Save Camel in India भारत में कम होती ऊंटों की संख्या केन्द्र और राज्य सरकार की ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) की संस्था खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की भी बड़ी परेशानी है. यही वजह है कि यूएनओ ने अंतर्राष्ट्रीय कैमेलिड वर्ष घोषित किया था. इसी के तहत राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र (NCRC) में भी पूरे साल कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. भारत में एफएओ के प्रतिनिधि ताकायुकी हागिवारा का कहना है कि पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (डीएएचडी) और अन्य प्रमुख संस्था समेत लोगों की मदद से एफएओ भारत में गैर-गोजातीय दूध मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है.
हमारा लक्ष्य ऊंटनी के दूध में विकास के लिए नए अवसरों को सामने लाना और आजीविका को बेहतर करना है. साथ ही गैर-गोजातीय दूध की न्यूट्रीशन और मेडिशनल वैल्यू के फायदों को बढ़ावा देना है. हम साथ मिलकर एक बाजार संचालित ईको-सिस्टम निर्मित कर सकते हैं, जो किसानों को मजबूत बनाएगा और देश में खाद्य सुरक्षा बेहतर होगी.
रेगिस्तान के नायक से लेकर न्यूट्रास्युटिकल सुपरफूड तक भारत का लक्ष्य ऊंटों का संरक्षण करना और ऊंटनी दूध उद्योग की संभावित क्षमताओ को सामने लाना है. यूएनओ के अंतर्राष्ट्रीय कैमेलिड वर्ष को इसी विषय के साथ मनाया गया है. खासतौर से ऊंटनी दूध उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान करने और मूल्य-श्रृंखला में सभी हितधारकों को शामिल करके ऊंट पालकों के विकास के लिए स्थायी समाधान का पता लगाने पर भी चर्चा की जा रही है.
पशुपालन एवं डेयरी विभाग (DAHD) की सेक्रेटरी अलका उपाध्याय का कहना है कि भारत में ऊंटों की आबादी घट रही है. ऊंटों की आबादी में और गिरावट को रोकने के लिए तत्काल जरूरी कदम उठाने की जरूरत है. इतना ही नहीं स्थायी चरागाह के लिए जमीन भी तय करनी होगी. हालांकि ऊंट पालने वाले समुदाय की मदद करने के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन काम कर रहा है. ऊंटनी का दूध एक नहीं कई मायनों में बहुत जरूरी और ताकतवर है. इसलिए इसके संरक्षण की बहुत जरूरत है. इससे मुनाफा भी बहुत होगा. साथ ही ऊंट किसानों तक पहुंच बढ़ाने की जरूरत है, जिससे उनकी चुनौतियों को समझा जा सके.
पूर्व एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर और वाइस चांसलर, दुवासु, मथुरा डॉ. अभिजीत मित्रा का इस बारे में कहना है कि देश में ऊंटों की आबादी में गिरावट आ रही है. इसलिए सबसे पहले ये जरूरी है कि आबादी घटने की वजहों पर एक छोटा अध्ययन किया जाए कि ऐसा क्या हो रहा है. ये जरूरी भी है. साथ ही ऊंटनी के दूध के महत्व को किसी और विषय से जोड़ने के बजाए मेडिशनल वैल्यू से जोड़कर बात की जाए. दूसरा ये कि ऊंटों की आबादी को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि हम न्यूक्लियस ब्रीडिंग फार्म और ब्रीडर्स सोसाइटी को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दें.
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