Halal Milk Certificate दूध उत्पादन में नंबर वन होने के साथ ही ये कोशिश की जा रही है कि डेयरी एक्सपोर्ट का आंकड़ा भी बढ़े. भारत विश्व में दूध उत्पादन में पहले नंबर पर है. लेकिन डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट का आंकड़ा बहुत ही कम है. हालांकि इसके पीछे सबसे बड़ी वजह कैमिकल-पेस्टीसाइड और एएमआर है, लेकिन हलाल होने की शर्त भी कम परेशानी नहीं है. बहुत सारे ऐसे देश हैं जो डेयरी प्रोडक्ट के साथ हलाल सर्टिफिकेट भी मांगते हैं. हालांकि ऐसा माना जाता है कि हलाल सर्टिफिकेट का मतलब सिर्फ मीट उत्पादन और एक्सपोर्ट से ही होता है. लेकिन ऐसा नहीं है.
बहुत सारे ऐसे देश हैं जो हलाल सर्टिफिेकेट पर ही दूध और दूध से बने प्रोडक्ट खरीदते हैं. हालांकि सवाल ये उठते हैं कि दूध में क्या हलाल और हराम तरीका. लेकिन दूध को हलाल सर्टिफिकेट देने के लिए टीम पशुओं के बाड़े से लेकर उस डेयरी प्लांट का महीनों तक मुआयना करती है जहां दूध का उत्पादन होता है और जहां उसके दूसरे प्रोडक्ट बनाए जाते हैं.
डेयरी एक्सपर्ट चरण जीत सिंह ने किसान तक को बताया कि इंडोनेशिया और मलेशिया की कई कंपनी हरियाणा की वीटा डेयरी से दूध खरीदती हैं. लेकिन दूध की खरीद-फरोख्त तभी शुरू होती है जब उन देशों की कंपनियों को हलाल दूध का सर्टिफिकेट दिखा दिया जाता है. क्योंकि दूध खरीद से पहले उनकी ये शर्त होती है कि हम हलाल सर्टिफिकेट होने पर ही दूध की खरीद करेंगे. कंपनियों की शर्तों को पूरा करने और दूध को हलाल सर्टिफिकेट दिलाने के लिए इस्लामिक संस्थाओं से संपर्क किया जाता है. देश में हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कई संस्थाएं हैं, लेकिन हरियाणा के नजदीक दिल्ली की एक संस्था है तो उसी से संपर्क किया गया था. संस्थान की तीन से चार लोगों की टीम ने डेयरी प्लांट समेत उन गांवों के एनिमल शेड का दौरा किया था जहां से डेयरी प्लांट में दूध आता है.
सबसे पहले संस्था की टीम के लोग ये देखते हैं कि दूध कहां से आ रहा है, उस पशु को खाने में क्या-क्या दिया जा रहा है. उसके बाद डेयरी में जब दूध आ जाता है तो उसे कई दिन तक रखने के लिए उसमे कोई कैमिकल तो नहीं मिलाए जा रहे हैं. कई दिन की जांच के दौरान टीम के सदस्य इस बात की भी तस्दीक करते हैं कि गाय या भैंस ने जैसा दूध दिया है वैसा ही कंपनी को सप्लाई किया जा रहा है. दूध की यह खासियत है कि उसे बिना किसी कैमिकल की मदद से कई दिन तक रखा भी जा सकता है और ट्रांसपोर्ट कर एक जगह से दूसरी जगह भेजा भी जा सकता है.
चरण जीत सिंह ने बताया कि वीटा डेयरी सोनीपत में इंडोनेशिया और मलेशिया की कंपनी को दूध की सप्लाई दे रही है. उसके बाद वो अपने हिसाब से उस दूध को विदेश भेजते हैं. दूध में बिना किसी कैमिकल इस्तेमाल किए भी उसे कई दिनों तक रखा जा सकता है. हरियाणा की मुर्रा भैंस का दूध सिर्फ इंडोनेशिया और मलेशिया को ही नहीं इंग्लैंड की कंपनी को भी पंसद आया है. इंग्लैंड की भी एक दवा बनाने वाली कंपनी वीटा डेयरी से हर महीने करीब पांच लाख लीटर दूध खरीदती है.
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