Moringa: ये तरीका अपनाया तो बकरे पत्ति‍यों संग मोरिंगा का तना भी खाएंगे, पढ़ें डिटेल 

Moringa: ये तरीका अपनाया तो बकरे पत्ति‍यों संग मोरिंगा का तना भी खाएंगे, पढ़ें डिटेल 

मोरिंग (सहजन) का पौधा एक बार लगाने के बाद पूरे साल तक चारा देता है. ताजी पत्ति‍यां बकरे-बकरियों को खि‍लाने के साथ इसके तने के पैलेट्स बनाकर रखे जा सकते हैं. बाजारों में सहजन की फली भी बिकती है. 

 मोरिंगा के फायदे मोरिंगा के फायदे
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Mar 13, 2025,
  • Updated Mar 13, 2025, 3:59 PM IST

दूध हो या मीट, ऑर्गेनिक की बात हर जगह होने लगी है. हालांकि ऑर्गेनिक का सर्टिफिकट लेना आसान नहीं है, लेकिन कुछ चीजों का पालन करके दूध और मीट दोनों को दूषि‍त तत्वों से दूर रखा जा सकता है. यही वजह है कि बकरी पालन में मोरिंगा (सहजन) की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. हालांकि देश में हरे चारे की कमी है. जबकि गाय-भैंस ही नहीं भेड़-बकरियों के लिए भी हरा चारा बहुत जरूरी है. हरा चारा खाने से बकरों की ग्रोथ तो होती ही है, साथ में उनके मसल्स भी बनते हैं. मीट भी पौष्टिक होता है. इसी जरूरत को पूरा करने के लिए मोरिंगा की डिमांड बढ़ रही है. 

इस बारे में फोडर एक्सपर्ट का कहना है कि अगर मोरिंगा खि‍लाने का एक खास तरीका अपनाया जाए तो बकरे-बकरी दोनों ही मोरिंगा की पत्ति‍यों समेत तना भी खा जाएंगे. बारिश और सर्दियों के मौसम में तो हरा चारा आसानी से मिल जाता है. लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी होती है गर्मियों में. ये वो वक्त होता है जब पशुपालक ऐसे हरे चारे को तलाशते हैं जो दूध बढ़ाने के साथ ही बकरों की ग्रोथ में भी मददगार हो.

पहले पत्ती तो फिर पैलेट्स बनाकर तना

डॉ. आरबी सिंह ने बताया कि मोरिंगा के तने को भी बकरी खाती है. क्योंकि इसका तना बहुत ही मुलायम होता है. इसकी पत्तियों को भी बकरे और बकरी बड़े ही चाव से खाते हैं. अगर आप चाहें तो पहले बकरियों को पत्तियां खिला सकते हैं. इसके तने को अलग रखकर उसके पैलेट्स बना सकते हैं. पैलेट्स बनाने का एक अलग तरीका है. ऐसा करके आप बकरे और बकरियों के लिए पूरे साल के चारे का इंतजाम कर सकते हैं.  

गर्मियों में लगाने पर पूरा साल मिलता है चारा 

डॉ. आरबी ने बताया कि मोरिंगा लगाने के लिए गर्मी और बरसात का मौसम सही होता है. जैसे अभी गर्मी का मौसम है. अब से लेकर जुलाई तक मोरिंगा लगाना शुरू कर दिया जाए तो फायदेमंद रहेगा. लेकिन ख्याल यह रखना है कि इसे पेड़ नहीं बनने देना है. इसके लिए यह जरूरी है कि 30 से 45 सेंटी मीटर की दूरी पर इसकी बुवाई की जाए. इसकी पहली कटाई 90 दिन यानि तीन महीने के बाद करनी है. जैसे अगर आपने मई में इसे लगाया है तो अगस्त से इसकी कटाई शुरू कर सकते हैं. तीन महीने के वक्त में यह आठ से नौ फीट की हाईट पर आ जाता है. पहली कटाई 90 दिन के बाद करने के बाद फिर हर 60 दिन पर इससे चारा लिया जा सकता है. काटते वक्त यह खास ख्याल रखना है कि इसकी कटाई जमीन से एक से डेढ़ फीट की ऊंचाई से करनी है. इससे होता यह है कि नई शाखाएं आने में आसानी रहती है. 

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