ऊंटनी के दूध से होने वाले फायदों पर काफी रिसर्च हो चुकी हैं. इसीलिए अब ऊंट रेगिस्तान के जहाज वाली परिभाषा तक ही महदूद नहीं रह गया है. इसीलिए बीकानेर में स्थित राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र ऊंटनी के दूध के कई सारे प्रोडक्ट डेवलप करने का काम लंबे अरसे से कर रहा है. लेकिन अब यह रेगिस्तान तक ही सीमित नहीं रह गया है, जयपुर में भी लोग ऊंटनी के दूध से बने प्रोडक्ट्स का जायका ले सकेंगे. वर्ल्ड केमल डे के मौके पर जयपुर के एक प्रगतिशील किसान ने राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र के साथ करार किया है.
इस करार से अब जयपुर में भी किसान सुरेन्द्र अवाना अपनी फर्म रुद्र शिवम डेयरी के जरिए ऊंटनी के दूध से कई प्रोडक्ट बनाएंगे.
किसान तक ने प्रगतिशील किसान सुरेन्द्र अवाना से इस कॉन्ट्रेक्ट के बारे में बात की. उन्होंने कहा, “वर्ल्ड कैमल डे के दिन कई किसान बीकानेर एनआरसीसी के कैंपस में गए थे. इनमें से सिर्फ मैंने यानी मेरी फर्म रुद्र शिवम डेयरी ने ही यह करार किया है. इसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर व अन्य जरूरी चीजों को लेकर कॉन्ट्रेक्ट हुआ है. मैंने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. शुरूआत हम कैमल मिल्क की कुल्फी से कर रहे हैं. इसके लिए जरूरी बर्तन खरीद लिए गए हैं. कुल्फी के सांचे भी ले आया हूं. अगले कुछ दिनों में कुल्फी का प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा.”
अवाना आगे बताते हैं, “कुल्फी के बाद कैमल मिल्क की ही चॉकलेट बनाना शुरू किया जाएगा. इसके बाद अन्य प्रोडक्ट बनाए जाएंगे. यह जयपुर और आसपास के क्षेत्र में पहली डेयरी होगी, जो कैमल मिल्क से प्रोडक्ट बना रही है. इससे इस क्षेत्र के लोगों को भी कैमल मिल्क के प्रोडक्ट आसानी से मिल जाएंगे.”
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सुरेन्द्र अवाना राज्य और केन्द्र सरकार से पुरस्कृत प्रगतिशील किसान हैं. जयपुर के पास बिचून के भैराणा गांव में इन्होंने रुद्र शिवम डेयरी नाम से एक डेयरी खोली हुई है. साथ ही खेती में भी कई नवाचार कर रहे हैं. अवाना को खेती में नवाचार के लिए भारत सरकार नौ बार पुरस्कृत कर चुकी है.
जैविक खेती में इनोवेशन के लिए अवाना अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुके हैं. साथ ही राजस्थान के पहले किसान हैं जिन्हें केन्द्र ने गायों के नस्ल सुधार के लिए गोपाल रत्न अवार्ड से सम्मानित किया हुआ है.
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जयपुर जिले के बिचून में ऊंटनी के दूध के प्रोडक्ट बनाने के पीछे अवाना की गहरी और पुरानी सोच है. वे बताते हैं कि एनआरसीसी बीकानेर में है. ऊंटनी के दूध को लेकर हो रहे नवाचारों का जयपुर और आसपास के क्षेत्र में ऊंट पालकों को भी फायदा मिलना चाहिए. बिचून में ही करीब नौ परिवार ऐसे हैं, जिनके पास सैंकड़ों के संख्या में ऊंट हैं. इसीलिए बिचून में ऊंटनी के दूध के प्रोडक्ट बनाने का प्रयोग सफल होगा.