भारत समेत बंगाल की खाड़ी से जुड़े देशों में छोटे पैमाने की मछलीपालन (Small-Scale Fisheries) को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संगठन (FAO) एक राष्ट्रीय कार्य योजना (National Plan of Action - NPOA) तैयार करने में मदद करेगी. यह योजना खास तौर पर पारंपरिक मछुआरों की आजीविका और सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी.
FAO और Bay of Bengal Programme Inter-Governmental Organisation (BOBP-IGO) मिलकर भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव के अधिकारियों के लिए एक तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर रहे हैं. यह बैठक 17 सितंबर से चेन्नई में शुरू हुई है. इसमें हर देश के लिए अलग-अलग एक्शन प्लान (Action Plan) बनाने की तैयारी की जा रही है.
इस योजना का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक मछुआरों को उनके अधिकार दिलाना, समुद्र में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना और समुद्री संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना है.
BOBP के निदेशक पी. कृष्णन ने बताया कि ये योजनाएं मछुआरों को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन देने की दिशा में बड़ा कदम हैं.
यह पूरा प्रयास संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG 14) और FAO की गाइडलाइंस के अनुसार किया जा रहा है, जिससे समुद्री जीवन और मछुआरों की आजीविका को सुरक्षित रखा जा सके.
FAO की इंटरनेशनल फिशरीज एनालिस्ट लेना मारिया वेस्टलुंड ने कहा कि "छोटे पैमाने की मछलीपालन तटीय समुदायों की रीढ़ है. यह न केवल खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि लाखों लोगों की जीविका का साधन भी है. लेकिन अब यह क्षेत्र जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है."
FAO और BOBP-IGO द्वारा शुरू की गई यह पहल भारत समेत अन्य देशों के पारंपरिक मछुआरों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है. अगर यह योजना सफल होती है, तो न केवल मछुआरों का जीवन सुधरेगा, बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र भी ज्यादा सुरक्षित और संतुलित बनेगा.