Animal Care in Rainy Season बरसात पशुओं को जहां गर्मी से राहत दिलाती है तो बहुत सारी बीमारियां भी लेकर आती है. जिसका असर पशु के उत्पादन पर भी पड़ता है. केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी), हिसार के रिटायर्ड प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह ने किसान तक को बताया कि बरसात के दौरान अगर एनिमल शेड और बछड़ों की खास तरह से देखभाल की जाए तो पशुओं को बरसाती बीमारियों से बचाया जा सकता है. साथ ही बीमारियों पर होने वाले खर्च को कंट्रोल कर पशुपालक की लागत भी कम की जा सकती है.
एनिमल शेड में ऐसे करें देखभाल
- चारा और चारा सामग्री को जमीन से ऊंची जगह किसी प्लेटफॉर्म पर रखें.
- पशु के सभी तरह के चारे को बारिश और नमी से बचाकर रखें.
- खासतौर पर बरसात से पहले पशुओं का टीकाकरण करा लेना चाहिए.
- बरसात के मौसम में पशुओं के लिए पीने का स्वच्छ और गर्म पानी होना चाहिए.
- पशुओं को खेत में जमा लाल पानी या कीचड़ वाला पानी नहीं पीने देना चाहिए.
- दूषित पानी पीने से गंभीर सर्दी, दस्त, ब्लैक क्वार्टर समेत कई बीमारियां हो सकती हैं.
- पशुओं को मानसून में खराब मौसम से बचाना चाहिए, वर्ना इसका असर उत्पादन पर पड़ता है.
- बारिश का पानी बैक्टीरिया को बढ़ाता है, जिससे बीमारियां होती हैं.
- बरसात के मौसम की शुरुआत से पहले, बीच में और आखिर में डी-वर्मिंग करानी चाहिए.
बरसात में कौनसी परेशानियां होती हैं
- बरसात के मौसम में टिक्स तेजी से बढ़ते और फैलते हैं.
- टिक्स पशुओं का खून चूसते हैं और एनीमिया बीमारी का कारण बनते हैं.
- एनीमिया बीमारी के चलते पशुओं की मौत तक हो जाती है.
- बरसात के मौसम में मक्खियों की संख्या भी बढ़ जाती है.
- मक्खियां पशुओं को परेशान करने के साथ ही जलन पैदा करती हैं.
- इसका पशुओं की उत्पादन और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है.
- दूध देने वाले मवेशियों में बरसात के मौसम में स्तनदाह (थनैला बीमारी) हो जाती है.
- बरसात के मौसम में गीले, गंदे शेड और गीले-गंदे थनों से थनैला बीमारी फैलती है.
- थनैला बीमारी के चलते दूध का उत्पादन कम और बंद तक हो जाता है.
बरसात में बछड़ों की देखभाल कैसे करें
- बरसात के दिनों में बछड़ों को बाहर खुला नहीं छोड़ना चाहिए.
- बछड़ों में बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती है.
- बछड़ों के शरीर में पानी की मात्रा ज्यादा होती है और ठंड से उनका तनाव बढ़ जाता है.
- बछड़ों को गर्मी देने के लिए थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दूध पिलाया जाना चाहिए.
- बछड़ों को ठंड के झटकों से बचाने के लिए कपड़े पहनाए जाने चाहिए.
- तीन महीने से ज्यादा उम्र के बछड़ों को कृमिनाशक दवा दी जानी चाहिए.
- छह महीने से ज्यादा उम्र के बछड़ों को बीक्यू और एचएस का टीका लगवाया जाना चाहिए.
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