देश का किसान हमेशा किसी न किसी मुसीबत से जूझता रहता है. कभी बेमौसम की मार, कभी लागत से ज़्यादा महंगी पड़ती खेती. इस बार प्याज ने किसानों को रुला दिया है. महाराष्ट्र की सबसे बड़ी मंडी, कलमना APMC में किसानों को प्याज के दाम से बड़ा झटका लगा है. घरेलू बाजार में प्याज की कीमत सिर्फ 6 से 7 रुपये प्रति किलो है, और मंडी में भी प्याज ज्यादा से ज्यादा 10 रुपये किलो मिल रहे हैं. इससे किसान काफी परेशान हैं. दरअसल किसानों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि प्याज के दाम बढ़ेंगे, तब वो अपनी फसल मंडी में बेचेंगे. इसी उम्मीद में उन्होंने प्याज 2 से 3 महीने तक घर पर स्टोर करके रखा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दाम बढ़ने की बजाय और गिर गए. लंबे समय तक रखा प्याज खराब भी हो गया, और अब जो माल बचा है,उसे मजबूरी में मंडी लाकर औने-पौने दाम पर बेचना पड़ रहा है. सुनिए इसको लेकर किसानों और व्यापारी ने क्या बताया.
दरअसल प्याज की फसल ज्यादा होने से किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहे हैं. कम से कम 40 फीसदी नुकसान किसानों का हुआ है. नागपुर की कलमना APMC मंडी में महाराष्ट्र के अलग अलग जिले से किसान अपना माल बेचने आते हैं. अकोला से आए एक किसान ने बताया कि उन्होंने 5 एकड़ में प्याज की फसल लगाई थी लेकिन ज्यादा बारिश की वजह से उन्हें भारी नुकसान हुआ. प्याज की फसल ज्यादा होने से किसानों को दाम नहीं मिलने से परेशान हैं लेकिन व्यापारी बोल रहे हैं कि उन्हें कोई नुकसान नहीं है. प्याज को दाम नहीं मिलने से उनका नुकसान नहीं है. नुकसान सिर्फ किसान का हो रहा है. प्याज के दाम बढ़ते हैं तो किसान को फायदा मिलता है.
कलमना एपीएमसी में प्याज बेचने वाले व्यापारी राजू भाई उजावने ने कहा कि वे 20 साल से प्याज बेच रहे हैं, लेकिन इस बार की हालत कुछ ज्यादा ही खराब देखी गई है क्योंकि प्याज का उत्पादन बहुत ज्यादा हुआ है. इस बार जरूरत से ज्यादा प्याज का उत्पादन हुआ है जिसके चलते किसान को दाम नहीं मिल रहा है. इस साल, आलू, प्याज, अदरक, लहसुन, चारों चीज का उत्पादन जबर्दस्त होने से, किसान को कोई भाव नहीं मिल रहा है. जिसने भी आलू स्टॉक किया, प्याज का स्टॉक किया, उनको कम से कम 40 परसेंट का नुकसान, कम से कम 40 परसेंट का नुकसान है.
एपीएमसी मंडी में बिक्री के लिए प्याज लेकर पहुंचे अकोला के किसान शेख सत्तार ने कहा कि बारिश की वजह से उनका बहुत अधिक प्याज खराब हो गया. 5 एकड़ में प्याज लगाया था लेकिन बहुत बारिश हुई जिससे फसल खराब हो गई थी. अधिक उपज खराब हो गई थी, 50 क्विंटल उपज अच्छी बची थी जिसे बेचने के लिए कलमना मंडी में लेकर आए. मंडी में भाव नहीं मिल रहे, बस ढुलाई का खर्च मिल रहा है, बहुत अधिक नुकसान हुआ है. मंडी में न कोई भाव है और न कोई प्याज लेने वाला व्यापारी है.
मंडी में व्यापार करने वाले आढ़ती हरीश राजू ने कहा कि इस बार फसल अच्छी हुई है और मंडी में आवक भी अच्छी है. जिस साल फसल अच्छी होती है उस साल रेट कम रहते हैं. यही वजह है कि इस बार किसानों को दाम कम मिल रहे हैं. वैसे प्याज के व्यापारियों को कोई नुकसान नहीं है क्योंकि आवक लगातार बनी हुई है. लोगों को भी अच्छा प्याज खाने को मिल रहा है. हालांकि किसानों को अच्छा दाम नहीं मिल रहा क्योंकि उपज बहुत अधिक है.
वर्धा जिले के किसान प्रभाकर राव राउत ने बताया कि इस बार फसल बहुत बर्बाद हुई क्योंकि बारिश से नुकसान अधिक था. बचा माल नागपुर मंडी में बेचने लेकर आए, लेकिन वहां भी 10-12 रुपये किलो भाव मिल रहा है. खुदरा में बेचने पर 6-7 रुपये किलो दाम मिल रहा है. अभी भाड़े का खर्च भी मुश्किल से मिल रहा है और बड़े व्यापारी को बेचने पर तुरंत पैसा भी नहीं मिल रहा है.
किसानों को प्याज की फसल से भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, उसके कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:-
प्याज जैसे आवश्यक फसल की कीमतों में यह गिरावट सिर्फ एक आर्थिक संकट नहीं, बल्कि किसानों के भविष्य को प्रभावित करने वाला गंभीर मुद्दा है. क्या सरकार कोई ठोस नीति बनाएगी जिससे किसान को उसकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके? या फिर हर बार की तरह किसान एक बार फिर इस चक्रव्यूह में फंसा रहेगा? (योगेश पांडे की रिपोर्ट)