Dairy Milk Ghee सोशल मीडिया से लेकर ई-कॉमर्स प्लेटफार्म तक A2 दूध से बने घी की खूब चर्चा हो रही है. ब्रांड छोटा हो या बड़ा सभी अपने घी को A2 दूध से बना बताकर बेच रहे हैं. इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी ने किसान तक को बताया कि A2 का संबंध प्रोटीन के बीटा केसिन से है. जबकि घी का संबंध पूरी तरह फैट से और उसमे प्रोटीन का कोई रोल नहीं है. गौरतलब रहे बीते कुछ वक्त से देश ही नहीं विदेशी बाजार में भी Al-A2 दूध को लेकर बहस जारी है.
Al और A2 दूध को लेकर क्या चल रहा है
- ई-कॉमर्स प्लेटफार्म और सोशल मीडिया पर A2 के नाम से घी-मक्खन बेचने की बाढ़ सी आ गई है.
- बेचने वाले लोग दावा करते हैं कि ये देसी गाय के A2 दूध से बना है.
- ऐसे घी का रेट दो हजार रुपये किलो से तीन हजार रुपये किलो तक होता है.
- घी ही नहीं और भी डेयरी प्रोडक्ट A2 दूध से बने होने का दावा कर बेचे जा रहे हैं.
- अगस्त, 2024 को फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने A2 के प्रचार पर रोक लगा दी थी.
- FSSAI प्रमाणपत्र के आधार पर A1 और A2 के नाम से दूध और दूध से बने प्रोडक्ट बेचे जा रहे हैं.
- A2 के नाम से बाजार में घी, मक्खन, दही आदि की बिक्री की जा रही है.
- एक्सपर्ट का कहना है कि A1 और A2 दूध का संबंध प्रोटीन (बीटा केसिन) से है.
- दूध और दूध से बने फैट वाले उत्पादों पर A2 का दावा भ्रामक (गलत) है.
- ये FSSAI अधिनियम, 2006 और उसके तहत बनाए गए रेग्यूलेशन के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है.
- FSSAI की ओर से दूध के मानकों में A1-A2 दूध में कोई भी भेदभाव ना तो किया गया है और ना ही मान्यता दी गई है.
पाचन से कैसे जुड़ा है A1-A2 दूध
- गाय और भैंस के दूध में मौजूद प्रोटीन में कुछ हिस्सा बीटा केसिन होता है.
- दूध में मौजूद बीटा केसिन दो तरह का होता है.
- जो बीटा केसिन गाय के दूध में होता है वो आसानी से हजम (पच) हो जाता है.
- भैंस का दूध हजम करने में कुछ लोगों को परेशानी हो सकती है.
- आसानी से हजम होने वाला बीटा केसिन खासतौर पर देसी नस्ल की गाय में होता है.
- साहीवाल, गिर, राठी आदि गाय में आसानी से हजम होने वाला बीटा केसिन पाया जाता है.
A2 दूध के बारे में क्या कहती है इंडियन डेयरी एसोसिएशन
- IDA A2 दूध से जुड़े स्वास्थ्य दावों को मान्य करने के लिए साइंटीफिक रिसर्च का समर्थन करती है. उपभोक्ताओं को स्पष्ट, तथ्यात्मक जानकारी दी जानी चाहिए, जिससे वो प्रचार के बजाय विश्वसनीय वैज्ञानिक आधार पर विकल्प बना सकें.
- भारतीय नस्ल की गायों को बढ़ावा देने के लिए सरकार और डेयरी सेक्टर को स्वदेशी A2 उत्पादक पशुओं के प्रजनन को प्रोत्साहित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए. इसी से बाजार की बढ़ती मांग को पूरा करते हुए किसानों की इनकम में सुधार होगा.
- उपभोक्ताओं को Al और A2 दूध के बीच के अंतरों के बारे में जागरुक करना, दोनों दूध के पोषण संबंधी फायदों के बारे में बताना जरूरी है. दूध के बारे में गलत सूचना और अफवाहें परेशानी खड़ी कर सकती है. IDA खुद भी मौजूदा गलत धारणाओं को स्पष्ट करने के लिए लगातार प्रचार कर रहा है.
- आज A2 दूध का अपना बाजार है, लेकिन हमें यह तय करना होगा जो ज्यादातर डेयरी किसान Al या मिक्स दूध का उत्पादन करते हैं वो पीछे न छूट जाएं. जबकि जरूरी ये है कि दूध की कुल गुणवत्ता, झुंड की उत्पादकता और किसान कल्याण में सुधार पर ध्यान दिया जाना चाहिए, फिर चाहें दूध का उत्पादन किसी भी प्रकार का हो.
- Al और A2 दूध दोनों की क्षमता का इस्तेमाल इस तरह किया जाए जिससे किसानों से लेकर ग्राहक तक सभी को फायदा हो.
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