MP सरकार ने लू को प्राकृतिक आपदा में किया शामिल, मृतकों के आश्रितों को मिलेगा मुआवजा

MP सरकार ने लू को प्राकृतिक आपदा में किया शामिल, मृतकों के आश्रितों को मिलेगा मुआवजा

देश में गर्मी के मौसम में अब ज्‍यादा समय लू चलने लगी है. वहीं, लू का दायरा भी कई जिलों मेें बढ़ चुका है. इस साल मार्च से जून के बीच लू के कारण सैंकड़ाें मौतें हुई है. वहीं, अब एमपी में राज्‍य सरकार ने लू को स्‍थानीय प्राकृतिक आपदा में शामिल किया है. ऐसा होने से मृतकों के आश्रितों को अब मुआवजा दिया जा सकेगा.

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MP सरकार ने लू को प्राकृतिक आपदा में किया शामिल, मृतकों के आश्रितों को मिलेगा मुआवजा

 

मध्‍य प्रदेश में गर्मियों के मौसम में कई सालों से तेज गर्मी और खतरनाक लू (हीटवेव) देखने को मिल रही है. ऐसे में अब मध्य प्रदेश सरकार ने लू (हीटवेव) को स्‍थानीय प्राकृतिक आपदाओं की सूची में शामिल कर लिया है. इस निर्णय के बाद हीटवेव से मरने वाले लोगों के आश्रितों को अब अन्य प्राकृतिक आपदाओं की तरह दिए जाने वाले मुआवजे के समान मुआवजा दिया जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्‍य सरकार को यह बदलाव करने का निर्देश दिया था, जिसके एमपी सरकार ने अध‍िसूचना जारी की. प्रदेश सरकार ने आधिकारिक तौर पर मध्य प्रदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत हीटवेव को स्थानीय आपदा के रूप में अधिसूचित किया है. नया नियम अगले साल गर्मियों से लागू होगा.

सरकार ने जारी किया आध‍िकारि‍क बयान

अब हीटवेव से प्रभावित लोग व उनके आश्रित बाढ़, भूकंप और बिजली गिरने जैसी घटनाओं में मिलने वाली आर्थि‍क मदद के लिए पात्र होंगे. मध्य प्रदेश सरकार ने एक आधिकारिक बयान में कहा, "राज्य सरकार आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के खंड 3.2 और भारत सरकार, गृह मंत्रालय (आपदा प्रबंधन) के पत्र क्रमांक 33-03-2021-एनडीएम-I, दिनांक 12 जनवरी 2022 द्वारा जारी राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के गठन और प्रशासन पर दिशानिर्देशों के अनुसार लू (तापघात) को स्थानीय आपदा के रूप में अधिसूचित करती है."

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इस साल हुई 100 से ज्‍यादा मौतें

बता दें क‍ि गर्मी के दौरान तापमान में बढ़ोतरी के कारण उत्तरी भारत में कई मौतें हुई थीं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस साल 1 मार्च से 19 जून के बीच देश में हीटवेव के कारण 114 लोगों की जान गई थी. वहीं, 40,000 से अधिक संदिग्ध हीटस्ट्रोक के मामले सामने आए थे. 19 जून 2024 तक हीटस्ट्रोक के कारण सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में 37, बिहार में 17, राजस्थान में 16 और ओडिशा (13) में हुईं थीं. हीटवेव को लेकर अलग-अलग परिभाषाए हैं.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, पांच या पांच से ज्‍यादा दिनों तक अधिकतम तापमान औसत अधिकतम तापमान से पांच डिग्री सेल्सियस ज्‍यादा रहता है तो इसे हीटवेव कहा जाता है. वहीं, आईएमडी मौसम स्‍टेशन पर मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या अध‍िक तापमान, पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस या अधि‍क तापमान और समुद्र तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान होने पर हीटवेव की श्रेणी में दर्ज करता है. हीटवेव के दौरान आर्द्रता काफी बढ़ जाती है. भारत मौसम विज्ञान विभाग हीटवेव को लेकर पूर्वानुमान जारी करता है, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके और खतरे से आगाह किया जा सके.

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