हर्षिल घाटी में आने वाले गांव धराली में एक दिन पहले तक सबकुछ ठीक था. हर तरफ जिंदगी का शोर था और लोग अपने रोजमर्रा के काम में लगे हुए थे. लेकिन मंगलवार को करीब 1:45 पर यहां बादल क्या फटा मानों जिंदगी ही खत्म हो गई. हर्षिल और इसके गांव धराली में हर तरफ बस तबाही का ही मंजर है. लापता लोगों की तलाश जारी है और मलबे में जिंदगी की उम्मीद की जा रही है. अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और मनमोहक नजारे वाले धराली गांव में खेती भी जमकर होती है. यहां उगने वाले सेब और राजमा तो दुनिया में मशहूर हैं. लेकिन अब शायद यह सबकुछ खत्म हो गया है. धराली में उगने वाला गोल्डन या सुनहरा सेब तो यहां के लोगों की जान था.
धराली में सेब की 57-58 प्रकार की किस्मों की खेती होती है. यहां के ग्रीन एप्पल तो पूरी दुनिया में मशहूर हैं. गंगोत्री से करीब 35 किमी पहले पड़ने वाला धराली गांव, भागीरथी नदी किनारे बसा हुआ था. हर्षिल घाटी की गोद में बसने वाले धराली गांव की सड़कों के किनारे हरे और लाल सेबों के बगीचे हर किसी का मन मोह लेते थे. लेकिन यहां का गोल्डन सेब अपने आप में खास है. यह सेब बाकी किस्मों की तुलना में बेहद मीठा और ज्यादा प्लप वाला होता है.
हर साल हर्षिल में एक एप्पल फेस्टिवल होता आया है जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं. घाटी में सेब की कई किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें रॉयल डिलीशियस, रेड डिलीशियस, गोल्डन डिलीशियस, मैकिन्टोश, ग्रैनी स्मिथ, लाल अम्बरी, जॉर्ज केव, स्कार्लेट स्पर, अर्ली मैकिन्टोश और लोबो शामिल हैं. यहां के सेब अपने अनोखे स्वाद, बनावट और रंग के लिए जाने जाते हैं.
एप्पल फेस्टिवल में ताजे सेबों का स्वाद लेने और खरीदने का मौका सबको मिलता है. साथ ही सेब से बने प्रॉडक्ट्स जैसे सेब जैम, सेब की चटनी, सेब का रस, सेब का अचार, सेब का साइडर, सूखे सेब के टुकड़े, सेब के चिप्स, सेब से बनी मिठाइयां (जैसे, सेब पाई, सेब क्रम्बल), सेब की आइसक्रीम, और सेब की वाइन या सेब का सिरका भी जमकर बिकता है.
धराली, हर्षिल के सेब अपनी असाधारण मिठास और दिल जीतने वाली खुशबू के लिए मशहूर हैं. आदर्श तापमान और मिट्टी की स्थिति के कारण, सेबों का एक विशिष्ट स्वाद और बनावट होती है जो उन्हें बाकी सेबों से अलग बनाती है. ये सेब न केवल स्थानीय लोगों के लिए आय का जरिया हैं बल्कि क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी बखूबी बयां करते हैं. हर्षिल के गांव धराली में सेबों की खेती पीढ़ियों से स्थानीय परंपराओं का हिस्सा रही है. साथ ही यह अर्थव्यवस्था और समुदाय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है.
सेब की ही तरह धराली, हर्षिल में राजमा की भी खेती होती है और इसे हर्षिल राजमा के नाम से जाना जाता है. हर्षिल घाटी में उगाई जाने वाला लाल राजमा, एक बेहतरीन किस्म है जो अपनी खास सुगंध, स्वाद और जल्दी पकने के लिए जानी जाती है. यह राजमा प्रोटीन, फाइबर और बाकी जरूरी पोषक तत्वों से लैस होता है.
यह भी पढ़ें-