द‍िल्ली सरकार ने डस्ट पॉल्यूशन रोकने के बनाया एक्शन प्लान, पालन करना अन‍िवार्य 

द‍िल्ली सरकार ने डस्ट पॉल्यूशन रोकने के बनाया एक्शन प्लान, पालन करना अन‍िवार्य 

हर‍ियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं शुरू हो गई हैं. इस बीच द‍िल्ली सरकार ने एहत‍ियात के तौर पर बड़ा कदम उठाते हुए डस्ट पॉल्यूशन रोकने के ल‍िए 14 सूत्रीय प्लान बनाया है. निर्माण एजेंसी को 5 हजार वर्ग मीटर की निर्माण साईट पर एंटी स्मॉग गन लगाना अनिवार्य होगा. 

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द‍िल्ली सरकार ने डस्ट पॉल्यूशन रोकने के बनाया एक्शन प्लान, पालन करना अन‍िवार्य आसान नहीं है डस्ट पॉल्यूशन को रोकना (File Photo-India Today).

पंजाब और हरियाणा में कुछ जगहों पर धान की पराली जलाने की घटनाएं सामने आने लगी हैं. इस बीच प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को सरकारी और निजी निर्माण एजेंसियों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक करके उन्हें धूल से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए तैयार 14 सूत्रीय दिशा-निर्देशों का पालन करने के सख्त निर्देश दिए हैं. साथ ही चेतावनी दी कि मानदंडों का पालन नहीं करने वाली सरकारी और निजी एजेंसियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. दरअसल, यह धान की कटाई शुरू होने के साथ ही जैसे ही पराली जलाने का धुआं द‍िल्ली की तरफ आता है, यहां पर प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा बन जाता है.  

बहरहाल, पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सभी सरकारी और प्राईवेट निर्माण एजेंस‍ियों को डस्ट पॉल्यूशन रोकने की गाइडलाइन के बारे में कंस्ट्रक्शन कर्मचारियों को साइट पर ही ट्रेनिंग देना ज़रूरी होगा. ट्रेनिंग सामग्री दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमिटी (डीपीसीसी) द्वारा एजेंसी को उपलब्ध कराई जाएगी. निर्माण एजेंसी को 5 हजार वर्ग मीटर की निर्माण साईट पर एंटी स्मॉग गन लगाना अनिवार्य होगा. सरकार सर्दियों में प्रदूषण से निपटने के लिए 15 बिंदुओं पर फोकस करके विंटर एक्शन प्लान तैयार कर रही है, जिसमें धूल प्रदूषण पर अंकुश लगाना भी शामिल है. 

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इन दिशा-निर्देशों का करना होगा पालन 

बैठक में सभी सरकारी और प्राइवेट निर्माण एजेंस‍ियों को प्रदूषण रोकने के लिए 14 सूत्रीय दिशा-निर्देशों को विस्तार से बताया गया. सख्ती से उसका अमल करने के निर्देश दिए गए. इस दौरान निर्माण एजेंसियों के प्रतिनिधियों से सुझाव भी लिए गए. बता दें क‍ि द‍िल्ली में कंस्ट्रक्शन साइटों से बहुत प्रदूषण होता है. धूल प्रदूषण रोकने को लेकर सरकारी और निजी निर्माण एजेंसियों को जारी किए गए 14 सूत्रीय दिशा-निर्देशों को भी जान लीज‍िए. 
 

  • निर्माण स्थल के चारों ओर उचित ऊंचाई पर टीन की दीवार खड़ी करनी होगी और निर्माण स्थल चारों तरफ से ढंका होना चाहिए. 
  • पांच हजार वर्गमीटर से लेकर उससे अधिक के एरिया के निर्माण साइट पर एंटी स्मोग गन लगाना अनिवार्य.   
  • ध्वस्तीकरण या निर्माण का कार्य होने पर उसे तिरपाल या ग्रीन नेट से ढंकना अनिवार्य होगा. 
  • निर्माण स्थल तक निर्माण सामग्री को लाने-ले जाने वाले वाहनों की सफाई करना अनिवार्य होगा.
  • निर्माण सामग्री ले जा रहे वाहनों को पूरी तरह से ढंकना होगा और इस बात का ध्यान रखना होगा कि रास्ते में वह न गिरे. 
  • निर्माण सामग्री और ध्वस्तीकरण के अवशिष्ट को केवल आवंटित क्षेत्र के अंदर संग्रहित करना होगा और निर्माण सामग्री या अवशिष्ट का सड़क के किनारे भंडारण प्रतिबंधित रहेगा. 
  • मिट्टी या बालू को बिना ढंके नहीं रखा जाएगा. कई जगह निर्माण साइट पर बालू या मिट्टी को खुला छोड़ दिया जाता है. 
  • निर्माण कार्य में जो पत्थरों की कटिंग की जाती है, वह खुले में नहीं होनी चाहिए.
  • निर्माण स्थल पर धूल से बचाव के लिए लगातार पानी का छिड़काव करना होगा. 
  • बड़े निर्माण स्थल (20 हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र)  में निर्माण और ध्वस्तीकरण स्थल पर जाने के लिए सड़क पक्की हो या ब्लैकडाक्स की बनाई जाए. 
  • निर्माण या ध्वस्तीकरण से उत्पन्न अपशिष्ट को प्रसंस्करण साइट या चिन्हित साइट पर ही निस्तारण किया जाए और रिकार्ड भी रखा जाए, जिससे यह रिकार्ड में रहे कि निर्माण साइट से कूड़ा निकला है, तो वह कहां गया. 
  • निर्माण स्थल पर लोडिंग या अनलोडिंग में जितने कर्मचारी काम करते हैं, निर्माण कंपनी को उन्हें डस्ट मास्क देना अनिवार्य है.
  • निर्माण स्थल पर श्रमिकों की चिकित्सा की उचित व्यवस्था की जाए.  
  • निर्माण स्थल पर धूल कम करने के उपायों को प्रमुखता से प्रदर्शित करना होगा.

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