Goat Care: सर्दियों में बकरियों और उनके बच्चों को बीमारी से बचाने को ऐसा बनाएं शेड 

Goat Care: सर्दियों में बकरियों और उनके बच्चों को बीमारी से बचाने को ऐसा बनाएं शेड 

Goat Care in Winter प्लास्टिक के रेडीमेड शेड बकरियों और उनके बच्चों को बीमारियों से तो बचाते ही हैं, साथ में चारा खराब होने से भी बचता है. बकरियों की बैठने और खड़े होने की जगह भी खराब नहीं होती है. बल्कि सीधे मिट्टी और यूरिन के संपर्क में आने से भी बच जाती हैं.

नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Sep 16, 2025,
  • Updated Sep 16, 2025, 4:58 PM IST

Goat Care in Winter सर्दी के चलते बकरी और उसके बच्चे दोनों ही बुरी तरह से प्रभावित होते हैं. बच्चों को सर्दी के चलते निमोनिया हो जाता है कि बड़े बकरे-बकरियों को सर्दी लगने के साथ दस्त तक हो जाते हैं. इस मौसम में जमीन की ठंडक और बकरियों का यूरिन दोनों मिलकर दोहरा नुकसान पहुंचाते हैं. दूध और मीट का उत्पादन भी प्रभावित होने लगता है. यही वजह है कि सर्दियों के मौसम में बकरियों के शेड में बदलाव करना बहुत जरूरी हो जाता है. अब तो ऐसा करना और भी आसान हो गया है. 

बाजार में प्लास्टिक के रेडीमेड शेड मिल रहे हैं. ये दो मंजिला मकान हैं. पहली मंजिल पर बड़ी बकरियों को रखने के साथ ही दूसरी मंजिल पर बकरियों के छोटे बच्चों को रखा जा सकता है. बकरी पालन के लिए ये रेडीमेड मकान बहुत ही फायदेमंद हैं. इतना ही नहीं कम जगह होने पर भी इनका इस्तेमाल किया जा सकता है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने इसका डिजाइन तैयार किया है. 

20 साल तक चलता है दो लाख में बनने वाला शेड

सीआईआरजी के साइंटिस्ट डॉ. अरविंद कुमार किसान तक को बताया कि एक बड़ी बकरी को डेढ़ स्क्वायर मीटर जगह की जरूरत होती है. हमने दो मंजिला मकान का जो मॉडल बनाया है वो 10 मीटर चौड़ा और 15 मीटर लम्बा है. इस मॉडल मकान में नीचे 10 से 12 बड़ी बकरी रख सकते हैं. वहीं ऊपरी मंजिल पर 17 से 18 बकरी के बच्चों को बड़ी ही आसानी से रख सकते हैं. और इस साइज के मकान की लागत 1.80 लाख रुपये आती है. इस मकान को बनाने में इस्तेमाल होने वाली लोहे की एंगिल और प्लास्टिक की शीट बाजार में आसानी से मिल जाती है. रहा सवाल ऊपरी मंजिल पर बनाए गए फर्श का तो कई कंपनियां इस तरह का फर्श बना रही हैं और आनलाइन मिल भी रहा है.   

शेड में ऐसे रहते हैं बच्चे और बड़ी बकरियां 

साइंटिस्ट डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि दो मंजिला मकान से जगह की कमी और बचत तो होती ही है, साथ में इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि बकरी के बच्चे बीमारियों से बच जाते हैं. वो बीमारियां जिन पर अच्छी खासी रकम खर्च हो जाती है. इस तरह के मकान में नीचे बड़ी बकरियां रखी जाती हैं. वहीं ऊपरी मंजिल पर छोटे बच्चे रखे जाते हैं. ऊपरी मंजिल पर रहने के चलते बच्चे मिट्टी के संपर्क में नहीं आ पाते हैं तो इससे वो मिट्टी खाने से भी बच जाते हैं. वर्ना छोटे बच्चे मिट्टी खाते हैं तो इससे उनके पेट में कीड़े हो जाते हैं. 

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