गौरक्षकों और पुलिस की कार्रवाई से परेशान होकर महाराष्ट्र के बूचड़खाना अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. कुरैशी समुदाय, जो परंपरागत तौर पर पशु खरीद-बिक्री का व्यवसाय करता है, बीते कुछ समय से असामाजिक तत्वों और पुलिस की सख्ती का शिकार हो रहा है. कानूनी परमिट के बावजूद कई बार गौरक्षा के नाम पर इन्हें रोका, धमकाया और पीटा गया. पुलिस भी इनकी शिकायतें सुनने के बजाय उल्टे इनके खिलाफ ही झूठे केस दर्ज कर देती है. अब नागपुर समेत महाराष्ट्र के सभी कुरैशी समुदाय के लोगों ने बूचड़खाने, पशु खरीद-बिक्री और निर्यात का काम बंद कर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है.
नागपुर के मोमिनपुरा में बड़ी संख्या में कुरैशी समुदाय के लोग रहते हैं. आज यहां ये लोग सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. मुस्लिम समुदाय के तहत आने वाला कुरैशी वर्ग परंपरागत रूप से पशु व्यापार, बीफ निर्यात और कत्लखानों से जुड़ा हुआ है. बीते कुछ वर्षों से इन्हें गौरक्षक, पुलिस और असामाजिक तत्वों द्वारा लगातार परेशान किया जा रहा है. पशु खरीद-बिक्री के वैध दस्तावेज होने के बावजूद इनके वाहनों को रास्ते में रोका जाता है, मारपीट की जाती है, और झूठे आरोप लगाकर केस दर्ज कर दिए जाते हैं. इन्हीं सब परेशानियों से तंग आकर अब इन्होंने हड़ताल का रास्ता चुना है.
कुरैशी समुदाय के अध्यक्ष आसिफ कुरैशी ने कहा, 'बीते कुछ वर्षों से हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जब हम बाजार से भैंस खरीदते हैं तब तक कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन जैसे ही वाहन सड़क पर निकलता है, गौरक्षा के नाम पर रोक लिया जाता है. कई बार तो मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं होती हैं, जान तक चली जाती है.' विदर्भ क्षेत्र में रोजाना करीब 4,000 पशुओं की खरीद-बिक्री होती है. इस हड़ताल के कारण हर हफ्ते लगभग 8,000 पशुओं की खरीद-बिक्री ठप हो जाएगी. इससे सबसे ज्यादा नुकसान उस किसान को होगा जो अपने पशु बेचने के लिए मंडी लाता है.
कुरैशी समुदाय के नेता वसीम खान ने कहा, 'हम कोई गैरकानूनी काम नहीं कर रहे हैं. अब सरकार ही बताए कि हम क्या करें. जब शेख, पठान या कुरैशी जानवर खरीदते हैं तो उसे अवैध कह दिया जाता है — ये गलत है.' वहीं व्यापारी रझा कुरैशी ने कहा, 'हम अपने काम को ईमानदारी से करते हैं. हम कानून मानते हैं, लेकिन हमें रोज परेशान किया जाता है. अब हम तब तक काम पर नहीं लौटेंगे जब तक हमें सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती.
कुरैशी समुदाय की इस हड़ताल के बाद महाराष्ट्र सरकार ने इनके साथ बातचीत की तैयारी शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और संबंधित विभाग के मंत्री व अधिकारी जल्द ही इस मुद्दे पर बैठक करेंगे. कुरैशी समुदाय की मांग है कि सरकार उनके पारंपरिक व्यवसाय को सुरक्षा प्रदान करे ताकि न गौरक्षा के नाम पर कोई असामाजिक तत्व और न ही पुलिस उनके काम में बाधा डाल सके.
वहीं ऑल इंडिया कुरैशी जमीयत की ओर से राज्य स्तर की एक बैठक छात्रपति संभाजीनगर के हज हाउस में रखी गई. इसमें राज्य भर के 36 जिलों के कुरैशी समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे. कुरैश समाज के लोगों का कहना है की गौरक्षकों द्वारा किए जा रहे दुर्व्यवहार, अवैध छापेमारी और पुलिस उत्पीड़न के विरोध में समाज पिछले कुछ दिनों से हड़ताल पर है. छात्रपति संभाजीनगर में कुरैशी जमात का नेतृत्व करने वाले हाजी ईसा कुरैशी ने कहा कि यह कोई सांप्रदायिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि रोजगार, स्वाभिमान और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन है. उन्होंने कहा कि इस उद्योग से न सिर्फ कसाई, बल्कि किसान, चमड़ा उद्योग और हड्डी व्यवसाय से जुड़े हज़ारों लोग जुड़े हैं, जिनकी आजीविका खतरे में है.
इस बैठक में आए कुरैशी समाज के लोगों का कहना है कि महाराष्ट्र में कुरैशी समाज के लोगों की तादाद लाखों में है, और वह संविधान द्वारा मिले कानूनी अधिकारों के तहत कारोबार करता है, साथ ही बड़ी तादाद में सरकार को रेवेन्यू देता है. इन लोगों का कहना है कि इनकी हड़ताल और उनकी मांगें पूरी तरह जायज हैं, और राज्य सरकर को इस बरे में कई सरे ज्ञापन भी ऑल इंडिया कुरैश जमीयत ने दिये हैं, लेकिन इनके ओर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है. जमीयत के कुछ लोगों ने तो यहां तक कहा कि उन्हें लगता है की कुरैशी समाज के कारोबार को प्लानिंग के तहत बर्बाद किया जा रहा है. उनका दावा है कि फड़णवीस सरकार उन अराजक तत्वों को सरकारी तौर पर मदद कर रही है.
यह भी पढ़ें-