Animal Care: बदलते मौसम में आसान बनाना है पशुपालन तो अपनाएं एक्सपर्ट के ये टिप्स 

Animal Care: बदलते मौसम में आसान बनाना है पशुपालन तो अपनाएं एक्सपर्ट के ये टिप्स 

Animal Care in Winter एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि हर बदलता मौसम पशुओं के लिए बीमारी लाता है. खानपान, रखरखाव और टीकाकरण में होने वाली छोटी सी भी लापरवाही के चलते पशु बीमार पड़ जाते हैं. कुछ उपाय अपनाकर इसे रोका जा सकता है. साथ ही केन्द्र और राज्य सरकार की कुछ योजनाओं का लाभ उठाकर भी नुकसान को कम किया जा सकता है. 

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नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Sep 16, 2025,
  • Updated Sep 16, 2025, 3:37 PM IST

Animal Care in Winter बेशक सितम्बर में गर्मी कम होती है, लेकिन ये महीना गर्मी और सर्दी के मिले जुले असर के साथ बीतता है. साथ ही मौसम में एकदम से बदलाव भी इसी दौरान आता है. अक्टूबर की बात करें तो सर्दियां दस्तक देना शुरू कर देती हैं. कुल मिलाकर ये वो वक्त होता है जब उत्पादन करने वाले पशुओं को बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. क्योंकि पशु भेड़-बकरी हो या गाय-भैंस बदलते मौसम और सर्दी से सभी परेशान होते हैं. उनका स्ट्रेस बढ़ जाता है. स्ट्रेस बढ़ने से दूध का उत्पादन और ग्रोथ घट जाती है. 

कई बार पशु बीमार भी हो जाते हैं. साथ ही पशुओं की जान का जोखि‍म भी बना रहता है. गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी पालन, सभी में चारे के बाद सबसे ज्यादा लागत पशुओं के इलाज यानि दवाईयों पर ही आती है. जिसके चलते पशुपालक की लागत भी बढ़ जाती है. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि किसी भी मौसम में पशुओं को हेल्दी रखने के लिए सबसे पहला जरूरी काम ये है कि हम उस मौसम के शुरू होने से पहले ही उसकी तैयारी कर लें.

बदलते मौसम से बचाने को अभी शुरू कर दें ये खास काम 

  • अक्टूबर से सर्दी शुरू हो जाती है. इसलिए पशुओं को सर्दी से बचाने का इंतजाम कर लें. 
  • सर्दी के मौसम में ज्यादातर भैंस हीट में आती हैं, हीट में आते ही पशु को गाभिन कराएं. 
  • भैंस को मुर्राह नस्ल के नर से या नजदीकी केन्द्र पर कृत्रिम गर्भाधान कराएं. 
  • भैंस बच्चा देने के 60-70 दिन बाद दोबारा हीट में ना आए तो फौरन जांच कराएं. 
  • गाय-भैंस को जल्दी हीट में लाने के लिए तय मात्रा के मुताबिक मिनरल मिक्चर खिलाएं. 
  • पशुओं को बाहरी कीड़ों से बचाने के लिए समय-समय पर दवाई का छिड़काव करें. 
  • दुधारू पशुओं को थैनेला रोग से बचाने के लिए एक्सपर्ट की सलाह लें. 
  • पशुओं को पेट के कीड़ों से बचाने के लिए एक्सपर्ट की सलाह पर दवाई दें.
  • ज्यादा हरे चारे के लिए बरसीम बीएल 10, बीएल 22 और बीएल 42 की बिजाई अक्टू‍बर में कर दें. 
  • बरसीम का ज्यादा चारा लेने के लिए सरसों की चाइनीज कैबिज या जई मिलाकर बिजाई करें.
  • बरसीम के साथ राई मिलाकर बिजाई करने से चारे की पौष्टिकता और उपज दोनों ही बढ़ती हैं.
  • बरसीम की बिजाई नए खेत में कर रहे हैं तो पहले राइजोबियम कल्चर उपचारित जरूर कर लें.
  • जई का ज्यादा चारा लेने के लिए ओएस 6, ओएल 9 और कैन्ट की बिजाई अक्टूबर के बीच में कर दें. 
  • बछड़े को बैल बनाने के लिए छह महीने की उम्र पर उसे बधिया करा दें. 

निष्कर्ष- 

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि कुछ लोग पशुओं का बीमा कराना और उनकी टैगिंग (रजिस्ट्रेशन) कराना पशुपालकों को बेकार, बेवजह का काम लगता है. लेकिन किसी भी परेशानी में पशुपालकों को मदद टैगिंग नंबर से ही मिलती है. 

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