South West Monsoon ने वापसी करते समय भी किसानों की मुसीबत को बढ़ा दिया है. लौटते मानसून ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में किसानों की फसलों को व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचाता है. इस दौरान एमपी में सोयाबीन और धान सहित Kharif Season की अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है.
देश में गर्मी के मौसम में अब ज्यादा समय लू चलने लगी है. वहीं, लू का दायरा भी कई जिलों मेें बढ़ चुका है. इस साल मार्च से जून के बीच लू के कारण सैंकड़ाें मौतें हुई है. वहीं, अब एमपी में राज्य सरकार ने लू को स्थानीय प्राकृतिक आपदा में शामिल किया है. ऐसा होने से मृतकों के आश्रितों को अब मुआवजा दिया जा सकेगा.
मध्य प्रदेश के बैतूल में मंगलवार शाम को भारी ओलावृष्टि की खबरें हैं. बताया जा रहा है कि यहां पर इतनी ओलावृष्टि हुई कि लगा मानों बर्फ की चादर बिछ गई है. ओलावृष्टि के बाद यहां का नजारा बिल्कुल कश्मीर और शिमला जैसा था. करीब 40 मिनट तक बारिश के साथ यहां पर ओले गिरे हैं. दूर-दूर तक बर्फ की सफेद चादर नजर आ रही थी.
मौसम में लगातार हो रहे उतार चढ़ाव की घटनाओं को जलवायु परिवर्तन का परिणाम बताया जा रहा है. मौसम विज्ञान की भाषा में इसे Extreme Weather Condition कहते हैं. Climate Change से जुड़ी इन घटनाओं का असर सीधे तौर पर फसलों पर पड़ता है. इससे सबसे पहले किसान प्रभावित हो रहे हैं.
Climate Change के दौर में मौसम ने एक बार फिर पलटी मार कर फसलों पर संकट के बादल गहरा दिए हैं. पिछले एक सप्ताह के दौरान राजस्थान और एमपी में आंधी, बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसलें खराब होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. दोनों राज्यों के किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
जिले के कई किसान नई तकनीक से प्याज की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. मौसम में परिवर्तन और कम बारिश से जहां फसलों को नुकसान होता है तो वहीं नई तकनीक से प्याज की खेती में कम लागत के साथ ही कम पानी में अच्छी पैदावार होती है. किसानों का कहना है कि इसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है साथ ही मजदूरों की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है. कम पानी में अच्छी पैदावार हो जाती है.
पिछले साल की तरह, इस साल भी यूपी और एमपी में फरवरी का आखिरी सप्ताह किसानों के लिए मुसीबत का सबब बना है. एक बार फिर, जबकि रबी सीजन की फसलें पकने की अवस्था में हैं, मौसम ने किसानों को जोर का झटका दिया है. आंधी, बारिश और ओलावृष्टि से सबसे ज्यादा नुकसान गेहूं की उपज को हुआ है. हालांकि दोनों सूबों की सरकारों ने फिलहाल किसानों को हुए नुकसान की भरपाई करने का भरोसा दिया है.
मौसम विभाग से प्राप्त आंकड़ो के अनुसार सोमवार सुबह 8.30 बजे समाप्त 24 घंटे की अवधि के दौरान झाबुआ जिले में सबसे अधिक 110.3 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि बड़वानी जिले में 109 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई.
स्काइमेट के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान, तटीय आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है. तटीय और दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक और लक्षद्वीप में भी हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है.
मौसम विभाग के मुताबिक, प्रदेश के चार संभागों के अलग-अलग जिलों में गरज चमक के साथ बारिश और 12 जिलों में ओले गिरने की संभावना जताई है. वहीं राजधानी भोपाल में भी शाम के समय गरज चमक के साथ बारिश होने की भी संभावना जताई गई है.
स्थानीय किसानों से मिली जानकारी के अनुसार जिले के किसानों को मौसम की मार पड़ी है. पहले हुई कम बारिश के कारण किसानों की फसल की फसलों को जमकर नुकसान पहुंचाया तो बाद में अत्यधिक बारिश ने जमकर कहर बरपाया है.
मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के महू तहसील में अच्छे मॉनसून के लिए स्थानीय लोगों ने बुधवार को यह टोटका किया. वहीं ग्रामीणों का मानना है कि ऐसा करने से अच्छी बारिश होती है. हालांकि, ऐसी मान्यताओं को विज्ञान में कहीं जगह नहीं है.
गुना जिले के इस गांव का नाम सोडा गांव है. यह ऐसा गांव है जहां हर मॉनसून में बारिश के बाद परेशानी शुरू हो जाती है. यह गांव चारों ओर से पार्वती नदी से घिरा है जहां बारिश शुरू होते ही पानी भरना शुरू हो जाता है. गांव के लोगों को मुसीबत से बचाने के लिए प्रशासन कई तरह की तैयारी करता है.
मौसम विभाग के मुताबिक, बारिश और तेज हवाएं चलने से मूंग, उड़द, ककड़ी, लौकी, खरबूजा, आम, नींबू, फल सहित सब्जियों को भारी नुकसान हो सकता है. मौसम विभाग ने बताया कि बुधवार शाम को अचानक मौसम बदल गया, साथ ही हवा आंधी के साथ कुछ स्थानों पर ओले गिरे. इससे फसलों की बर्बादी हुई है.
मध्य प्रदेश में ठंड और कोहरे का असर देखा जा रहा है. शनिवार को जबलपुर में कोहरे का गंभीर असर देखा गया जहां सुबह सात बजे दृश्यता जीरो पर पहुंच गई. बाद में 7.30 बजे 50 मीटर और 8.30 बजे 300 मीटर दृश्यता दर्ज की गई. आईएमडी के भोपाल सेंटर से सीनियर साइंटिस्ट ममता यादव ने इसकी जानकारी दी.
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