बिहार में बाढ़ से मची तबाही का असर आम लोगों से लेकर खेतों और फसलों की बर्बादी तक दिख रहा है. अगर भागलपुर जिले की बात करें तो जिले के 16 में से 14 प्रखंड बाढ़ की चपेट में हैं. गंगा नदी के तटबंध क्षेत्रों की स्थिति उससे भी ज्यादा खतरनाक है. बिहपुर, खरीक, इस्माइलपुर और सबौर प्रखंड क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति भयावह दिखने लगी है. स्थानीय निवासी चिंतित होने लगे हैं. उन इलाकों के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की छुट्टी कर दी गई है. गोराडीह प्रखंड क्षेत्र के स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक नीरज और शिक्षिका मैडम ने बताया कि बाढ़ का पानी बढ़ने के कारण स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की छुट्टी कर दी गई है.
दरअसल, बक्सर से बहते हुए जैसे ही गंगा नदी बिहार में प्रवेश करती है, उसके रिभर बेड में सिल्ट यानी गाद की वजह से उथलापन दिखने लगता है. और यही कटाव का एक बड़ा कारण बनता है. गंगा के अपस्ट्रीम प्रयागराज और बनारस में भी कमोबेश यही स्थिति है. लेकिन अगर भागलपुर ज़िले में बाढ़ और उससे होने वाली तबाही के कारणों की बात करें, तो 2001 में गंगा नदी पर विक्रमशिला पुल के निर्माण के बाद गंगा नदी के बहाव में बदलाव दिखने लगा. नतीजतन, आज भी राघोपुर, इस्माइलपुर, बुद्धुचक और ममलखा पंचायतें कटाव के कगार पर हैं.
भागलपुर में आते-जाते बाढ़ पीड़ितों को देखिए. वे बता रहे हैं कि मेरे इलाके में तो हर साल की यही कहानी है. बाढ़ संघर्ष के बाद भी नदी कटाव से होने वाली तबाही सब कुछ बर्बाद कर देती है. यह अलग बात है कि बिहार का जल संसाधन विभाग बाढ़ संघर्ष को लेकर अलर्ट मोड में रहता है. करोड़ों-अरबों रुपये खर्च भी होते हैं. लेकिन लगातार बारिश, इलाके में जलभराव और उथली नदियों के कारण तटबंधों पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे वे टूट जाते हैं.
बाढ़ प्रभावित इलाके के खेतों में उगाई जाने वाली रबी की फसल से किसानों को राहत मिलती है. खरीफ के मौसम में बाढ़ से होने वाली तबाही के कारण घर, इमारतें, सड़कें, तटबंध और खेतों की मिट्टी नदियों की गोद में समा जाती है. वैसे भी बिहार में तीन फसलें होती हैं, जिनमें रबी और खरीफ किसानों को सौभाग्य से मिल जाती हैं. लेकिन एक और फसल है, जिसका नाम राहत है, जिसे एक ही व्यक्ति बोता और काटता है.
मैदानी इलाकों में बाढ़ और कटाव के पीछे फरक्का बैराज एक बड़ा कारण है. इसके अलावा, नदी तल पर लगातार गाद जमा होने से नदी उथली हो गई है. इससे नदी का तटबंध नष्ट हो रहा है. स्कूल मास्टर का कहना है कि बाढ़ का पानी स्कूल में घुसने के कारण स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई बंद करनी पड़ी है. इलाके के बाढ़ पीड़ित असमंजस और दुविधा में जी रहे हैं. (राजीव सिद्धार्थ का इनपुट)
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