Purple Rice: बहुत हुआ व्‍हाइट राइस, ब्राउन राइस, अब खाइए बैंगनी चावल! असम में तैयार कमाल की किस्‍म 

Purple Rice: बहुत हुआ व्‍हाइट राइस, ब्राउन राइस, अब खाइए बैंगनी चावल! असम में तैयार कमाल की किस्‍म 

Labanya Purple Rice: लबान्या' को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर पेश किया गया है. एक लोकल बिजनेसमैन को इसके खास कमर्शियल राइट्स दे दिए गए हैं. अब तक यह किस्म 18 से अधिक राज्यों में बिक चुकी है और 30 फीसदी से ज्‍यादा ग्राहक इसे बार-बार खरीद रहे हैं. उनकी मानें तो यह बाजार में इसकी मजबूत मांग और उपभोक्ता संतुष्टि को दर्शाता है. 

purple ricepurple rice
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 06, 2025,
  • Updated Aug 06, 2025, 6:45 AM IST

अभी तक आपने व्‍हाइट राइस, ब्‍लैक राइस और ब्राउन राइस खाया होगा या खाते होंगे. लेकिन क्‍या आपने इमेजिन किया है कि एक दिन आपके किचन में पर्पल या बैंगनी कलर का चावल भी उपलब्‍ध होगा. सुनने से ज्‍यादा शायद आपको इसको सोचने में भी अजीब लग रहा होगा. लेकिन असम की एग्रीकल्‍चर यूनिवर्सिटी (AAU) ने तो यह कमाल कर दिखाया है. यूनिवर्सिटी ने एक ऐसे चावल की किस्‍म विकसित की जो पर्पल यानी बैंगनी रंग की है और किसानों को ज्‍यादा उपज भी देती है. 

पारंपरिक गुणों से लैस 

यूनिवर्सिटी ने जिस किस्‍म को विकसित किया है उसे ‘लबन्या’ नाम दिया गया है. इस किस्‍म को पादप किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA) के तहत रजिस्‍टर्ड भी करा लिया गया है. यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. एएयू के पीआरओ रंजीत कुमार हाउट ने बताया कि 'लबन्या' पारंपरिक काले चावल के समृद्ध पोषण गुणों से लैस और यह रोजाना के प्रयोग के साथ-साथ व्यावसायिक खेती के लिए भी पूरी तरह उपयुक्त है. 

रंजीत कुमार ने बताया, 'हमें यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि 'लबन्या' को हाल ही में PPV&FRA के तहत रजिस्‍ट्रेशन मिला है. यह एएयू के वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.' हाउट के मुताबिक एएयू के कुलपति कार्यालय के एक निर्देश के तहत इस किस्म को भारत सरकार की तरफ से औपचारिक अधिसूचना जारी होने से पहले ही व्यावसायीकरण के लिए लॉन्च कर दिया गया था. इसका मकसद इसकी व्यावसायिक क्षमता का भरपूर लाभ उठाना था. 

18 राज्‍यों में बिकी किस्‍म 

हाउट की दी हुई जानकारी के अनुसार लबन्या' को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर पेश किया गया है. एक लोकल बिजनेसमैन को इसके खास कमर्शियल राइट्स दे दिए गए हैं. अब तक यह किस्म 18 से अधिक राज्यों में बिक चुकी है और 30 फीसदी से ज्‍यादा ग्राहक इसे बार-बार खरीद रहे हैं. उनकी मानें तो यह बाजार में इसकी मजबूत मांग और उपभोक्ता संतुष्टि को दर्शाता है. 

इस चावल की खासियतें 

हाउट ने इस चावल की खासियतों के बारे में भी बताया. जो विशेषताएं उन्‍होंने बताईं, उसके अनुसार- 

  • यह किस्म किसानों के खेतों में 4.5 से 5 टन प्रति हेक्टेयर की उपज देती है. 
  • इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम है, दाने सुगंधित होते हैं और यह जल्दी पकता है. 
  • ऐसे में यह रेगुलर डाइट के लिए एक बेहतर विकल्‍प है. 
  • इसमें 60 फीसदी हेड राइस रिकवरी और 18 प्रतिशत एमाइलोज की मात्रा है. 
  • इस मात्रा की वजह से इसकी मिलिंग क्वालिटी और खाने का स्वाद बेहतर होता है. 
  • चावल एंटीऑक्सीडेंट्स, फ्लेवोनोइड्स, बाकी जरूरी अमीनो एसिड और खनिजों से लैस है. 


'लबन्या' की एक और खासियत यह है कि यह बेकरी प्रॉडक्‍ट्स, पारंपरिक व्यंजनों और ग्लूटेन-फ्री आटे जैसे वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स के लिए भी उपयुक्त है. हाउट ने बताया कि पारंपरिक काले चावल की तुलना में, जिसकी उपज आमतौर पर 1.5 से 2 टन प्रति हेक्टेयर होती है, पकने में 45 मिनट से 1 घंटा लगता है और बनावट चिपचिपी होती है, 'लबन्या' इन सभी चुनौतियों का समाधान है. यह चावल अपने पिगमेंटेड पोषण और बाजार में आकर्षण को भी बरकरार रखता है. 

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