Goat Farming: देश में क्यों बढ़ रही है बकरी पालन करने वालों की संख्या, एक्सपर्ट ने बताईं बड़ी वजह 

Goat Farming: देश में क्यों बढ़ रही है बकरी पालन करने वालों की संख्या, एक्सपर्ट ने बताईं बड़ी वजह 

Goat Farming for Milk-Meat अब कई बड़ी और गंभीर बीमारियों में डॉक्टर बकरी का दूध इस्तेमाल करने की सलाह देने लगे हैं. बकरे-बकरियों के दूध और मीट की डिमांड बढ़ाने का ही असर है कि सरकारी बकरी पालन ट्रेनिंग सेंटर में 8वीं पास से लेकर बीए, एमबीए, इंजीनियरिंग, पीएचडी आदि की डिग्री के साथ लोग बकरी पालन की ट्रेनिंग करने आ रहे हैं. 

बकरी पालनबकरी पालन
नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Sep 17, 2025,
  • Updated Sep 17, 2025, 7:22 AM IST

Goat Farming for Milk-Meat गाय-भैंस और भेड़ पालन सब पीछे छूट चुके हैं. अगर नए लोगों की बात करें तो बकरी पालन करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. खुद सरकारी आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं. आंकड़ों पर जाएं तो केन्द्र सरकार पशुपालन के लिए दिए जाने वाले लोन पर सब्सिीडी देती है. इस योजना का नाम है नेशनल लाइव स्टाक मिशन. इस योजना के आंकड़े बताते हैं कि लोन के लिए जितने आवेदन आते हैं उसमे 80 फीसद बकरी पालन के लिए होते हैं. आज गांव ही नहीं शहर में भी बकरी पालन बढ़ रहा है.

गोट एक्सपर्ट बताते हैं कि दूसरे पशुपालन के मुकाबले बकरी पालन करना आसान और सस्ता है. कम जगह और कम लागत में कभी भी और कहीं भी बकरी पालन किया जा सकता है. और तो और दूसरे पशुपालन के मुकाबले जोखि‍म कम और मुनाफा खूब होता है. बाजार में साल के 12 महीने बिकने वाले बकरे के मीट और बकरी के दूध की डिमांड से सभी वाकिफ हैं.  

कैसे सस्ता और आसान है बकरी पालन करना 

  • चारे का इंतजाम करने में परेशानी नहीं होती. बकरियां गाय-भैंस के मुकाबले 20 चारा खाती हैं.  
  • बकरी और इंसानों की खुराक में कोई समानता नहीं है इसलिए लागत कम आती है. 
  • पोल्ट्री फीड में शामिल मक्का-सोयाबीन इंसान भी खाते हैं और मुर्गियों के फीड में भी शामिल है.  
  • सबसे ज्यादा मुनाफा बकरी के बच्चों से होता है. बकरी एक बार में दो से चार तकग बच्चे देती है. 
  • बकरी शरीर से मजबूत पशु है, दूसरे पशुओं के मुकाबले कम बीमारी लगती हैं,. 
  • बकरी का दूध आसानी से पचने और मेडिशन वैल्यू वाला होता है. 
  • बकरी के दूध से आने वाली अजीब से गंध को भी कंट्रोल कर लिया गया है. 
  • बकरी के दूध में अमीनो एसिड जैसे हिस्टिडीन, एस्पार्टिक एसिड, फेनिलएलनिन और थ्रेओनीन होते हैं.  
  • खनिज सोडियम, आयरन, कॉपर, विटामिन जैसे विटामिन ए, निकोटिनिक एसिड, कोलीन भरपूर मात्रा में होते हैं.
  • चमड़ा बनाने के लिए बकरी की खाल उच्च गुणवत्ता वाली होती है, जैसे ब्लैक बंगाल बकरी की खाल. 
  • बकरे का मीट बहुत स्वादिष्ट, पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक होता है.
  • पहाड़ी इलाकों में पलने वाली बकरी के बाल जैसे पश्मीना-मोहायर महंगे बिकते हैं. 
  • बकरी के मल-मूत्र में एनपीके की मात्रा ज्यादा होती है, खेत में मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मददगार है. 
  • बकरियों को रखने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती है. 
  • बकरियां कम जगह में और दूसरे पशुओं के साथ आराम से रह लेती हैं. 
  • जमीन पर जगह कम हो तो अच्छी ग्रोथ के साथ बकरियों को छत पर भी पाला जा सकता है.
  • जरूरी नहीं है कि बकरियों को खुले में चराने के लिए ले जाया जाए. 
  • बकरियों की ज्यादातर नस्ल अब स्टॉल फीड पर ही पल जाती हैं.
  • पालने के लिए  बकरियां आसानी से मिल जाती हैं. गाय-भैंस के मुकाबले सस्ती भी होती हैं. 
  • बकरियों की 39 नस्ल हैं जो हर तरह के मौसम में पल जाती हैं. 
  • दूध-मीट और ब्रीडिंग के लिए बकरियां पालकर मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है. 

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