भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इस मॉनसून सीजन का राज्यवार आंकलन किया है. IMD ने बताया कि भारत में इस मॉनसून सीजन में अब तक सामान्य बारिश दर्ज की गई है, लेकिन तमाम राज्यों में इसका वितरण बेहद असमान है. 1 जून से 10 अगस्त के बीच, देश में 539 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जबकि सामान्य वर्षा 535.6 मिमी होती है. यानी कि ये बारिश दीर्घकालिक औसत से लगभग 1 प्रतिशत अधिक है.
IMD जिन 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़े उपलब्ध कराता है, उनमें से 25 "सामान्य" श्रेणी में हैं. यहां दीर्घावधि औसत के 19 प्रतिशत के भीतर बारिश हुई. 5 राज्य "कमी वाले" श्रेणी में हैं जहां सामान्य से 20 से 59 प्रतिशत कम वर्षा हुई. 5 राज्य "अधिक" श्रेणी में हैं, यहां सामान्य से 20 से 59 प्रतिशत अधिक बारिश रही और एक लद्दाख "बहुत अधिक" श्रेणी में है, जहां सामान्य से 60 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई. मॉनसून की इसी अवधि के लिए कोई भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश संचयी "बड़ी कमी" वाली श्रेणी में नहीं है. इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, सिक्किम और बिहार में मौसमी कमी दर्ज की गई है.
अरुणाचल प्रदेश में 652.1 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सामान्य बारिश 1,081 मिमी (सामान्य से लगभग 40 प्रतिशत कम) है, असम में 603.8 मिमी (सामान्य से 37 प्रतिशत कम), मेघालय में 978.7 मिमी (सामान्य से 45 प्रतिशत कम), सिक्किम में 837.4 मिमी (सामान्य से 20 प्रतिशत कम) और बिहार में 438.3 मिमी (सामान्य से 25 प्रतिशत कम) बारिश दर्ज की गई. IMD की इस रिपोर्ट के मुताबिक, 5 राज्य या केंद्र शासित प्रदेश अधिक वर्षा की श्रेणी में हैं - झारखंड (853.7 मिमी; सामान्य से 41 प्रतिशत अधिक), दिल्ली (433.5 मिमी; 37 प्रतिशत अधिक), राजस्थान (430.6 मिमी; 58 प्रतिशत अधिक), मध्य प्रदेश (745.3 मिमी; 30 प्रतिशत अधिक) और पुडुचेरी (258.2 मिमी; 32 प्रतिशत अधिक). हालांकि लद्दाख में 31.8 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश 14.8 मिमी होती है (जो सामान्य से लगभग 115 प्रतिशत अधिक है).
IMD ने अपनी इस आंकलन रिपोर्ट में बताया कि उत्तर, मध्य, पूर्व और दक्षिण भारत में फैले 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौसमी कुल वर्षा दीर्घावधि औसत के ±19 प्रतिशत के भीतर दर्ज की गई. इस समूह में उत्तर प्रदेश (478.0 मिमी; सामान्य से 11 प्रतिशत अधिक), महाराष्ट्र (585.2 मिमी; सामान्य से लगभग 9 प्रतिशत कम लेकिन सामान्य बैंड के भीतर) और कर्नाटक (587.8 मिमी; सामान्य से 10 प्रतिशत अधिक) शामिल हैं. हालांकि संचयी तस्वीर देश में सामान्य के करीब दिखाई देती है, फिर भी इस मौसम में स्थानिक और लौकिक परिवर्तनशीलता तीव्र रही है.
पश्चिमी हिमालय के कुछ हिस्सों, विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जुलाई और अगस्त की शुरुआत में बादल फटने, अचानक बाढ़ और व्यापक भूस्खलन की घटनाएं देखी गईं, जिससे सड़कें और स्थानीय जीवन बाधित हुआ. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भी जुलाई के अंत और अगस्त की शुरुआत में भारी बारिश और जलभराव की स्थिति रही.
आईएमडी ने अब तक बारिश में असमानता देखी है और अनुमान लगाया है कि मॉनसून का दूसरा भाग (अगस्त-सितंबर) सामान्यतः अधिक आर्द्र रहेगा और पूरे देश में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है. हालांकि, पूर्वोत्तर और उससे सटे पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों सहित कुछ इलाकों में मौसम शुष्क रहने की संभावना है. IMD ने यह भी कहा है कि पूर्वोत्तर भारत में लगातार कई वर्षों से सामान्य से कम वर्षा हुई है और वर्षा गतिविधि में क्षेत्रीय अंतर जारी रहने की चेतावनी दी है. मई में, आईएमडी ने भविष्यवाणी की थी कि भारत में जून-सितंबर मॉनसून के मौसम के दौरान 87 सेमी की दीर्घकालिक औसत वर्षा का 106 प्रतिशत वर्षा होगी. इस 50-वर्षीय औसत के 96 से 104 प्रतिशत के बीच वर्षा को "सामान्य" माना जाता है.
(सोर्स- PTI)
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