Animal Care in Winter बेशक सितम्बर में गर्मी कम होती है, लेकिन ये महीना गर्मी और सर्दी के मिले जुले असर के साथ बीतता है. साथ ही मौसम में एकदम से बदलाव भी इसी दौरान आता है. अक्टूबर की बात करें तो सर्दियां दस्तक देना शुरू कर देती हैं. कुल मिलाकर ये वो वक्त होता है जब उत्पादन करने वाले पशुओं को बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. क्योंकि पशु भेड़-बकरी हो या गाय-भैंस बदलते मौसम और सर्दी से सभी परेशान होते हैं. उनका स्ट्रेस बढ़ जाता है. स्ट्रेस बढ़ने से दूध का उत्पादन और ग्रोथ घट जाती है.
कई बार पशु बीमार भी हो जाते हैं. साथ ही पशुओं की जान का जोखिम भी बना रहता है. गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी पालन, सभी में चारे के बाद सबसे ज्यादा लागत पशुओं के इलाज यानि दवाईयों पर ही आती है. जिसके चलते पशुपालक की लागत भी बढ़ जाती है. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि किसी भी मौसम में पशुओं को हेल्दी रखने के लिए सबसे पहला जरूरी काम ये है कि हम उस मौसम के शुरू होने से पहले ही उसकी तैयारी कर लें.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि कुछ लोग पशुओं का बीमा कराना और उनकी टैगिंग (रजिस्ट्रेशन) कराना पशुपालकों को बेकार, बेवजह का काम लगता है. लेकिन किसी भी परेशानी में पशुपालकों को मदद टैगिंग नंबर से ही मिलती है.
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