Badri Cow Milk दूध में मौजूद एक खास तत्व की वजह से गाय का दूध अच्छा माना जाता है. खासतौर पर गाय के दूध से बने घी की बहुत डिमांड रहती है. और फिर बात बद्री गाय के दूध की हो तो उसके तो दाम भी मुंह मांगे मिलते हैं. एनिमल न्यूट्रीशन एक्सपर्ट डॉ. वीके सिंह ने किसान तक को बताया कि ए2 के चलते बद्री गाय के दूध की डिमांड ज्यादा होती है. इसके दूध को दवाई भी माना जाता है. बद्री गाय रोजाना कम दूध देती है. इसी को देखते हुए उत्तराखंड में एक खास प्रोजेक्ट शुरू किया गया है.
क्या है बद्री गायों पर चलने वाला सर्वे
- बद्री गायों का दूध को नापने के लिए उत्तराखंड के चार जिलों में सर्वे हो रहा है.
- नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में बद्री गाय पर सर्वे किया जा रहा है.
- सर्वे के तहत चार जिले की 3240 बद्री गायों को रिसर्च में शामिल किया गया है.
- रिसर्च दूध उत्पादन बढ़ाने और नस्ल सुधार के लिए किया जा रहा है.
- हर रोज दूध नापने के लिए चार जिलों में 45 मिल्क रिकार्डिंग सेंटर खोले गए हैं.
- गायों की जियो टैगिंग कर डाटा भारत सरकार को भेजा जाएगा.
- ये सर्वे राष्ट्रीय गोकुल मिशन और राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड करा रहे हैं.
बद्री गाय और दूध की खासियत क्या है
- बद्री गाय को उत्तराखंड की कामधेनु भी कहा जाता है.
- बद्री गाय के दूध में चार फीसद फैट और ए-2 प्रोटीन होता है.
- दूध में मौजूद फैट और ए-2 प्रोटीन इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं.
- बद्री गाय हर रोज डेढ़ से दो लीटर तक दूध देती है.
बद्री गाय के सर्वे-रिसर्च में और क्या है शामिल
- रिसर्च के लिए एक बार बद्री गाय का टिश्यू सैंपल और ब्लड सैंपल लिया जा रहा है.
- दूध देने का समय और मात्रा नापकर भारत पशुधन ऐप के माध्यम से गुजरात भेजा जा रहा है.
- चंपावत के 24 गांवों में 12 सेंटर बनाए हैं जहां 820 गायों पर रिसर्च होगी.
- अल्मोड़ा के 24 गांवों में 12 मिल्क रिकार्डिंग सेंटर में 820 गायों पर काम होगा.
- पिथौरागढ़ के 20 गांवों के 11 सेंटर में 800 गायों पर काम होगा.
- नैनीताल के 22 गांवों के 11 सेंटर में 800 गायों पर काम किया जाएगा.
- उत्तराखंड पांचवां ऐसा राज्य है जहां गाय की एक खास नस्ल पर काम हो रहा है.
- आंध्र प्रदेश, केरल, गुजरात और कर्नाटक में भी गायों की एक खास नस्ल पर काम हो चुका है.
- इस रिसर्च में उत्तराखंड कोआपरेटिव डेरी फेडरेशन (यूसीडीएफ) भारत सरकार की मदद कर रही है.
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