अल नीनो (El Nino) को लेकर बड़ी खबर आई है. खबर ये है कि अल नीनो का असर अप्रैल अंत तक खत्म हो जाएगा. एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है. पूर्व में ऐसी आशंका जताई गई थी कि अल नीनो का प्रभाव भारत में मई के आगे तक देखा जा सकता है. लेकिन हालिया रिपोर्ट कहती है कि अप्रैल अंत तक अल नीनो विदा हो जाएगा. अल नीनो के जाने से फसलों की पैदावार गिरने की आशंका भी खत्म हो जाएगी. अल नीनो में मौसम गर्म होने और बारिश घटने से पैदावार गिरने का डर रहता है. इसलिए अप्रैल में इसके जाने की रिपोर्ट किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है.
दरअसल, दुनिया के सात वैश्विक मॉडल में चार मॉडल ने एक साथ अल नीनो के अप्रैल में विदा होने के संकेत दिए हैं. कुछ मॉडल ने मई में अल नीनो के जाने की बात कही है. हालांकि अधिकांश मॉडल में अप्रैल तक अल नीनो के जाने का संकेत दिया गया है. यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने बताया है कि अप्रैल अंत में अल नीनो के जाने की संभावना 79 परसेंट तक है. अप्रैल-जून तक अल नीनो के न्यूट्रल हो जाने की पूरी संभावना है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जून-अगस्त और सितंबर-नवंबर के दौरान ला नीना की संभावना प्रबल रह सकती है.
दूसरी ओर, वर्ल्ड मेटरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन यानी कि WMO ने एक स्टडी में कहा है कि मार्च-मई तक अल नीनो के बने रहने की संभावना 60 परसेंट है जबकि अप्रैल-जून तक इसके न्यूट्रल रहने की संभावना 80 फीसदी है. स्टडी कहती है कि इस साल के अंत तक ला नीना का असर देखने को मिल सकता है, लेकिन फिलहाल इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है. अल नीनो और ला नीना का असर भारत पर कैसा होगा, इसे लेकर वैज्ञानिक लगातार रिसर्च कर रहे हैं. इतना तो साफ है कि जून-अगस्त तक ला नीना का असर रहता है तो इस साल मॉनसून की बारिश अच्छी होगी. 2023 की तुलना में इस साल मॉनसूनी बारिश बेहतर रह सकती है.
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अल नीनो प्रशांत महासागर की एक गतिविधि है जिसमें महासागर की सतह गर्म होती है और उसके प्रभाव में हवाएं गर्म होकर मैदानी इलाकों की तरफ बढ़ती हैं. इससे मैदानी इलाकों में गर्मी बढ़ती है और बारिश घटती है. इससे फसलों के मारे जाने की आशंका होती है. औसतन दो से सात साल के दौरान अल नीनो का प्रभाव देखा जाता है जो 9 से 12 महीने तक चलता है. अल नीनो के चलते अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका में तगड़ी बारिश होती है जबकि दक्षिणपूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में गर्मी बढ़ जाती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अल नीनो की वजह से क्लामेट चेंज को बल मिल रहा है और दिनोंदिन तापमान में वृद्धि दर्ज की जा रही है.
मौजूदा अल नीनो जून 2023 में शुरू हुआ थी जिसके बारे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि अप्रैल अंत तक इसका प्रभाव खत्म हो जाएगा. इसका सबसे अधिक प्रभाव नवंबर से जनवरी के बीच देखा गया. पिछले कुछ सालों का यह सबसे खतरनाक अल नीनो रहा है. हालांकि इससे भी खतरनाक अल नीनो 1997-98 और 2015-16 में देखा गया था.
भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD ने अपने हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस साल देश में गर्मी अधिक पड़ सकती है क्योंकि मई अंत तक अल नीनो का प्रभाव चल सकता है. तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर आंतरिक कर्नाटक, महाराष्ट्र और ओडिशा के कई हिस्सों में अधिक गर्मी पड़ने की संभावना जताई गई है. IMD ने यह भी कहा है कि मार्च में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की जा सकती है.
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आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत में मार्च से मई की अवधि में देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है. उन्होंने कहा कि मार्च में उत्तर और मध्य भारत में लू (हीटवेव) की स्थिति की उम्मीद नहीं है.
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