुआ है उनमें महाराष्ट्र प्रमुख है. इसकी एक बड़ी वजह प्याज क‍िसानों के गुस्से को माना जा रहा है. यहां 48 में से कम से कम 14 ऐसी लोकसभा सीटें हैं जहां पर बड़े पैमाने पर प्याज की खेती होती है. इन सीटों के क‍िसान सरकार द्वारा क‍िए गए प्याज एक्सपोर्ट बैन से नाराज थे. क्योंक‍ि इस फैसले से उनका लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. एक्सपोर्ट बैन की म‍ियाद 31 मार्च 2024 को खत्म हो रही थी. 

कहा जा रहा है क‍ि अगर सरकार उसके बाद एक्सपोर्ट बैन को नहीं बढ़ाती तो उसके ख‍िलाफ क‍िसानों का गुस्सा इतना नहीं बढ़ता. लेक‍िन सरकार ने 22 मार्च को एक नोट‍िफ‍िकेशन न‍िकालकर एक्सपोर्ट बैन को अन‍िश्च‍ितकाल के ल‍िए आगे बढ़ा द‍िया, ज‍िसके बाद क‍िसानों का गुस्सा आसमान पर पहुंच गया. महाराष्ट्र प्याज उत्पाद‍क संगठन के अध्यक्ष भारत द‍िघोले का कहना है क‍ि एक्सपोर्ट बैन की वजह से हर प्याज उत्पादक को औसत तीन-तीन लाख रुपये का नुकसान हुआ है. इसल‍िए एनडीए को महाराष्ट्र में इतना बड़ा नुकसान हुआ है.

प्याज बेल्ट में इंड‍िया गठबंधन 

प्याज के सबसे बड़े गढ़ नास‍िक की सीट शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) को म‍िली है. कांग्रेस को नंदुरबार, धुले, अमरावती, सोलापुर, कोल्हापुर और जालना में जीत हास‍िल हुई है. सांगली में न‍िर्दलीय विशाल (दादा) प्रकाशबापू पाटिल ने बीजेपी के संजय (काका) पाटिल को हराया है. जबक‍ि शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को डिंडोरी, बारामती, अहमदनगर, शिरुर और बीडजैसे प्रमुख प्याज उत्पादक क्षेत्र में जीत म‍िली है. 

वर्ष 2019 के चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी को 23 सीटें म‍िली थीं, जबक‍ि इस बार स‍िर्फ 9 पर संतोष करना पड़ा. यानी 14 का नुकसान हुआ. कांग्रेस को इस बार 13 सीटें म‍िली हैं. यानी उसे 12 सीटों का नुकसान हुआ है. अब देखना यह है क‍ि क्या महाराष्ट्र के व‍िधानसभा चुनाव में भी क‍िसानों का गुस्सा कायम रहेगा या फ‍िर राज्य और केंद्र सरकार म‍िलकर उनके जख्मों पर मरहम लगाकर उन्हें राजी कर लेंगे.

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